थानों में नहीं होती बिजली अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज, क्या थाने विषेष लोगों की सुरक्षा के लिये हैं ?

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ग्वालियर।१७ दिसंबर [सीएनआई ब्यूरो]  बिजली कंपनी के अधिकारियों के विरूद्ध जबरन घर में घुसने महिलाओं से दुर्व्यवहार करने और गाली-गलौज करने पर पुलिस थाने में एफआईआर नहीं की जाती। कहा जाता है कि कोर्ट में से ऑर्डर कराइये, जबकि सुप्रीमकोर्ट का स्पष्ट निर्देष है कि एफआईआर व्यक्ति का हक है, पुलिस एफआईआर सबकी लिखे न कि सिर्फ सरकारी कथित अधिकारियों की एफआईआर लिखे। अंग्रेजों के जमाने की परंपराएं अभी भी ग्वालियर जिले में मौजूद हैं, जहां अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट एफआईआर नहीं होती, मात्र आवेदन लेकर टरका दिया जाता है। क्या बिजली कंपनी अधिकारी कानून से ऊपर हैं कि उन पर प्रकरण दर्ज कराने के लिये हर व्यक्ति कोर्ट कचहरी जाये, तब प्रकरण दर्ज होंगे। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से इस बारे में नियमों में बदलाव अपेक्षित है।
बिजली कंपनी डबरा के अधिकारी चाहे जिस पर शासकीय कार्य में बाधा का प्रकरण लिमिटेड कंपनी होने के बाद भी स्वयं को सरकारी बताकर दर्ज करा देते हैं। बकाया बिलों की बसूली डकैती स्टाइल में हो रही है। एक जाति विषेष के 15-20 नव युवक जो ठेकेदार भी नही हैं, को लेकर डबरा के सहायक यंत्री उपभोक्ताओं से गाली-गलौज और महिलाओं से दुर्व्यवहार कर बसूली कर रहे हैं। आंकलित खपत हाईकोर्ट के निर्देषों के बाबजूद लगा रहे हैं। तथा दीन बंधु योजना में हरिजनों बीपीएल कार्ड वालों को छूट 2013 में अधिकारियों द्वारा देने के बाबजूद पुराने बिल निकालकर लोगों को पुलिस में प्रकरण दर्ज शासकीय कार्य में बाधा का डर दिखाकर अवैध बसूली बिल माफ करने के लिये कर रहे हैं। जिसकी षिकायत पीड़ितों ने लोकायुक्त एवं अन्य उच्च अधिकारियों को भी की है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।dgp mp