यौन उत्पीड़न के मामले में म.प्र. हाईकोर्ट के जज गंगेले को क्लीनचिट पर उठे सवाल।

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ग्वालियर 5 अगस्त (द्धारका हक्वानी ) ग्वालियर में पदस्थ रही एक महिला जज के कथित यौन उत्पीड़न के मामले में आरोपी म.प्र. हाईकोर्ट के जज एसके गंगेले को सुप्रीमकोर्ट की एक पैनल द्वारा दी गई क्लीनचिट पर सवाल उठने लगे हैं। ‘पीडि़ता’ की ओर से मामले को उठाने वाली वरिष्ठ वकील इन्द्रा जय सिंह ने कहा है कि पैनल ‘गलत निष्कर्ष’ पर पहुंची है। और उसने महिला जज की बेटी का भी बयान रिकाॅर्ड करने की जहमत नहीं उठाई। उन्होंने कहा कि महिला जज की शिकायत
को पुष्टिकारक सबूत नहीं होने के आधार पर अस्वीकार कर देना ‘गलत’ है। आगे की कार्यवाही चर्चा के बाद तय करने की बात उन्होंने कही। खबरों के मुताबिक इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीष धनंजय चंद्रचूड़, दिल्ली हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीष जी, रोहिणी तथा राजस्थान हाईकोर्ट के जज जस्टिस अजय रस्तोगी की तीन सदस्यीय पैनल ने आरोपी जज गंगले को यह कहते हुए क्लीनचिट दे दी है कि आरोपों के समर्थन में पुष्टि कारक सबूत नहीं हैं। यह तीन सदस्यीय ‘इन हाउस’ पैनल प्रधान न्यायाधीष एचएल दत्तू ने गठित की थी। बताया जाता है कि प्रधान न्यायाधीष दत्तू ने पैनल की रिपोर्ट स्वीकार कर ली है। सूत्रों के मुताबिक पैनल का कहना है कि जज को जस्टिस गंगेले को दोषी ठहराने के लिए सबूत ‘अपर्याप्त’ है। पैनल का यह भी कहना है कि षिकायतकर्ता ने जिल घटनाओं का उल्लेख किया था, उसके बारे में उन्होंने ईमानदार खुलासे नहीं किए। मालूम हो कि महिला जज द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद गत वर्ष दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस गंगेले प्रषासनिक तथा पर्यवेक्षण कामों से अल कर दिया था। आरोप लगाने के बाद महिला ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीष पद से इस्तीफा दे दिया था। उक्त मामले में फरियादी महिला न्यायाधीष होने के बाद भी पैनल बनना, क्लीनचिट मिलना चर्चा में बना हुआ है। लोगों का कहना हैं कि क्या अन्य प्रकरणों में भी ऐसा होता है ?