ग्वालियर। २३ सितम्बर [सी एन आई ] डबरा में स्थापित विष्व प्रसिद्ध दि ग्वालियर शुगर मिल के नाम से प्रसिद्ध शक्कर कारखाने को स्थानीय राजनीति और मजदूरों के झगड़े तथा अवैध बसूली खा गई वहीं बदहाल सड़कों और बिजली समस्या तथा राजनैतिक दखलअंदाजी के चलते अन्य कई लघु उद्योग धान मिल, दाल मिल, तेल मिल, पोहा मिल तथा अन्य उद्योग बंद होने के कगार पर हैं। सूत्रों के अनुसार म.प्र. की प्रमुख मंडी डबरा में मिलों की बहुत आयत थी करीब दो सैकड़ा पोहा, दाल, चावल, तेल मिलें थीं। लेकिन आज पोहा मिल 4 या 5 चालू हैं, इसी प्रकार तेल मिल करीब डेढ़ सौ थे, जो बिजली विभाग और अन्य विभागों की नीतियों के कारण बंद होते गये, व्यापारी परेषान होकर पलायन करते गये, मजदूर बेरोजगार होते गये, यही हाल चावल मिलों का हुआ। पूर्व में करीब दो दर्जन चावल मिल हुआ करते थे अब मात्र 5 चल रहे हैं। पूर्व 50 दाल मिल हुआ करते थे अब मात्र 4 संचालित हैं। रोजगार के साधन खत्म होने से मजदूर एवं व्यापारियों ने पलायन भी किया। परिवहन यातायात के साधन न होना, खराब सड़कें, बिजली व्यवस्था की कमीं, बिजली विभाग द्वारा मनमानी कार्यवाही, कुछ खास लोगों को औद्योगिक कनेक्षन नगर में औद्योगिक क्षेत्र न होने पर भी देना, इस भेदभाव के चलते अन्य उद्योग खत्म हो गये। राजनीतिक दखलअंदाजी से भी उद्योग प्रभावित हुये। जनप्रतिनिधियों का उद्योग चालू कराने में कोई ध्यान नहीं रहा। डबरा इंका विधायक इमरतीदेवी का कहना हैं कि विधानसभा में कई बार प्रष्न उठाया गया है कि बिजली समस्या और अव्यवस्था के कारण क्षेत्र की मिलें बंद हो रही हैं। शुगर मिल के बंद होने में भाजपा सरकार पर आरोप लगाये, विधायक का कहना था कि फिर भी पूरा प्रयास किया जायेगा कि बंद मिलों को चालू कराया जाये।
ग्वालियर। २३ सितम्बर [सी एन आई ] डबरा में स्थापित विष्व प्रसिद्ध दि ग्वालियर शुगर मिल के नाम से प्रसिद्ध शक्कर कारखाने को स्थानीय राजनीति और मजदूरों के झगड़े तथा अवैध बसूली खा गई वहीं बदहाल सड़कों और बिजली समस्या तथा राजनैतिक दखलअंदाजी के चलते अन्य कई लघु उद्योग धान मिल, दाल मिल, तेल मिल, पोहा मिल तथा अन्य उद्योग बंद होने के कगार पर हैं। सूत्रों के अनुसार म.प्र. की प्रमुख मंडी डबरा में मिलों की बहुत आयत थी करीब दो सैकड़ा पोहा, दाल, चावल, तेल मिलें थीं। लेकिन आज पोहा मिल 4 या 5 चालू हैं, इसी प्रकार तेल मिल करीब डेढ़ सौ थे, जो बिजली विभाग और अन्य विभागों की नीतियों के कारण बंद होते गये, व्यापारी परेषान होकर पलायन करते गये, मजदूर बेरोजगार होते गये, यही हाल चावल मिलों का हुआ। पूर्व में करीब दो दर्जन चावल मिल हुआ करते थे अब मात्र 5 चल रहे हैं। पूर्व 50 दाल मिल हुआ करते थे अब मात्र 4 संचालित हैं। रोजगार के साधन खत्म होने से मजदूर एवं व्यापारियों ने पलायन भी किया। परिवहन यातायात के साधन न होना, खराब सड़कें, बिजली व्यवस्था की कमीं, बिजली विभाग द्वारा मनमानी कार्यवाही, कुछ खास लोगों को औद्योगिक कनेक्षन नगर में औद्योगिक क्षेत्र न होने पर भी देना, इस भेदभाव के चलते अन्य उद्योग खत्म हो गये। राजनीतिक दखलअंदाजी से भी उद्योग प्रभावित हुये। जनप्रतिनिधियों का उद्योग चालू कराने में कोई ध्यान नहीं रहा। डबरा इंका विधायक इमरतीदेवी का कहना हैं कि विधानसभा में कई बार प्रष्न उठाया गया है कि बिजली समस्या और अव्यवस्था के कारण क्षेत्र की मिलें बंद हो रही हैं। शुगर मिल के बंद होने में भाजपा सरकार पर आरोप लगाये, विधायक का कहना था कि फिर भी पूरा प्रयास किया जायेगा कि बंद मिलों को चालू कराया जाये।