डीमेट से रसूखदारों के बच्चे बने डाॅक्टर, तो नहीं जाना होगा गांव।

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ग्वालियर।३सितम्बर[ सी एन आई ] डीमेट घोटाले से घिरे निजी मेडीकल काॅलेजों पर सरकार मेहरवान हैं यही वजह है कि डीमेट से प्रवेष पाने वालों के लिये कोई वाध्यता गांव में जाने की नही हैं। डीमेट से प्रवेष लेने वाले रसूखदारों के बच्चे इलाज करने गांव में नहीं जायेंगे। डीमेट घोटाला उजागर होने के बाद अहम बदलावों के बाद चिकित्सा षिक्षा विभाग ने म.प्र. प्रायवेट मेडीकल एण्ड डेंटल यूजी पाठ्यक्रम नियम 2015 लागू किया है। इसमें सरकारी और निजी मेडीकल के छात्रों को गांव नहीं जाने पर पांच लाख रूपये देने होंगे। जबकि डीमेट से प्रवेष पाने के लिये यह बांड लागू नही हैं। डाॅ0 जीएस पटेल संचालक चिकित्सा षिक्षा का कहना हैं कि डीमेट पर हमारा अधिकार नही हैं इस पर एपीडीएमसी ही फैसला लेगी। चिकित्सा षिक्षा विभाग ने नियमों में बदलाव किया है। निजी मेडीकल डेंटल काॅलेजों में स्टेट कोटे की सीट पर ग्रामीण सेवा का बांड भरने का प्रावधान हैं। डीमेट से एडमिषन वालों को छूट मिलने से गांवों में डाॅ0 कम मिलेंगे। डीमेट कोटे 568 और एनआरआई कोटे की 198 सीटें बांड से मुक्त रहेंगी। वहीं दूसरी तरफ 1275 सीटों पर डीमेट से दाखिला लेने वाले छात्र भी बांड से पूरी तरह मुक्त रहेंगे। कुल 7 निजी मेडीकल काॅलेजों में 150 के हिसाब से 1050 सीटें होती हैं, स्टेट कोटे की 441 सीटों पर दाखिला मिलने पर गांव जाने का बांड भरना होगा।dimet