कोटकपूरा 30 सितम्बर (मक्खन सिंह) भारत विकास परिषद द्धारा भाविप की मेन ब्रांच के प्रेजिडेंट संदीप अरोड़ा की प्रधानगी मैं शहीद भगत सिंह के जनमदिवस के उपलक्ष्य में “आर्गेनिक खेती घरेलु बगीची” विषय पर एक सेमिनार का आयोजन अग्रवाल भवन कोटकपूरा में किया गया, इस सेमिनार में विशेष रूप से भाविप के राष्ट्रीय सेक्रेटरी सेवा सिंह चावला, राष्ट्रीय सलाहकार श्री जयपाल गर्ग , स्टेट के एक्सक्यूटिव मैम्बर श्री नरेश कांसल और जिला प्रधान राम कुमार एम. ई. ने भी भाग लिया इस प्रोग्राम के मुख्य वक्ता के रूप में खेतीबाड़ी विरासत मिशन जैतो के गुरप्रीत दबड़ीखाना ने बताया कि फलों और सब्जियों में 140 प्रतिशत ज्यादा कीटनाशक पाये जाते है, आम लोगों को भी घरों में किचन गार्डन के माध्यम से जैविक खेती करनी चाहिए।जैविक खेती के लिये बहुत सारी तकनीकें अपनानी पड़ती हैं। आज बाजार में खाद्य पदार्थ उपलब्ध है उनमें अधिकतर में कीटनाशक एवं रासायनिक पदार्थों का उपयोग किया गया है। जैविक खेती में प्राकृतिक खाद और कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह की खेती में रसायनिक कीटनाशक और खाद का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, जिससे न सिर्फ मिट्टी को नुकसान पहुंचता है, बल्कि इसकी उर्वरता भी कम होती है। इसलिए जैविक खेती में हमेशा खाद के तौर पर पशुओं का बचा हुआ भोजन, पशुओं का मल और दूसरे पौधों के अपशिष्ट आदि का इस्तेमाल करना चहिए। इन खादों का पर्यावरण पर बुरा असर नहीं पड़ता है और साथ ही पौधों के लिए ये काफी फायदेमंद होते हैं। इसी तरह जहरीले रसायन की जगह प्राकृतिक कीटनाशक का इस्तेमाल करना चाहिए। इनके बाद भाविप के राष्ट्रीय सेक्रेटरी सेवा सिंह चावला,ने अपने सम्बोधन में बताया कि भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर, 1907, शनिवार सुबह ९ बजे सरदार किशन सिंह और विद्यावती कौर के घर हुआ था । उनका पैतृक निवास आज भी भारतीय पंजाब के नवाँशहर ज़िले के खटकड़कलाँ गाँव में स्थित है।
भगत सिंह भारत के एक स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख और मुखर सेनानी थे। उनका साहस आज के भारतीय युवकों के लिए एक बहुत बड़ा आदर्श है। इन्होंने केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया, और अपनी गिरफ़्तारी दी । जिसके फलस्वरूप इन्हें 23 मार्च, 1931 को (आयु 23 बरस 5 महीने ) इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फाँसी पर लटका दिया गया। हमारा भारत देश उनके बलिदान को आज भी बड़ी गम्भीरता से याद करता है । इस विशेष प्रोग्राम में भाविप की विवेकानंद ब्रांच के प्रेजिडेंट बलदेव कटारिया , अनिल सिंगला , रमेश कुमार सचदेवा रिटायर्ड इ.ओ. ,वेद अरोड़ा , सुरिंदर सचदेवा , बीजेपी के जिला मीडिया कन्वीनर दीपक गर्ग, वरिंदर कटारिया, पवन भारती, टी. आर. अरोड़ा, विकास गर्ग, अशोक चावला , सेक्रेटरी हरीश बत्रा , भी उपस्थित थे
कोटकपूरा 30 सितम्बर (मक्खन सिंह) भारत विकास परिषद द्धारा भाविप की मेन ब्रांच के प्रेजिडेंट संदीप अरोड़ा की प्रधानगी मैं शहीद भगत सिंह के जनमदिवस के उपलक्ष्य में “आर्गेनिक खेती घरेलु बगीची” विषय पर एक सेमिनार का आयोजन अग्रवाल भवन कोटकपूरा में किया गया, इस सेमिनार में विशेष रूप से भाविप के राष्ट्रीय सेक्रेटरी सेवा सिंह चावला, राष्ट्रीय सलाहकार श्री जयपाल गर्ग , स्टेट के एक्सक्यूटिव मैम्बर श्री नरेश कांसल और जिला प्रधान राम कुमार एम. ई. ने भी भाग लिया इस प्रोग्राम के मुख्य वक्ता के रूप में खेतीबाड़ी विरासत मिशन जैतो के गुरप्रीत दबड़ीखाना ने बताया कि फलों और सब्जियों में 140 प्रतिशत ज्यादा कीटनाशक पाये जाते है, आम लोगों को भी घरों में किचन गार्डन के माध्यम से जैविक खेती करनी चाहिए।जैविक खेती के लिये बहुत सारी तकनीकें अपनानी पड़ती हैं। आज बाजार में खाद्य पदार्थ उपलब्ध है उनमें अधिकतर में कीटनाशक एवं रासायनिक पदार्थों का उपयोग किया गया है। जैविक खेती में प्राकृतिक खाद और कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह की खेती में रसायनिक कीटनाशक और खाद का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, जिससे न सिर्फ मिट्टी को नुकसान पहुंचता है, बल्कि इसकी उर्वरता भी कम होती है। इसलिए जैविक खेती में हमेशा खाद के तौर पर पशुओं का बचा हुआ भोजन, पशुओं का मल और दूसरे पौधों के अपशिष्ट आदि का इस्तेमाल करना चहिए। इन खादों का पर्यावरण पर बुरा असर नहीं पड़ता है और साथ ही पौधों के लिए ये काफी फायदेमंद होते हैं। इसी तरह जहरीले रसायन की जगह प्राकृतिक कीटनाशक का इस्तेमाल करना चाहिए। इनके बाद भाविप के राष्ट्रीय सेक्रेटरी सेवा सिंह चावला,ने अपने सम्बोधन में बताया कि भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर, 1907, शनिवार सुबह ९ बजे सरदार किशन सिंह और विद्यावती कौर के घर हुआ था । उनका पैतृक निवास आज भी भारतीय पंजाब के नवाँशहर ज़िले के खटकड़कलाँ गाँव में स्थित है।
भगत सिंह भारत के एक स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख और मुखर सेनानी थे। उनका साहस आज के भारतीय युवकों के लिए एक बहुत बड़ा आदर्श है। इन्होंने केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया, और अपनी गिरफ़्तारी दी । जिसके फलस्वरूप इन्हें 23 मार्च, 1931 को (आयु 23 बरस 5 महीने ) इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फाँसी पर लटका दिया गया। हमारा भारत देश उनके बलिदान को आज भी बड़ी गम्भीरता से याद करता है । इस विशेष प्रोग्राम में भाविप की विवेकानंद ब्रांच के प्रेजिडेंट बलदेव कटारिया , अनिल सिंगला , रमेश कुमार सचदेवा रिटायर्ड इ.ओ. ,वेद अरोड़ा , सुरिंदर सचदेवा , बीजेपी के जिला मीडिया कन्वीनर दीपक गर्ग, वरिंदर कटारिया, पवन भारती, टी. आर. अरोड़ा, विकास गर्ग, अशोक चावला , सेक्रेटरी हरीश बत्रा , भी उपस्थित थे