गड़बड़झाला: मैरिज पैलेस नहीं भर रहे सौ फीसद टैक्स, अधिकारी कह रहे हैं विभाग का टारगेट हो रहा पूरा

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बरनाला, 20 नवम्बर (अखिलेश बंसल/विपन गुप्ता) कहते हैं जब बाढ़ ही खेत को खाने लगे तो उस खेत की रखवाली करना मुशिकल ही नही नामुमकिन हो जाती है। मैरिज पैलेसों के मालिकों द्वारा ना तो सौ फीसद आबकारी कर भरा जा रहा है और ना ही जीएसटी। लेकिन छोटे अधिकारी कह रहे हैं विभाग का रेवेन्यू टारगेट पूरा हो रहा है। यह खुल्लासा आबकारी व कर विभाग के एक छोटे अधिकारी द्वारा आपत्तीजनक ब्यान देने से हुआ है। यही कारण हैं जिससे विभाग के कोष को हर साल करोड़ों/अरबों रुपयों का चूना लग रहा है। जिसको लेकर उच्चाधिकारियों ने जांच-पड़ताल करवाने की बात कही है।
स्टिंग आप्रेशन से मामला आया सामने:
बरनाला से पटियाला, बरनाला से लुधियाना, बरनाला से बठिंडा और बरनाला से मानसा रूटों के साथ-साथ शहरों के अन्दर स्थित पैलेसों और रिजोर्टसों में 11 नवंबर की तरह 19 नवंबर को भी सबसे ज्यादा शादियां हुई। जहां मेजबान के आमंत्रण पर सैंकड़ों-हजारों मेहमान पहुंचे। जिनकी संख्या पैलेसों के बाहर
खड़े वाहनों से साफ आंकी गई। लेकिन संबंधित आबकारी व कर विभाग तथा जीएसटी कर विभाग के पास अधिकांश पैलेस मालिकों द्वारा मात्र 10 फीसदी की ही नोटिंग दर्ज हुई। ज्यादा से ज्यादा रेवेन्यू एकत्रित करने को लेकर विभाग अधिकारियों की यह जिम्मेवारी होती है कि वे खुद लैगवर्क करके टैक्स की वसूली करें, लेकिन उन्होंने खानापूर्ति टेबल पर बैठ ही कर दी।
ग्रामीणों को अधिकारी इस तरह करते हैं परेशान: गांवों से आए भोले भाले लोगों के सामने बड़े-बड़े फार्म सामने रख दिए जाते हैं। जिन्हें भरने के लिए उनसे (बुकिंग के लिए पैलेस मालिकों को कितने पैसे दिए, हलवाई को कितने पैसे दिए, उनके संपर्क नंबर क्या हैं, विस्की का लायसेंस देने के लिए विस्की पीने वाले कितने बराती व मेहमान पहुंचेंगे) आदि सवाल किए जाते हैं। जिसका साक्षात नजारा आबकारी व कर
विभाग कार्याल्य में देखने को मिला। सोमवार की सुबह गांव चीमा से एक लडक़ी के परिजन लायसेंस लेने पहुंचे थे। जहां सीट पर बैठे एक इंसपेक्टर ने उनके आगे उक्त सवाल रख दिए। जिसको लेकर ग्रामीण झल्ला उठे। उसके बाद उन्होंने एक-एक करके जवाब भी दे दिया, लेकिन उन्हें लायसेंस देने के लिए लटका दिया। उसी दौरान कुछ लोग दूसरे गांव से पहुंचे। जिन्होंने पहले ग्रामीण की हालत देखते हुए तुरन्त एक वकील को लेकर आबकारी व कर विभाग कार्याल्य पहुंचे। उन्होंने बताया कि यदि यही लायसेंस पैलेस मालिकों ने लेना हो तो काम फटाफट हो जाता है।
इन सवालों की हो जांच:
समाजसेवी संस्थाओं का कहना है कि यदि एक्साईज विभाग, कर व आबकारी विभाग तथा मैरिज पैलेसों के मालिकों की आय व नामी/बेनामी संपत्तियों, पॉश एरीया में आलीशान बनाई गई कोठियों, बाहरी प्रान्तों के कान्वेंट स्कूलों में लाखों रुपए खर्च कर पढ़ाए जा रहे बच्चों के मामले की जांच सीबीआई से करवाई जाए तो बहुत से तथ्य ऐसे सामने आएंगे जो सरकार को हैरान कर देंगे। जिसके बाद सरकारी खजाने भी मालामाल हो सकेंगे। जो अधिकारी फील्ड में जाकर काम करने की बजाय दफ्तर में ही बैठ अपनी जेबें गर्म कर रहे हैं उनकी ड्यूटियां ऐसी जगह पर लगाई जाएं जहां घूसखोरी का नामोनिशां ना हो।
समाजसेवियों का यह भी कहना है कि सरकारी विभागों में नौकरियां पाने से पहले उक्त अधिकारियों के पास सैकेंड-हैंड स्कूटर तक नहीं होता, लेकिन दो-तीन साल का तजुर्बा हासिल होते ही बड़ी-बड़ी कारों व कोठियों के मालिकबन जाते हैं।
विभाग का रेवेन्यू टारगेट पूरा: बार-बार पूछने पर भी आबकारी व कर विभाग के छोटे अधिकारी ने अपना नाम नहीं बताते हुए कहा कि पैलेसों में होते समागमों में पहुंचते लोगों की संख्या पता लगाने की कोई जरूरत नहीं रही। विभाग का टारगेट पूरा हो रहा है। इस लिए आराम से दफतर में बैठो, मैच का आनन्द लो और महीना होने पर वेतन लो।
यह कहते हैं अधिकारी:
आबकारी व कर विभाग के सहायक कमिश्नर राजीव गर्ग का कहना है कि किसी इंसपेक्टर को ऐसा कहने का कोई अधिकार नहीं कि विभाग का टारगेट पूरा हो गया है या हो रहा है, जैसी बयानबाज़ी कर सकें। जिस अधिकारी ने ऐसा कहा है उसकी जांच की जाएगी और उसके समेत सभी इंस्पैक्टरों को पैलेसों में हो रहे फंक्शनों की गैदरिंग नोट करने की ड्यूटी लगाई जाएगी, ताकि सही आंकड़ों का
पता लगाया जा सके।