नोटबंदी के नतीजे से उठे सवाल- क्या देश में है ही नहीं ब्लैक मनी?

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क्या देश में ब्लैक मनी का सिर्फ हौव्वा खड़ा किया जा रहा था? क्या देश में काला धन जैसी कोई चीज थी ही नहीं? हैरान करने वाले ये सवाल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा नोटबंदी के बहुप्रतीक्षित आंकड़े जारी होने के बाद उठ रहे हैं. वो आंकड़े जिनमें कहा गया है कि नोटबंदी के बाद केंद्रीय बैंक में बैन किए गए तकरीबन सभी नोट वापस लौट आए हैं.

सरकार ने सोचा था, खत्म हो जाएगा काला धन

गौरतलब है कि 8 नवंबर 2016 की रात 8 बजे जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक हजार और पांच सौ के नोट बंद करने का ऐलान किया तो उसके बाद सरकार और बीजेपी की ओर से लगातार ये दावा किया गया कि इससे देश में जमा काला धन अपने आप समाप्त हो जाएगा. इस दावे के पीछे तर्क ये था कि लोगों ने एक हजार और पांच सौ के नोटों के रूप में जो काला पैसा जमा किया होगा वो बैंकों में नहीं लौटेगा. जितनी राशि नहीं लौटेगी उसे रिजर्व बैंक रद्द मानकर दोबारा छाप पाएगा जिसे सरकार की आय माना जाएगा. लेकिन हुआ इसका ठीक उलटा.

आरबीआई ने बुधवार को जारी आंकड़ों में साफ कर दिया कि एक हजार के जो नोट बैन किए गए थे उसमें से 98.4 प्रतिशत नोट वापस आ चुके हैं. महज 16 हजार करोड़ रुपये की कुल करेंसी है जो वापस नहीं लौटी है. इसका अर्थ ये हुआ कि देश में या तो महज 16 हजार करोड़ रुपये की ब्लैक मनी है. क्योंकि ऐसा व्यावहारिक रूप से संभव नहीं लगता कि लोगों के पास ब्लैक मनी तो हो लेकिन वो एक हजार या 500 के नोट की शक्ल में न होकर 100 या 50 रुपये के नोट की शक्ल में हो.

काला धन था तो लेकिन वो बैंकों में आ गया?

आरबीआई के आंकड़ों का दूसरी तरफ विश्लेषण करें तो लगता है कि देश में काला धन था तो लेकिन नोटबंदी के बाद जुगाड़ सिस्टम के जरिए वो वापस बैंकों में आ गया. यानी सरकार का दांव उलटा पड़ा और काले धन के कुबेर उससे ज्यादा चालाक निकले. अब सरकार के पास वापस आए नोटों में से कौन सा पैसा काला धन है और कौन सा सफेद ये पता करना तकरीबन नामुमकिन होगा. नोटबंदी के बाद ये बातें सामने आई थीं कि लोगों ने किसी तरह बैंकों, डाकघरों, अस्पतालों, पेट्रोल पंपों आदि के जरिए अपनी ब्लैक मनी व्हाइट कर ली. जनधन खातों का इसके लिए व्यापक तौर पर इस्तेमाल हुआ. यही वजह रही कि सरकार को नोटबंदी के बाद बार-बार अपने फैसले बदलने पड़े.

क्या कैश की बजाय प्रॉपर्टी-सोने के रूप में है काला धन?

अब जबकि ये साफ हो गया है कि नोटबंदी ब्लैक मनी को खत्म करने के अपने मूल मकसद में नाकाम रही है, सवाल उठ रहे हैं कि क्या देश में मौजूद काला धन कैश की बजाय प्रॉपर्टी और सोने में तब्दील हो चुका है. नोटबंदी के दौरान देश में सोने की खपत में इजाफा देखा गया था. सरकार ने कई कारोबारियों पर इसे लेकर चाबुक भी चलाया था. इसके अलावा देश का प्रॉपर्टी मार्केट पहले से ही काले धन का पार्किंग लॉट कहा जाता है जहां डिमांड न होने के बावजूद न सिर्फ नए-नए प्रोजेक्ट लॉन्च हो रहे हैं और फ्लैट की कीमतें बढ़ती जा रही हैं.