भगवान का धर्म एक ही पर धर्म की राहें सुविधा मुताबिक हैं ; भगत संजय

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भगवान का धर्म एक ही पर धर्म की राहें सुविधा मुताबिक हैं ; भगत संजय
चंडीगढ़ ; 25 अक्टूबर ; आरके शर्मा राज /मोनिका शर्मा ;—-भगवान राम रहीम वाहेगुरु खुद अल्लाह गॉड सब एक ही बस सब ने उस तक पहुँचने की राहें अपनी सुविधा और अपने आस्था के सागर मुताबिक तय कर रखी हैं ! भगवान हमेशा एकता का नाम नाकि विग्रह का ! ये निजी विचार भगत संजय ने अदिति कलाकृति हब ऑफ़ हॉबीज में व्यक्त करते हुए संचालकों को प्रचारकों सहित प्रशिक्षुओं के साथ सांझे किये ! भगत संजय लम्बे अरसे से हिन्दू मुस्लिम भक्ति के तहत लोगों के दुखों को दूर करने के निस्वार्थ भाव से प्रयास में जुटे हैं ! भगत जी का कहना है धरती इंसान हैवान अच्छी बुरी आत्माओं की धरती है सो रहना तो सबको है ! हाँ ! दिवंगत आत्मा को वहां नहीं रहना चाहिए जहाँ इंसान अपने परिवार जनों के साथ जिन्दा जीवनयापन करता है ! अगर मृत जीवात्मा अपनी पुरानी जगह से मोह नहीं तज पाता तो भक्ति करुणा भाव से उसको दूसरे स्थान पर बैठाया जाने का हर धर्म में स्थान और साधन हैं ! भगत जी घरों और उसके वासियों पर से बुरी छाया, बुरे प्रभाव, काम बांधना, नकारात्मक ऊर्जा का हिन्दू वासी भक्ति और मुसिलम वासी भक्ति से निदान करते हुए नया जीवन संहार स्फूर्ति भरते हैं ! अनेकों राह भटके युवाओं को जीने की नई राह दिखाने वाले संजय भक्त जी कभी किसी से कुछ नहीं मांगते और जो किसी की अपनी ख़ुशी श्रद्धा होती कबूल फरमाते हैं ! वो खुद को भी किसी धर्म विशेष में बंधा नहीं पाते हैं ! हर किसी के दुःख से गमजदा होने को ही असली इंसानियत मानते हैं ! उनके पास दूर दूर से प्रभावित पीड़ित रोगी और निराश लोगों का ताँता लगा रहता है !