जेल में पूरी रात जागता रहा राम रहीम, आधी रोटी खाई, अब करना होगा माली का काम

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डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दो साध्वियों के यौन शोषण के जुर्म में 20 साल जेल की सजा सुनाई गई है. सजा मिलने के बाद रात राम रहीम पूरी रात जेल के बैरक में जागता रहा और इधर से उधर टहलता रहा. गुरमीत को खाने में 4 रोटी और सब्जी दी गई थी, लेकिन उसने सिर्फ आधी रोटी ही खाई. राम रहीम को जेल प्रशासन ने नया कैदी नंबर 8647 दिया है.

डेरा सच्चा सौदा रहते हुए अरबों की संपत्ति बनाने वाले राम रहीम को माली के अलावा फैक्ट्री में भी काम करना होगा. इसके लिए उसे 40 रुपये रोज का मेहनताना दिया जाएगा. सोमवार की दोपहर सीबीआई की विशेष कोर्ट ने रोहतक जेल में राम रहीम को 20 साल जेल की सजा सुनाई. सजा सुनने के बाद रामरहीम फर्श पर ही बेसुध बैठ गया और माफी मांगने लगा.

दो मामलों में 10-10 साल की जेल

बता दें कि अपनी दो शिष्याओं के साथ 18 साल पहले दुष्कर्म करने और आपराधिक धमकी देने के जुर्म में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को दो मामलों में 10-10 साल जेल की सजा सुनाई गई है.

रोहतक के सुनारिया जिला जेल की लाइब्रेरी में ही लगाई गई केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद राम रहीम के वकील एसके गर्ग नरवाना ने कहा कि दोनों ही सजा बारी-बारी से भुगतनी होंगी.

हर पीड़िता को 10-14 लाख का मुआवजा

चंडीगढ़ से हेलीकॉप्टर के जरिये रोहतक पहुंचे और डेरा प्रमुख को सजा सुनाने वाले सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने अपने फैसले में कहा कि जुर्माने की राशि में से ही प्रत्येक पीड़िता को 14-14 लाख रुपये बतौर मुआवजा दिया जाए.

इससे पहले अदालत के फैसले को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रही और ऐसी खबरें चलीं कि डेरा प्रमुख को 10 साल जेल की सजा सुनाई गई है. बाद में डेरा प्रमुख के वकील ने स्थिति स्पष्ट की.

अदालत ने शुक्रवार को डेरा प्रमुख को 1999 में अपनी दो शिष्याओं से दुष्कर्म करने और आपराधिक धमकी देने का दोषी करार दिया था. मामले में शिकायत 2002 में दर्ज हुई थी.

सजा सुनते ही रोने लगा रामरहीम

सुनारिया जिला जेल में लगी इस अदालत में नाटकीयता भी देखने को मिली, जब गुरमीत राम रहीम हाथ जोड़कर रुआंसे अंदाज में न्यायाधीश से माफ करने का अनुनय करने लगे. जैसे ही सजा सुनाई गई राम रहीम वहीं फर्श पर बैठ गए और रोने लगे. जेल के वार्डन ने राम रहीम को वहां से हटाया.

पंचकूला में शुक्रवार को अदालत द्वारा डेरा प्रमुख को दोषी करार दिए जाने के बाद पूरे हरियाणा में व्यापक हिंसा फैल गई थी, जिसमें 38 लोगों की मौत हो गई और 264 लोग घायल हो गए. अदालत के सूत्रों ने बताया कि सजा सुनाने के लिए अदालत की कार्रवाई सोमवार को अपराह्न 2.30 बजे शुरू हुई और न्यायाधीश ने बचाव पक्ष और अभियोजन पक्ष को अपना-अपना पक्ष रखने के लिए 10-10 मिनट का समय दिया.

बचाव पक्ष के वकील ने जहां दुष्कर्म के दोषी डेरा प्रमुख के सामाजिक कार्यो और खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए न्यूनतम सजा की मांग की, वहीं अभियोजन पक्ष के वकील ने दोषी के कृत्य का हवाला देते हुए अधिकतम सजा सुनाने की मांग की. अभियोजन पक्ष ने इसे ‘दुलर्भतम’ मामला मानने की मांग की.

हाईकोर्ट में फैसले को चुनौती देगा रामरहीम

डेरा प्रमुख के वकील ने बाद में कहा कि सीबीआई अदालत के इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी. सजा सुनाए जाने के ठीक बाद चिकित्सकों ने राम रहीम का परीक्षण किया, जिसमें वह पूरी तरह स्वस्थ पाए गए. राम रहीम के वकील ने जेल में उनके साथ नरमी बरते जाने की मांग की और कहा कि राम रहीम अब तक बहुत ही ऐशो-आराम की जिंदगी जीते रहे हैं.

पंचकूला में सीबीआई की अदालत द्वारा शुक्रवार को दोषी करार दिए जाने के बाद से राम रहीम को इसी जेल में रखा गया है, जहां वह कैदी नंबर-1997 थे. इस बीच सिरसा में ताजा हिंसा भड़कने की घटनाएं हुई हैं. सूत्रों ने बताया है कि डेरा समर्थकों ने दो वाहन फूंक डाले हैं.

सुरक्षा बल तत्काल स्थिति पर नियंत्रण हासिल करने के लिए घटनास्थल पर पहुंच गए. सिरसा में डेरा सच्चा सौदा के दो आश्रमों के चारों ओर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी, जिसमें सेना, अर्धसैनिक बल भी शामिल था.

सिरसा के कुछ इलाकों में अब भी कर्फ्यू

आयुक्त वी. उमाशंकर ने मीडिया से कहा, “स्थिति पर हमारा पूरा नियंत्रण है. हमने अब तक संयम से काम लिया है. डेरा मुख्यालय के अंदर अभी भी कुछ समर्थक मौजूद हैं.” सिरसा के कुछ इलाकों में अभी भी कर्फ्यू लगी हुई है.

2002 में डेरा प्रमुख के अपराधों का खुलासा करने वाले दिवंगत पत्रकार के बेटे अंशुल छत्रपति ने सोमवार को कहा कि राम रहीम को दोषी करार दिए जाने और जेल की सजा सुनाए जाने के बाद वह सही साबित हुए हैं.

सिरसा में ही स्थानीय समाचार-पत्र ‘पूरा सच’ निकालने वाले पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या कर दी गई थी. पिता का ही पेशा अपना चुके अंशुल ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है. राम रहीम के खिलाफ 2002 में दुष्कर्म की खबर प्रकाशित करने के बाद कथित तौर पर डेरा प्रमुख के इशारे पर डेरा समर्थकों ने अंशुल के पिता की हत्या कर दी थी.