मऊ 20 नवम्बर( मोहमद अरशद) प्रदेश में आम की अच्छी उत्पादकता सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण से यह आवष्यक है कि आम की फसल को सम-सामयिक हानिकारक कीटों से बचाने हेतु उचित समय पर प्रबन्धन किया जाय। यह नवम्बर माह अत्यन्त महत्वपूर्ण है, इस माह में गुजिया एवं िमज कीट का प्रकोप प्रारम्भ होंता है जिससे फसल को काफी क्षति पहुॅंचाती है। अतएव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग,उ0प्र0 द्वारा बागवानों को कीट के प्रकार एवं प्रकोप के नियन्त्रण हेतु निम्नलिखित सलाह दी जाती है।
गुजिया कीट के शिशु जमीन से निकल कर पेड़ों पर चढ़ते हैं और मुलायम पत्तियों, मंजरियों एवं फलों से रस चूसकर क्षति पहुॅंचाते हैं। इसके शिशु कीट 1-2 मिमी0 लम्बे एवं हल्के गुलाबी रंग के चपटे तथा मादा वयस्क कीट सफेद रंग के पंखहीन एवं चपटे होते हैं। इस कीट के नियन्त्रण के लिए बागों की गहरी जुताई/गुड़ाई की जाय तथा शिशु कीट को पेड़ों पर चढने से रोकने के लिए माह नवम्बर-दिसम्बर में आम के पेड़ों के मुख्य तने पर भूमि से 50-50 सेमी0 की ऊॅंचाई पर 400 गेज की पाॅलीथीनशीट की 50 सेमी0 चैड़ी पट्टी को तने के चारो ओर लपेट कर ऊपर व नीचे सुतली से बाॅंध कर पालीथीन के सीट के ऊपरी व नीचले हिस्से पर ग्रीस लगा देना चाहिए जिससे कीट पेड़ों के ऊपर न चढ सकें। इसके अतिरिक्त शिशुओं को जमीन पर मारने के लिए दिसम्बर के अन्तिम या जनवरी के प्रथम सप्ताह से 15-15 दिन के अन्तर पर दो बार क्लोरोपाइरीफास (1.5 प्रतिशत) चूर्ण 250 ग्राम प्रति पेड़ के हिसाब से तने के चारो ओर बुरकाव करना चाहिए। अधिक प्रकोप की स्थिति में यदि कीट पेड़ों पर चढ जाते हैं तो ऐसी दशा में मोनोक्रोटोफाॅस 36 ई0सी0 1.00 मिली0 अथवा डायमेथोएट 30 ई0सी0 2.00 मिली0 दवा को प्रति लीटर पानी में घोल बना कर आवश्यकतानुसार छिड़काव करें।
इसी प्रकार आम के बौर में लगने वाले मिज कीट मंजरियों,तुरन्त बने फूलों एवं फलों तथा बाद में मुलायम कोपलों में अण्डे देती हैं, जिसकी सूड़ी अन्दर ही अन्दर खाकर क्षति पहुॅंचाती हैं। इस कीट के नियन्त्रण के लिए यह आवश्यक है कि बागों की जुताई/गुड़ाई की जाय तथा समय से कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए। इसके लिए फेनिट्रोथियान 50 ई0सी 1.00 मिली0 अथवा डायजिनान 20 ई0सी0 2.00 मिली0 अथवा डायमेथोएट 30 ई0सी0 1.50 मिली0 दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर बौर निकलने की अवस्था पर एक छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।
उक्त आशय की जानकारी जिला उद्यान अधिकारी,मऊ द्वारा दी गयी।
मऊ 20 नवम्बर( मोहमद अरशद) प्रदेश में आम की अच्छी उत्पादकता सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण से यह आवष्यक है कि आम की फसल को सम-सामयिक हानिकारक कीटों से बचाने हेतु उचित समय पर प्रबन्धन किया जाय। यह नवम्बर माह अत्यन्त महत्वपूर्ण है, इस माह में गुजिया एवं िमज कीट का प्रकोप प्रारम्भ होंता है जिससे फसल को काफी क्षति पहुॅंचाती है। अतएव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग,उ0प्र0 द्वारा बागवानों को कीट के प्रकार एवं प्रकोप के नियन्त्रण हेतु निम्नलिखित सलाह दी जाती है।
गुजिया कीट के शिशु जमीन से निकल कर पेड़ों पर चढ़ते हैं और मुलायम पत्तियों, मंजरियों एवं फलों से रस चूसकर क्षति पहुॅंचाते हैं। इसके शिशु कीट 1-2 मिमी0 लम्बे एवं हल्के गुलाबी रंग के चपटे तथा मादा वयस्क कीट सफेद रंग के पंखहीन एवं चपटे होते हैं। इस कीट के नियन्त्रण के लिए बागों की गहरी जुताई/गुड़ाई की जाय तथा शिशु कीट को पेड़ों पर चढने से रोकने के लिए माह नवम्बर-दिसम्बर में आम के पेड़ों के मुख्य तने पर भूमि से 50-50 सेमी0 की ऊॅंचाई पर 400 गेज की पाॅलीथीनशीट की 50 सेमी0 चैड़ी पट्टी को तने के चारो ओर लपेट कर ऊपर व नीचे सुतली से बाॅंध कर पालीथीन के सीट के ऊपरी व नीचले हिस्से पर ग्रीस लगा देना चाहिए जिससे कीट पेड़ों के ऊपर न चढ सकें। इसके अतिरिक्त शिशुओं को जमीन पर मारने के लिए दिसम्बर के अन्तिम या जनवरी के प्रथम सप्ताह से 15-15 दिन के अन्तर पर दो बार क्लोरोपाइरीफास (1.5 प्रतिशत) चूर्ण 250 ग्राम प्रति पेड़ के हिसाब से तने के चारो ओर बुरकाव करना चाहिए। अधिक प्रकोप की स्थिति में यदि कीट पेड़ों पर चढ जाते हैं तो ऐसी दशा में मोनोक्रोटोफाॅस 36 ई0सी0 1.00 मिली0 अथवा डायमेथोएट 30 ई0सी0 2.00 मिली0 दवा को प्रति लीटर पानी में घोल बना कर आवश्यकतानुसार छिड़काव करें।
इसी प्रकार आम के बौर में लगने वाले मिज कीट मंजरियों,तुरन्त बने फूलों एवं फलों तथा बाद में मुलायम कोपलों में अण्डे देती हैं, जिसकी सूड़ी अन्दर ही अन्दर खाकर क्षति पहुॅंचाती हैं। इस कीट के नियन्त्रण के लिए यह आवश्यक है कि बागों की जुताई/गुड़ाई की जाय तथा समय से कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए। इसके लिए फेनिट्रोथियान 50 ई0सी 1.00 मिली0 अथवा डायजिनान 20 ई0सी0 2.00 मिली0 अथवा डायमेथोएट 30 ई0सी0 1.50 मिली0 दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर बौर निकलने की अवस्था पर एक छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।
उक्त आशय की जानकारी जिला उद्यान अधिकारी,मऊ द्वारा दी गयी।