जनवरी में सियासत गर्माएंगे केजरीवाल,सियासतदानों को कंपकपी,कैप्टन बिछायेंगे पलक पावड़े
चंडीगढ़ ; आरके शर्मा /एनके धीमान /करण शर्मा /गगनदीप सिंह ;—-उतरी भारत में कड़ाके की सर्दी अभी भी डरती 2 दस्तक दे रही है पर दिल्ली में सर्दी और केजरीवल की कारगुजारी की गर्माहट बढ़ रही है ! पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और भाजपा मिलकर रैली करके लोगों में अपने बौने होते आधार को नई ऊंचाई देने में मशगूल हैं तो कांग्रेस के कमांडर बने अमरेंद्र सिंह सियासत में और कांग्रेस की बुझ सी गई लौ को फिर से रोशन करने में सर्दी से लोहा लेने की रणनीति बनाने में मशरूफ हैं ! केजरीवाल नए सपने संजोये अब जल्दी ही पंजाब सूबे की ओर रुखसत होंगे ! पार्टी के भीतरी सूत्रों की मानें तो केजरीवाल पंजाब में कड़ाके की सर्दी में शिअद और भाजपा के खेमे की गर्माहटों को ठंडा करने और अपनी सियासत की स्लाइयां तपाने धमक रहे हैं ! केजरीवाल के महज उक्त फरमान से ही पंजाब के सियासतदाओं के तेवर ढीले देखे जा सकते हैं ! कल तक जो इक दूजे से अलग अलग आशियाने बसाने और सजाने के सपने के देख रहे थे आज वक़्त की लाठी की मार भांप कर परस्पर जुड़ जुड़ कर बैठने शुरू हो गए हैं ! कैप्टन ने केजरीवाल की दिल्ली की कारगुजारी की नुक्ताचीनी शुरू की और नई पहल से केजरीवाल के लिए जनता में जाने के रास्ते में सोच कर बारूद बिछा दिया ! यूँ तो कैप्टन कांग्रेस की क्षति को पहले ही मझधार से और अपनों की बगावत के तुफान से सुरक्षित और सफलता पूर्वक निकाल लाये थे पर अब जंग अपनों से और फिर आम आदमी पार्टी के साथ शिअद भाजपा के सिपहसालारों से है ! जनता को कथित तौर पर जंगलराज से मुक्ति चाहिए ! वक़्त की पॉवर बताएगी कि जनता किस के हुंकार का दम भरेगी ! बहुजन समाज पार्टी तो पंजाब में आखिरी सांस कब लिए थी वो खुद नहीं बताने की जुगत में हैं ! छुटपुट आजाद कब बहरूबिये होकर स्वार्थ की पतली गली में निकल पड़ें ये खुद भी नहीं जानते ! सूबा अपनी फेरबदली वाली पहचान सियासती स्वार्थों और निजी हक़परस्तों के रौब के आगे नेस्तनाबूद हो चूका सब जानते हैं ! केजरीवाल पंजाब को सस्ते में और सरलपने से जीतने की कवायद अपने अंदर मौजूदा दौर में देख रहे हैं ! कैप्टन आदतन बड़बोले हैं सो केजरीवाल को महज फ़ुटबाल समझ रहे हैं ! जिसको सूबे रूपी मैदान से कब फैकना वो माहिर हैं ! इम्प्लाइज तबके की कानाफूसी सुनें तो कैप्टन अब उनके लिए कौआ नहीं कोयल है ! ओस जगजाहिर सी बात है कोयल कितनी चालक और मौकापरस्त होती है ! शिअद के सिंह सुखबीर सिंह बादल के लिए कैप्टन और केजरीवाल अपनी सियासी पार्टनर के सर्वेसर्वा अमित शाह से कहीं कम नहीं हैं का अनुमान लिए हुए हैं ! अब कैप्टन की मौजूदगी और केजरीवाल की कनखी से देखने की मंशा सुखबीर सिंह बादल के लिए नई चुनौती देगी ! ऐसे में भाजपा का सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा और क्या रंग बदलेगा ये इन दोनं के लिए गिरगिट तुल्य हो चूका है ! आम रियाया के पेट पर पड़ते बल दस साल के “राज नहीं बल्कि सेवा” को भविष्य में फिर से न देखने की कसमें खा रहे हैं ! केजरीवाल के आम आदमी से हटते कदम उनका मोह बंग करने के लिए काफी हैं ! अब ये कैप्टन की कमांड क्या लाभ लेगी, कयासों की कहानी चरम की राह पे है ! जनवरी में संक्रांति माघ मेला का पंजाबी सियासी इक्ठ्ठ अब एक और नई स्टेज के आगे बैठने को आतुर है ! ये स्टेज जरूरी नहीं मेले के दौरान सब सियासतदानों के साथ या सामने लगे ! इनकी आमद तादाद के बाद तय करना होगा ब्यूरोक्रेट् केजरीवाल को कि जनता इनकी रैली के मोह से बाहर कैसे लानी होगी ! इस कला में वो कितने मंझे ये सूबे की जनता को देखना है ! सच तो ये है कि दो रंग का इक जहाज डूबने वाला है सो कई दिग्गज चूहे बाहर का रास्ता ताकने शुरू हो गए हैं ! और देखो सियासत की नुहार अभी से नए दूल्हे बने ने ग्रीन कार्पेट बिछाने की बिसात भी छेड़ दी है ! जल्दी ही इस कार्पेट पे नए कदम पडते दिखें तो हैरत में न जाएँ ये सियासत है भई सियासत !
जनवरी में सियासत गर्माएंगे केजरीवाल,सियासतदानों को कंपकपी,कैप्टन बिछायेंगे पलक पावड़े
चंडीगढ़ ; आरके शर्मा /एनके धीमान /करण शर्मा /गगनदीप सिंह ;—-उतरी भारत में कड़ाके की सर्दी अभी भी डरती 2 दस्तक दे रही है पर दिल्ली में सर्दी और केजरीवल की कारगुजारी की गर्माहट बढ़ रही है ! पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और भाजपा मिलकर रैली करके लोगों में अपने बौने होते आधार को नई ऊंचाई देने में मशगूल हैं तो कांग्रेस के कमांडर बने अमरेंद्र सिंह सियासत में और कांग्रेस की बुझ सी गई लौ को फिर से रोशन करने में सर्दी से लोहा लेने की रणनीति बनाने में मशरूफ हैं ! केजरीवाल नए सपने संजोये अब जल्दी ही पंजाब सूबे की ओर रुखसत होंगे ! पार्टी के भीतरी सूत्रों की मानें तो केजरीवाल पंजाब में कड़ाके की सर्दी में शिअद और भाजपा के खेमे की गर्माहटों को ठंडा करने और अपनी सियासत की स्लाइयां तपाने धमक रहे हैं ! केजरीवाल के महज उक्त फरमान से ही पंजाब के सियासतदाओं के तेवर ढीले देखे जा सकते हैं ! कल तक जो इक दूजे से अलग अलग आशियाने बसाने और सजाने के सपने के देख रहे थे आज वक़्त की लाठी की मार भांप कर परस्पर जुड़ जुड़ कर बैठने शुरू हो गए हैं ! कैप्टन ने केजरीवाल की दिल्ली की कारगुजारी की नुक्ताचीनी शुरू की और नई पहल से केजरीवाल के लिए जनता में जाने के रास्ते में सोच कर बारूद बिछा दिया ! यूँ तो कैप्टन कांग्रेस की क्षति को पहले ही मझधार से और अपनों की बगावत के तुफान से सुरक्षित और सफलता पूर्वक निकाल लाये थे पर अब जंग अपनों से और फिर आम आदमी पार्टी के साथ शिअद भाजपा के सिपहसालारों से है ! जनता को कथित तौर पर जंगलराज से मुक्ति चाहिए ! वक़्त की पॉवर बताएगी कि जनता किस के हुंकार का दम भरेगी ! बहुजन समाज पार्टी तो पंजाब में आखिरी सांस कब लिए थी वो खुद नहीं बताने की जुगत में हैं ! छुटपुट आजाद कब बहरूबिये होकर स्वार्थ की पतली गली में निकल पड़ें ये खुद भी नहीं जानते ! सूबा अपनी फेरबदली वाली पहचान सियासती स्वार्थों और निजी हक़परस्तों के रौब के आगे नेस्तनाबूद हो चूका सब जानते हैं ! केजरीवाल पंजाब को सस्ते में और सरलपने से जीतने की कवायद अपने अंदर मौजूदा दौर में देख रहे हैं ! कैप्टन आदतन बड़बोले हैं सो केजरीवाल को महज फ़ुटबाल समझ रहे हैं ! जिसको सूबे रूपी मैदान से कब फैकना वो माहिर हैं ! इम्प्लाइज तबके की कानाफूसी सुनें तो कैप्टन अब उनके लिए कौआ नहीं कोयल है ! ओस जगजाहिर सी बात है कोयल कितनी चालक और मौकापरस्त होती है ! शिअद के सिंह सुखबीर सिंह बादल के लिए कैप्टन और केजरीवाल अपनी सियासी पार्टनर के सर्वेसर्वा अमित शाह से कहीं कम नहीं हैं का अनुमान लिए हुए हैं ! अब कैप्टन की मौजूदगी और केजरीवाल की कनखी से देखने की मंशा सुखबीर सिंह बादल के लिए नई चुनौती देगी ! ऐसे में भाजपा का सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा और क्या रंग बदलेगा ये इन दोनं के लिए गिरगिट तुल्य हो चूका है ! आम रियाया के पेट पर पड़ते बल दस साल के “राज नहीं बल्कि सेवा” को भविष्य में फिर से न देखने की कसमें खा रहे हैं ! केजरीवाल के आम आदमी से हटते कदम उनका मोह बंग करने के लिए काफी हैं ! अब ये कैप्टन की कमांड क्या लाभ लेगी, कयासों की कहानी चरम की राह पे है ! जनवरी में संक्रांति माघ मेला का पंजाबी सियासी इक्ठ्ठ अब एक और नई स्टेज के आगे बैठने को आतुर है ! ये स्टेज जरूरी नहीं मेले के दौरान सब सियासतदानों के साथ या सामने लगे ! इनकी आमद तादाद के बाद तय करना होगा ब्यूरोक्रेट् केजरीवाल को कि जनता इनकी रैली के मोह से बाहर कैसे लानी होगी ! इस कला में वो कितने मंझे ये सूबे की जनता को देखना है ! सच तो ये है कि दो रंग का इक जहाज डूबने वाला है सो कई दिग्गज चूहे बाहर का रास्ता ताकने शुरू हो गए हैं ! और देखो सियासत की नुहार अभी से नए दूल्हे बने ने ग्रीन कार्पेट बिछाने की बिसात भी छेड़ दी है ! जल्दी ही इस कार्पेट पे नए कदम पडते दिखें तो हैरत में न जाएँ ये सियासत है भई सियासत !