Posted By Sagar Chanana
भैया दूज पर बाबा केदारनाथ के कपाट बंद होने के पीछे एक कहानी छुपी हुई है। क्या है कहानी?
शुक्रवार को भैया दूज के दिन विधि विधान से केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। मंत्रोच्चारण के साथ सुबह आठ बजे धाम के कपाट बंद कर हुए। भगवान आशुतोष के 11वे ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ मंदिर के कपाट शुभ लग्न पर शीतकाल के बंद हो गए। जिसके बाद भगवान केदार की डोली रामपुर के लिए रवाना हो चुकी है। विग्रह डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी। यहां ओंकारारेश्वर मंदिर में बाबा केदार की शीतकाल के छह माह पूजा होगी। मान्यताओं के मुताबिक केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग ने बताया कि कुरुक्षेत्र युद्ध के उपरांत अपने पित्रों का कर्मकांड करने के बाद पांडवों को भैयादूज के दिन ही स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी। इसलिए भैया दूज से शीतकाल प्रारंभ माना जाता है और पंरपराओं के अनुरुप बाबा केदार के कपाट बंद किए जाते हैं।