अमेरिकाके न्यूयार्क सिटी में स्थित सीलिगो गैस स्टेशन पर बने एक स्टोर में मंगलवार को रात करीब 10.00 बजे एक नकाबपोश बंदूकधारी लुटेरे ने बंदूक दिखाकर अमरीक सिंह (58) से गल्ले में पड़ी नकदी देने को कहा। अमरीक सिंह ने नकदी निकालते हुए देखा कि लुटेरे का ध्यान कहीं और है, तो उसने लुटेरे से बंदूक को झपट लिया। अमरीक सिंह ने बताया कि उस समय पता नहीं क्या हुआ मेरे अंदर से ही आवाज आई कि कुछ किया जाए। उसके बाद जब बंदूकधारी बौखला गया तो उसे चप्पल मार-मारकर भागने को मजबूर कर दिया। अमरीकसिंह शुरू से ही गांव के साथ जुड़ा रहा है। उसके इस दलेराना कदम से गांव का नाम रोशन हुआ है। हमें उसी दिन अमरीक के इस कारनामे की जानकारी मिल गई थी। जरनैलसिंह सरपंच, दोबुर्जी गांव।^पंजाबी जहां भी हो दिलेरी दिखाते ही हैं। इसकी मिसाल अमरीक सिंह ने अधेड़ उम्र में भी साहस दिखाकर कायम कर दी है। हमारे बहुत से पंजाबियों के अमेरिका में अपने स्टोर कारोबार हैं। पहले भी पंजाबियों ने कई लुटेरों को सबक सिखा पुलिस के हवाले किया है। अब अमरीक ने अपने क्षेत्र के साथ पूरे पंजाब का नाम कर दिया है। तोतासिंह, कृषि एनआरआई मामले मंत्री। हमारे पूरे परिवार को खुशी
^मेरेदेवर के अमरीका में किए कारनामे से हमारा पूरा परिवार खुश है। अमरीक सिंह ने अपने स्टोर को लुटने से बचाकर एक मिसाल कायम कर दी है। टीवी पर उसका कारनामा देखकर मन खुश हो गया था। अब जब अखबार वाले खुद हमारे घर रहे हैं तो लगता है कि उसने बहुत बड़ा काम किया है। वह शुरू से ही लाेगों के साथ मिलकर काम करने वाले इंसान रहे हैं। जसवीरकौर, बड़ी भाभी। ^जवानीकी दहलीज पर कदम रखते ही अमरीक ने अपने दोस्तों के साथ अमेरिका जाने की योजना बनाई था। बड़ी मुश्किल से उसे भेज पाए थे। हमारे परिवार के पास एजेंट को देने के लिए 12.5 हजार रुपए भी नहीं थे। रिश्तेदारों और दोस्तों से कुछ रुपए मांगे थे। उस समय साढ़े 4 हजार रुपए का गेहूं भी बेचा था। हम 6 भाई बहन थे। हमें खुशी है कि उसने ऐसा काम किया है। हुण तां तुसी छा गए बाबेओ। प्रीतमसिंह (76), बड़ा भाई।
अमेरिकाके न्यूयार्क सिटी में स्थित सीलिगो गैस स्टेशन पर बने एक स्टोर में मंगलवार को रात करीब 10.00 बजे एक नकाबपोश बंदूकधारी लुटेरे ने बंदूक दिखाकर अमरीक सिंह (58) से गल्ले में पड़ी नकदी देने को कहा। अमरीक सिंह ने नकदी निकालते हुए देखा कि लुटेरे का ध्यान कहीं और है, तो उसने लुटेरे से बंदूक को झपट लिया। अमरीक सिंह ने बताया कि उस समय पता नहीं क्या हुआ मेरे अंदर से ही आवाज आई कि कुछ किया जाए। उसके बाद जब बंदूकधारी बौखला गया तो उसे चप्पल मार-मारकर भागने को मजबूर कर दिया। अमरीकसिंह शुरू से ही गांव के साथ जुड़ा रहा है। उसके इस दलेराना कदम से गांव का नाम रोशन हुआ है। हमें उसी दिन अमरीक के इस कारनामे की जानकारी मिल गई थी। जरनैलसिंह सरपंच, दोबुर्जी गांव।^पंजाबी जहां भी हो दिलेरी दिखाते ही हैं। इसकी मिसाल अमरीक सिंह ने अधेड़ उम्र में भी साहस दिखाकर कायम कर दी है। हमारे बहुत से पंजाबियों के अमेरिका में अपने स्टोर कारोबार हैं। पहले भी पंजाबियों ने कई लुटेरों को सबक सिखा पुलिस के हवाले किया है। अब अमरीक ने अपने क्षेत्र के साथ पूरे पंजाब का नाम कर दिया है। तोतासिंह, कृषि एनआरआई मामले मंत्री। हमारे पूरे परिवार को खुशी
^मेरेदेवर के अमरीका में किए कारनामे से हमारा पूरा परिवार खुश है। अमरीक सिंह ने अपने स्टोर को लुटने से बचाकर एक मिसाल कायम कर दी है। टीवी पर उसका कारनामा देखकर मन खुश हो गया था। अब जब अखबार वाले खुद हमारे घर रहे हैं तो लगता है कि उसने बहुत बड़ा काम किया है। वह शुरू से ही लाेगों के साथ मिलकर काम करने वाले इंसान रहे हैं। जसवीरकौर, बड़ी भाभी। ^जवानीकी दहलीज पर कदम रखते ही अमरीक ने अपने दोस्तों के साथ अमेरिका जाने की योजना बनाई था। बड़ी मुश्किल से उसे भेज पाए थे। हमारे परिवार के पास एजेंट को देने के लिए 12.5 हजार रुपए भी नहीं थे। रिश्तेदारों और दोस्तों से कुछ रुपए मांगे थे। उस समय साढ़े 4 हजार रुपए का गेहूं भी बेचा था। हम 6 भाई बहन थे। हमें खुशी है कि उसने ऐसा काम किया है। हुण तां तुसी छा गए बाबेओ। प्रीतमसिंह (76), बड़ा भाई।