नीमच – 30 नवम्बर (गोपालदास बैरागी) – भाजपा के नेता किसानों को आपस में लडाना चाहते है। जिन्होंने पहले जमीन खोई है और उनकी जमीन डूब में गई है, उन्हें पानी मिलना चाहिए। जिस तरह से एक डेम के गेट रुकवा कर दूसरे डेम के गेट खोल पानी को खाली करने की राजनीत भाजपा नेता कर रहे है, वह सभी को समझ में आ गई है। पानी की इस लड़ाई में भाजपा नेता किसानों को आपस में संघर्ष करवाना चाहते है।
यह बात युवा कांग्रेस प्रदेश सचिव तरूण बाहेती ने प्रेस विज्ञप्ति में कही। उन्होंने कहा ठीकरिया बाँध के गेट खोले ही क्यों गए और जब किसानों के आक्रोश के चलते रुके तो दूसरे ही दिन उसी क्षेत्र के दूसरे डेम रेतम बेराज के गेट खोल दिए गए।दोनों डेम एक ही क्षेत्र में है और इससे एक ही क्षेत्र के किसानों में एक दूसरे के प्रति द्वेषता और आपसी विरोध की स्थिति में आ गए।
बाहेती ने कहा की जिस जमीन पर बांध बना है, जिन लोगो ने अपनी सारी जमीनें डेम बनाने में गवाई है वहाँ के आस—पास के लोगों को पहले बांध का फायदा होना चाहिए। जिस तरीके से बांध के गेट खोले गए है, उससे किसान आक्रोशित है और स्वाभाविक भी है ।
किसानों को इस हक़ की लड़ाई में पहले अधिकारियो ने किसी जनप्रतिनिधि को विश्वास में नहीं लिया और क्षेत्र में पानी छोड़ने की इतनी बड़ी हो और जनप्रतिनिधियो को पता ही नहीं चले ये बात भी समझ से परे है।इसका मतलब स्पष्ट है की प्रशासन कुछ भी गलत निर्णय करे तो मौजूदा जनप्रतिनिधियो का उन पर कोई नियंत्रण नहीं है।जबकि बड़ी बात है कि ठीकरिया डेम के पानी का बड़ा हिस्सा नीमच शहर के लिए पेयजल के लिए आरक्षित का प्रावधान है।उसके बाद भी पानी छोड़ना पूरी विधानसभा के लोगों के साथ कुठाराघात है।
श्री बाहेती ने कहा कि इस मुद्दे को देखा जाए तो प्रदेश में भाजपा की सरकार में भाजपा के ही विधायक आपस में एक दूसरे के निर्णयो का विरोध कर रहे है।अगर ऐसा नहीं है तो प्रशासन स्पष्ट करे की बार बार डेम के गेट किन भाजपा नेताओं के ईशारों पर खोले जा रहे है।
बाहेती ने कहा की ऐसी स्थिति में प्रशासन को किसानों के साथ सख्ती बरतना छोड़ सामन्जस्य की स्थिति में आना चाहिए।कांग्रेस द्वारा इस मुद्दे क्षेत्र के किसानों के हित में लडाई लडी जाएगी।
तरुण बाहेती ने कहा ठीकरिया डेम के निर्माण के वक्त भी किसानों को अपने वाजिब मुआवजे के लिए संघर्ष करना पड़ा था और जब अब डेम गया तो पानी के लिए लड़ना पड़ रहा है।जो पूर्णतया गलत है। प्रदेश की सरकार और किसान हित की बात करने वाले भाजपा नेताओं की कथनी और करनी में अंतर अब सभी को पता चल गया है।
नीमच – 30 नवम्बर (गोपालदास बैरागी) – भाजपा के नेता किसानों को आपस में लडाना चाहते है। जिन्होंने पहले जमीन खोई है और उनकी जमीन डूब में गई है, उन्हें पानी मिलना चाहिए। जिस तरह से एक डेम के गेट रुकवा कर दूसरे डेम के गेट खोल पानी को खाली करने की राजनीत भाजपा नेता कर रहे है, वह सभी को समझ में आ गई है। पानी की इस लड़ाई में भाजपा नेता किसानों को आपस में संघर्ष करवाना चाहते है।
यह बात युवा कांग्रेस प्रदेश सचिव तरूण बाहेती ने प्रेस विज्ञप्ति में कही। उन्होंने कहा ठीकरिया बाँध के गेट खोले ही क्यों गए और जब किसानों के आक्रोश के चलते रुके तो दूसरे ही दिन उसी क्षेत्र के दूसरे डेम रेतम बेराज के गेट खोल दिए गए।दोनों डेम एक ही क्षेत्र में है और इससे एक ही क्षेत्र के किसानों में एक दूसरे के प्रति द्वेषता और आपसी विरोध की स्थिति में आ गए।
बाहेती ने कहा की जिस जमीन पर बांध बना है, जिन लोगो ने अपनी सारी जमीनें डेम बनाने में गवाई है वहाँ के आस—पास के लोगों को पहले बांध का फायदा होना चाहिए। जिस तरीके से बांध के गेट खोले गए है, उससे किसान आक्रोशित है और स्वाभाविक भी है ।
किसानों को इस हक़ की लड़ाई में पहले अधिकारियो ने किसी जनप्रतिनिधि को विश्वास में नहीं लिया और क्षेत्र में पानी छोड़ने की इतनी बड़ी हो और जनप्रतिनिधियो को पता ही नहीं चले ये बात भी समझ से परे है।इसका मतलब स्पष्ट है की प्रशासन कुछ भी गलत निर्णय करे तो मौजूदा जनप्रतिनिधियो का उन पर कोई नियंत्रण नहीं है।जबकि बड़ी बात है कि ठीकरिया डेम के पानी का बड़ा हिस्सा नीमच शहर के लिए पेयजल के लिए आरक्षित का प्रावधान है।उसके बाद भी पानी छोड़ना पूरी विधानसभा के लोगों के साथ कुठाराघात है।
श्री बाहेती ने कहा कि इस मुद्दे को देखा जाए तो प्रदेश में भाजपा की सरकार में भाजपा के ही विधायक आपस में एक दूसरे के निर्णयो का विरोध कर रहे है।अगर ऐसा नहीं है तो प्रशासन स्पष्ट करे की बार बार डेम के गेट किन भाजपा नेताओं के ईशारों पर खोले जा रहे है।
बाहेती ने कहा की ऐसी स्थिति में प्रशासन को किसानों के साथ सख्ती बरतना छोड़ सामन्जस्य की स्थिति में आना चाहिए।कांग्रेस द्वारा इस मुद्दे क्षेत्र के किसानों के हित में लडाई लडी जाएगी।
तरुण बाहेती ने कहा ठीकरिया डेम के निर्माण के वक्त भी किसानों को अपने वाजिब मुआवजे के लिए संघर्ष करना पड़ा था और जब अब डेम गया तो पानी के लिए लड़ना पड़ रहा है।जो पूर्णतया गलत है। प्रदेश की सरकार और किसान हित की बात करने वाले भाजपा नेताओं की कथनी और करनी में अंतर अब सभी को पता चल गया है।