राम रहीम के खिलाफ केस गिराना चाहते थे मंत्री और CBI अधिकारी

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रिटायर्ड CBI अधिकारी ने खुलासा किया है कि 2002 के बाद से उसपर डिपार्टमेंट के बड़े अधिकारियों समेत कई लोगों से गुरमीत राम रहीम के खिलाफ केस को गिराने का दबाव पड़ा था. इसके साथ ही राम रहीम के खिलाफ बलात्कार का मामला साबित करने के लिए सीबीआई के सामने बीते 15 साल के दौरान कई कड़ी चुनौतियां थीं जिसका खुलासा सीबीआई के रिटायर्ड अधिकारी ने दी.

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम के खिलाफ सीबीआई जांच टीम का नेतृत्व कर चुके ज्वाइंट डायरेक्टर मुलिंजा नारायणन ने राम रहीम को सजा दिए जाने के बाद राहत की सांस ली. मुलिंजा ने बताया कि राम रहीम के खिलाफ जांच में 15 साल के दौरान कई बार हार और जीत का सामना करना पड़ा. लेकिन अंत में राम रहीम को सजा मिलने से साफ है कि देश में कानून से बड़ा कोई नहीं है.

गौरतलब है कि सितंबर 2002 में जब दिल्ली और हरियाणा हाईकोर्ट ने सीबीआई को मामले की जांच सौंपी उस वक्त मुलिंजा नारायणन दिल्ली में बतौर डीआईजी (स्पेशल क्राइम) तैनात थे. मुलिंजा ने बताया कि 12 दिसंबर 2002 को सीबीआई द्वारा केस रजिस्टर करने के फौरन बाद उन्हें सीबीआई के एक सीनियर अधिकारी ने राम रहीम के खिलाफ केस को तुरंत बंद करने और किसी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेने का फरमान सुनाया.

हालांकि इस सीनियर अधिकारी की सलाह को नकारते हुए नारायणन ने मामले को और गंभीरता से लिया और राम रहीम से जुड़े कई पहलुओं को खंगाला. इसके बाद भी कई सीनियर अधिकार और नेता लगातार सीबीआई ऑफिस पहुंचकर मामलो को बंद करने का दबाव डालते रहे. लेकिन कोर्ट की निगरानी के चलते राम रहीम के खिलाफ जांच अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंची और सीबीआई राम रहीम को आरोपी साबित करने में सफल हुई.

67 वर्षीय नारायणन 2009 में 38 साल की पुलिस की नौकरी के बाद रिटायर हो गए थे. वह एक सब-इंस्पेक्टर से प्रोनन्त होकर सीबीआई में ज्वाइंट डायरेक्टर पद तक पहुंचने वाले पहले अधिकारी रहे.

राम रहीम केस की जांच करते वक्त चुनौतियों के बार में बताते हुए नारायणन ने कहा कि 1999 में हुए इस मामले में पीड़ित लड़की ने डेरा त्याग दिया था और शादी कर नया जीवन शुरू कर रही थी. इसके चलते उस पीड़ित को गवाही के लिए तैयार करना भी सीबीआई के लिए बड़ी चुनौती थी. गौरतलब है कि मामले में पीड़िती की पहली गवाही ही मजिस्ट्रेट के सामने कराई गई जिससे भविष्य में वह किसी दबाव में अपने बयान से पलट न सके.