जिस पर एसआईटी के हाथ कांपे, वहीं से सीबीआई की कार्यवाही शुरू।

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ग्वालियर17 जुलाई ( द्धारका हुकवानी ) भाजपा में सत्ता के निकट राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त गुलाब सिंह किरार तथा भाजपा नेताओं से नजदीकियां रखने वाले व्यापम के पदाधिकारी सुधीर सिंह भदौरिया के खिलाफ प्री-पीजी के जिस मामले में एसआईटी के हाथ कांपे थे, उसी मामले में सीबीआई ने पहली एफआईआर दर्ज की है। संयोग की बात है कि ठीक एक साल पहले 16 जुलाई 14 को एफआईआर एसआईटी द्वारा किये जाने के बाद एक भी रसूखदार को गिरफ्तार नहीं कर पाई। यह रसूखदार बार-बार एसआईटी के दफ्तर में स्वयं को पाक-साफ बताने पहुंचे भी थे, एसआईटी अफसरों ने इनकी आवभगत की और जांच को आवेदन लेकर रवाना कर दिया। 1 महीने पहले भिंड के अखबार के मालिक नवीन शर्मा को पकड़ा तब खुलासा हुआ है कि गुलाब सिंह ने बेटे शक्ति प्रताप सिंह का प्री-पीजी में प्रवेष कराने के लिये 30 लाख रूपये दिये थे, इस खुलासे के बाद ही शक्ति प्रताप पर 3 हजार का इनाम घोषित हुआ। वहीं गुलाव सिंह के खिलाफ इनाम का प्र्रस्ताव भेजा गया, लेकिन 7 दिन तक प्रस्ताव एसपी आॅफिस में रखा रहा और इन पर इनाम घोषित नहीं हो सका। आषीष चतुर्वेदी की षिकायत पर झांसी रोड़ थाना की पुलिस ने पूर्व में प्री-पीजी मामले में पंकज त्रिवेदी, सुधीर सिंह भदौरिया, डाॅ0 गुलाव सिंह, शक्ति प्रताप सिंह, बीर बहादुर सिंह, विषाल यादव, डाॅ0 बीआर श्रीवास्तव और रष्मि परिहार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, जबलपुर की डाॅ0 ऋचा जौहरी और डीमेट के कोषाध्यक्ष योगेष उपरीत का नाम भी जुड़ गया था, जब यह एफआईआर दर्ज की जा रही थी, उस समय सीएम आॅफिस में पदस्थ सचिव स्तर के एक अधिकारी की बेटी का प्री-पीजी में फर्जी तरीके से सिलेक्षन कराने की बात सामने आई, लेकिन यह नाम एफआईआर में दर्ज अधिकारी नहीं कर सके। इसके अलावा भी कई बड़े नेताओं के पुत्र/पुत्रियां व्यापम और डीमेट में फर्जी तरीके से डाॅ0 बने हैं, जिनके नाम पूर्व में भी विभिन्न समाचार पत्रों में छपे हैं, उन पर भी कोई कार्यवाही नही हुई तथा ग्वालियर अंचल के कस्बों में भी कई लोगों को फर्जी डाॅ0 बनवाया गया, षिकायतें होने पर एसआईटी ने दबा दीं। अब देखना है कि सीबीआई कहां तक सफल होती है।