जिन्दगी दरबाजे को सीट बना बस मालिक कर रहे कमाई, नहीं आरटीओ का डर।

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ग्वालियर।११ अक्टूबर [सीएन आई ] प्रदेष में हुये बस हादसे के बाद कुछ दिनों मंत्री, अधिकारी सहित सभी के बयान गर्म-गर्म आये कि बसें नियम से चलेंगी, लेकिन बस माफिया नियमों की धज्जियां उड़ाते हुये, दूसरे दरबाजे तथा आपातकालीन दरबाजे की जगह सीटें रखकर दरबाजे नहीं बनाकर लोगों की जान से खेल रहे हैं, धड़ल्ले से अपात्र चालक प्रायवेट बसें तेजी से चलाकर दुर्घटनाएं कर रहे हैं, 52 सीटों वाली बसों में अनिवार्य रूप से 2 गेट होना चाहिये। स्लीपर में आपातकालीन खिड़की होना चाहिये, बसों में पिछला दरबाजा अनिवार्य होना चाहिये तथा अग्नि शमन यंत्र, फर्स्ट एड बॉक्स होना चाहिये और काले शीषे नहीं होना चाहिये। ग्वालियर, डबरा, दतिया से प्रतिदिन सैकड़ों बसें इंदौर, जयपुर, अहमदाबाद, भोपाल, कानपुर, मुरैना, भिंड, दतिया, षिवपुरी, गुना रूठ झांसी आदि मार्गों से चलती हैं, प्रत्येक थाना लगभग हर बस वाले का बंधा होना बताया जाता है। परिवहन विभाग को टैक्स की चोरी कर आर्थिक चपत लगाई जाती है। चूंकि रात्रि में बसें चलती हैं और अधिकारियों, नेताओं की सवारियां फ्री जाती हैं। इसलिये रात्रि में यह काला कारोबार धड़ल्ले से चलता है। पिछले गेट में लगी सीट पर चार लोगों को इंदौर या अहमदाबाद ले जाने पर किराये के रूप में प्रतिदिन 3 से 4 हजार रूपये बस संचालक कमा रहे हैं, हजारों रूपये के लिये बस संचालक लोगों की जान से खेलते हुये, पिछला गेट खोलने तथा आपात कालीन गेट के लिये तैयार नही हैं। शासन की नीतियों निर्देषों को अंगूठा दिखाकर बस संचालक शासन पर हाबी हैं, सुप्रीम कोर्ट के निर्देषों का जमकर उल्लघन किया जा रहा है। डॉ0 शैलेन्द्र श्रीवास्तव परिवहन आयुक्त ने पत्रकारों को बताया कि जो भी अफसर लापरवाही बरतेगा और संबंधित बस संचालक नियमों का पालन नहीं करेगा, कड़ी कार्यवाही की जायेगी। न्यायालय के आदेषों का पालन कराया जायेगा। bus