एससी कमीशन ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को दलित उत्पीड़न के बढ़ रहे मामलों से अवगत कराया

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अमृतसर 9 सितंबर(धर्मवीर गिल लाली)राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एससी कमीशन) की टीम ने उत्तर प्रदेश में दलितों की स्तिथि को मद्देनज़र रखते हुए स्टेट का रिव्यु रखा। आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर पी एल पूनिया की अध्यक्षता में आयोजित इस रिव्यु में आयोग के उपाध्यक्ष डॉक्टर राजकुमार वेरका ने उत्तर प्रदेश में दलितों की ख़राब स्तिथि पर चिंता व्यक्त की। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खुद आकर आयोग का स्वागत किया। डॉक्टर वेरका ने बताया कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को दलित उत्पीड़न के बढ़ रहे मामलों से अवगत कराया और इस पर नकेल कसने के लिए राज्य के सभी बड़े अधिकारीयों को निर्देश दिए। डॉक्टर वेरका के मुताबिक मुख्यमंत्री ने आयोग को विश्वास दिलाया है कि दलित उत्पीड़न में मामलों पर नकेल डालने के लिए वो पुलिस और जिला प्रशासन को कड़क निर्देश देंगे।

डॉक्टर वेरका ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 2014 में दलित उत्पीड़न की थानों में दर्ज घटनाओं को देखें तो बहुत गंभीर हालात दिखते हैं, दलितों की हत्या से जुड़े 237 मामले, आगजनी से जुड़े 27 मामले, बलात्कार से जुड़े 413 मामले, गंभीर चोटों से जुड़े 327 मामले अन्य अपराधों से जुड़े 6573 मामले यानि अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण कानून के अंतर्गत 7577 अभियोग दर्ज किए गए। बहुत सारी घटनाओं को थानों में दर्ज ही नही किया जाता, दर्ज घटनाएं भी पूरी सच्चाई को उजागर नहीं करतीं, क्योंकि पुलिस प्रशासन की सामंती मानसिकता के चलते कुछ आपराधिक घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज करने की बजाय पुलिस मामले को रफा दफा कर देती है और थाने से भगा देती है।

उन्होंने कहा कि यदि दलित जातियों के लोग सामाजिक बराबरी और सार्वजनिक सुविधाओं के लिए अपने अधिकारों की मांग करते हैं तो उन्हें गंदी गालियों व शारीरिक हमलों का शिकार होना पड़ता है, सामंती मानसिकता वाले गुंडा गिरोह दलितों की मारपीट, हत्या, महिलाओं से बलात्कार, आगजनी जैसे अपराध करने से जरा भी नहीं हिचकते हैं।

डॉक्टर वेरका ने कहा है कि अनुसूचित जाति/ जनजाति सब प्लान के तहत आवंटित बजट में केंद्र सरकार ने कटौती की है, जहां 2014-15 के बजट में 82,935 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे, वहीं बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2015-16 के बजट में केवल 50,830 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं, यानि कुल 32,105 करोड़ रुपए की भारी कटौती की गई है, जबकि अनुसूचित जाति/ जनजाति की आबादी के अनुपात में यह धनराशि आवंटित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे दलितों के विकास पर बहुत विपरीत प्रभाव पड़ेगा, खासकर दलितों, महिलाओं तथा गरीबों का विकास रुकेगा। डॉक्टर वेरका ने मुख्यमंत्री को इस बात से भी आगाह किया कि राज्य स्तरीय विजिलेंस तथा मॉनिटरिंग कमेटी की मीटिंग पिछले कई सालों से नहीं की गयी है, ये मीटिंग मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होती है। आखरी मीटिंग 2011 में की गयी थी। मुख्यमंत्री ने इस पर अफ़सोस जाहिर किया।