हिंदु धर्म व संस्कृति का प्रचार करने के लिए विचारधारा अपनाने वालों को इकजुट किया,

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बरनाला 15 जनवरी, (अखिलेश बंसल) परम आदरणीय गुरुदेव श्री रौशन लाल कपिल जी जो लोग माता, पिता, गुरु और स्वामी से शिक्षा ले उसका पालन किया है उन्होंने जन्म का लाभ पाया है। ऐसी उदाहरणें संसार में कम देखने को मिलती हैं। लेकिन ऐसा लाभ प्राप्त करने वालों में भारत देश के पंजाब प्रांत के बरनाला शहर में रहने वाले श्रीमद भागवत के कुशल ज्ञाता, कर्मठी, उदारधी, उदियोदित, ब्रह्मचारी परम आदरणीय श्री रौशन लाल कपिल थे जो वास्तव में भारतीय संस्कृति की उदाहार थे। जिन्होंने संसारिक यात्रा को विराम देने के लिए 04 जनवरी 2018 को अंतिम सांस ली। परम श्रद्धेय श्री रोशन लाल कपिल का जन्म जिला के गांव ठुल्लीवाल में वर्ष 1942 के दौरान हुआ था। जिन्होंने वहां के एक संन्यासी व ज्योतिषाचार्य से शिक्षा लेने के दौरान ही उनके शिष्य बन गए। उन्ही का मार्गदर्शन लेकर भारतवर्ष में तप-यज्ञ करते रहे।

परम श्रद्धेय श्री रोशन लाल कपिल जी जिन्होंने 22 वर्ष की उम्र में काशी विद्यापीठ गुरुकुल में रहकर अध्यात्म और ज्योतिष विद्या प्राप्त की थी उनके अंग-संग रहने वाले उनके मित्र व शिष्य जो उन्हें गुरु जी के नाम से ही जानते थे। उनका कहना है कि गुरु जी की स्मरण शक्ति अद्भुत थी। अपने समकालीन सभी धर्म गुरुओं, साधु-संतजनों, शंकराचार्यों व धर्माचार्यों के साथ उनका निजी स्नेह व संबंध था। जो ज्ञान का पाठ पढ़ाते वक्त श्री राम चरित मानस, श्री मद भागवत गीता, श्री गुरु ग्रंथ साहिब, ऋृग वेद, साम वेद, यर्जुवेद अर्थव वेद और अन्य असंख्य पावित्र ग्रंथों से उदाहरणें लेते थे। गुरुदेव श्री रोशन लाल कपिल जी राजनीती में विश्व स्तर पर पहचान रखते थे।

भूतपूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा के सबसे करीबी संबंध रखने वालों में थे। देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री रहे गुलजारी लाल नंदा खुद संत प्रवृति के थे उनके साथ स्व. रोशन लाल कपिल की भेंटवार्ता हरिद्वार व दिल्ली में आयोजित हुए संत सम्मेलनों में हुई थी। घर से मिले रिकार्ड के अनुसार भूतपूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा जो खुद मानव धर्म मिशन के प्रधान और भारतीय लोक मंच के चीफ कन्वीनर थे ने कपिल जी को अपने साथ जोड़ लिया। उन्हें कपिल देवज्ञा के नाम से संबोधित कर उनसे शासन-प्रशासन की बातें अपडेट करते रहे थे। 6/2/1982 के पत्र के अनुसार गुलजारी लाल नंदा
बरनाला-धूरी मार्ग पर स्थित रणीके शिव मंदिर पहुंचे थे। जहां वे स्व. रोशन लाल कपिल के साथ 21/22/23 फरवरी 1982 को तीन दिन तक रहे। उन्होंने प्रधानमंत्री नंदा जी के साथ जिला संगरूर में स्थित भगवान शिव के धाम में तीन दिन तप व यज्ञ किया।

उल्लेखनीय है कि कुरुक्षेत्र की धरती पर बने सूर्यकुंड का नवीनीकरण कराने के लिए गुलजारी लाल नंदा ने जिम्मेदारी रोशन लाल कपिल जी को दी थी। उसके बाद स्व. रोशन लाल कपिल जी का एक बार इंग्लेंड जाना हुआ। वहां उन्होंने हिंदु धर्म व संस्कृति का प्रचार करने के लिए वहां रहते हिंदुओं व हिंदु
विचारधारा अपनाने वालों को इकजुट किया था। तत्कालीन राजनेताओं के साथ साथ विदेशों में भी लोगों को हिंदु संस्कृति के साथ जुडऩे को प्रेरित किया। हर प्रस्थितीयों में मुकाबला करने के लिए वे सदैव तत्पर रहते थे। उन्होंने वहां स्वामी विवेकानंद और माता आनंदामयी की शिक्षाओं का प्रचार किया था और बहुत से लोगों को उनकी विचारधाराओं से जोड़ा। परम श्रद्धेय श्री रोशन लाल कपिल जी भारतीय संस्कृति के सच्चे सपूत थे।