ग्रामीण इलाकों के पर्व की शहर में भी मची धूम
0 गूंजने रहे हैं टेसू -झाॅझी के गीत
0 आज होगा टेसू -झाॅझी का विवाह
विकास पालीवाल
फिरोजाबाद। मेरा टेसू रंग-बिरंगा,खाने को माॅगे दही बडा। बहू कहे इसकी मंूछ उखाडूं, इसने भांग कैसे खायी है…..। जैसे गीत शायद अब हमारे बचपन की यादों को ताजा कर ते हैंें। अचानक ही ये गीत अब गली-मौहल्लों में सुनाई देने लगे है। बच्चों के दल हाथों मे टेसुओं को लेकर गली-मौहल्लों में घूमतेे नजर आ रहे है और टेसू से जुडे मनमोहक लोक गीत लोगो को सुना रहे है। शाम होते ही बच्चों का टेसू व झांझी लेकर निकलने और गीत सुनाने का क्रम निरंतर जारी है। टेसू रे टेसू घंटार बजइयो, टेसू अटर करे टेसू बटर करे, मेरा टेसू यही अडा, खाने को मांगे दही बडा आदि गीत सुनाकर बच्चे इस पुरातन भारतीय परंपरा को आगे बढा रहे है। झांझी बस गयी मेरी आंखन मे आदि झांझी के गीत के साथ बच्चियों का झांझी पूजन आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। हिन्दू धर्म की साहलग शुरू होने का प्रतीक टेसू और झांझी खरीदने से मुंह मोड लिया है। कच्ची मिट्टी से इन्हे बनाने बाले कारीगरों के चेहरे इनकी कम बिक्री होने से मुरझायें हुये है। हिन्दू -रिवाज की परंपरानुसार विजय दशमी से हिन्दू -धर्म के अनुयायी टेसू-झांझी खरीदकर शरद पूर्णिमा तक घर-घर जाकर चन्दा दान एकत्रित करते है और पूर्णमासी के दिन उसी धन से उनकी शादी पुरोहितों के माध्यम से पूरे हिन्दू -रिवाजों के अनुसार सम्पन्न कराते है। मान्यता है कि टेसू और झांझी की शादी के साथ ही हिन्दू धर्म मे शादी -विवाह आदि धार्मिक कार्यों का आगाज हो जाता है। इस वार टेसू और झांझी पर भी महंगाई का ग्रहण नजर आया। दुकानदार संजू बताया कि इतनी महंगाई बढ गयी कि इनकी शादी का खर्च, अब मंहगाई में इतना धन एकत्रित नहीं हो पाता। मंहगाई मे इतना धन एकत्रित नही हो पाता। मंहगाई की मार ने अब परंपरागत रीति-रिवाजों को भी निगलना शुरू कर दिया।
ग्रामीण इलाकों के पर्व की शहर में भी मची धूम
0 गूंजने रहे हैं टेसू -झाॅझी के गीत
0 आज होगा टेसू -झाॅझी का विवाह
विकास पालीवाल
फिरोजाबाद। मेरा टेसू रंग-बिरंगा,खाने को माॅगे दही बडा। बहू कहे इसकी मंूछ उखाडूं, इसने भांग कैसे खायी है…..। जैसे गीत शायद अब हमारे बचपन की यादों को ताजा कर ते हैंें। अचानक ही ये गीत अब गली-मौहल्लों में सुनाई देने लगे है। बच्चों के दल हाथों मे टेसुओं को लेकर गली-मौहल्लों में घूमतेे नजर आ रहे है और टेसू से जुडे मनमोहक लोक गीत लोगो को सुना रहे है। शाम होते ही बच्चों का टेसू व झांझी लेकर निकलने और गीत सुनाने का क्रम निरंतर जारी है। टेसू रे टेसू घंटार बजइयो, टेसू अटर करे टेसू बटर करे, मेरा टेसू यही अडा, खाने को मांगे दही बडा आदि गीत सुनाकर बच्चे इस पुरातन भारतीय परंपरा को आगे बढा रहे है। झांझी बस गयी मेरी आंखन मे आदि झांझी के गीत के साथ बच्चियों का झांझी पूजन आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। हिन्दू धर्म की साहलग शुरू होने का प्रतीक टेसू और झांझी खरीदने से मुंह मोड लिया है। कच्ची मिट्टी से इन्हे बनाने बाले कारीगरों के चेहरे इनकी कम बिक्री होने से मुरझायें हुये है। हिन्दू -रिवाज की परंपरानुसार विजय दशमी से हिन्दू -धर्म के अनुयायी टेसू-झांझी खरीदकर शरद पूर्णिमा तक घर-घर जाकर चन्दा दान एकत्रित करते है और पूर्णमासी के दिन उसी धन से उनकी शादी पुरोहितों के माध्यम से पूरे हिन्दू -रिवाजों के अनुसार सम्पन्न कराते है। मान्यता है कि टेसू और झांझी की शादी के साथ ही हिन्दू धर्म मे शादी -विवाह आदि धार्मिक कार्यों का आगाज हो जाता है। इस वार टेसू और झांझी पर भी महंगाई का ग्रहण नजर आया। दुकानदार संजू बताया कि इतनी महंगाई बढ गयी कि इनकी शादी का खर्च, अब मंहगाई में इतना धन एकत्रित नहीं हो पाता। मंहगाई मे इतना धन एकत्रित नही हो पाता। मंहगाई की मार ने अब परंपरागत रीति-रिवाजों को भी निगलना शुरू कर दिया।