पटना 10 दिसम्बर (सौरभ कुमार) खूबसूरत दांत और मसूड़े हमारे व्यक्तित्व में चार चांद लगा देते हैं, लेकिन उनमें कोई बीमारी लग जाए तो जीना दुश्वार कर देते हैं। दांतों के प्रति बरती जाने वाली लापरवाहियां कई बीमारियों को आमंत्रित करती हैं। आप अपने दांतों और मसूड़ों का खयाल कैसे रखें, ताकि वे खूबसूरत और चमकदार बने रहें,
बता रहे है राजधानी पटना के कृष्णा डेंटल हॉस्पिटल के प्रधान दन्त चिकित्सक डॉ० धर्मेन्द्र कुमार
साफ और सुंदर दांत तथा स्वस्थ मसूड़े न सिर्फ अच्छे स्वास्थ्य की निशानी होते हैं, बल्कि हमारे व्यक्तित्व को आकर्षक भी बनाते हैं। दांत और मसूड़ों का स्वास्थ्य एक-दूसरे पर निर्भर करता है। अगर मसूड़े स्वस्थ नहीं होंगे तो दांत भी स्वस्थ नहीं रह पाएंगे, इसलिए स्वस्थ दांतों के लिए स्वस्थ मसूड़े बहुत जरूरी हैं। संतुलित भोजन आपके दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ रखता है और संक्रमण से बचाता है। इसके अलावा फाइबर युक्त भोजन करें। यह आपके दांतों को साफ और मसूड़ों के ऊतकों को मजबूत बनाता है। हर बार जब आप भोजन करते हैं या ऐसा पेय पदार्थ पीते हैं, जिसमें शुगर या स्टार्च होता है तो वह एसिड उत्पन करता है। यह 20 मिनट या उससे ज्यादा देर तक आपके दांतों पर हमला करता है। दांतों को स्वस्थ रखने के लिए ऐसा भोजन करें, जो विटामिन, मिनरल, कैल्शियम और फॉस्फोरस से भरपूर हो। काबरेनेटेड पेय पदार्थों, जंक फूड और मीठे पदार्थों का सेवन कम करें। तंबाकू, गुटखा, शराब आदि के सेवन या दांतों की ठीक तरह से सफाई न करने से दांत पीले पड़ जाते हैं। कई लोगों में उम्र बढ़ने के साथ दांतों पर प्लाक की परत चढ़ती जाती है। इससे भी दांत पीले दिखने लगते हैं। ज्यादा मात्र में चाय, कॉफी और कोल्ड ड्रिंक का सेवन करने से भी दांत पीले पड़ जाते हैं। विटामिन डी की कमी भी दांतों की चमक खत्म कर देती है। दांतों को चमकदार बनाने के लिए लेजर ट्रीटमेंट सबसे प्रभावी और सुरक्षित तरीका है। दांतों के ऊपर एक सुरक्षा परत होती है, जिसे इनेमल कहते हैं। हम जो भी खाते हैं, उसका पहला संपर्क हमारे दांतों के इसी इनेमल से होता है। इनेमल हमें ताप और दूसरी चीजों से बचाता है। खानपान की गलत आदतों ओर कई अन्य कारणों से ये परत पतली हो जाती है। इससे दांतों में अति संवेदनशीलता की समस्या हो जाती है। अगर यह संवेदनशीलता ज्यादा नहीं है तो एंटी सेंसिटिविटी टूथपेस्ट से ठीक हो सकती है। अगर समस्या गंभीर है या एंटी सेंसिटिविटी टूथपेस्ट के उपयोग के बाद भी ठीक नहीं हो रही तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए, क्योंकि यह सेंसिटिविटी किसी गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकती है, जैसे कैविटी या दांतों में दरार आ जाना। कई लोग जब सांस लेते हैं या बात करते हैं तो उनके मुंह से दुर्गंध्ा आती है। यह दुर्गंध्ा पाचन प्रणाली के कमजोर पड़ जाने या दांतों या मसूड़ों के किसी रोग के कारण हो सकती है। यह किसी आंतरिक रोग का संकेत भी हो सकती है। यह ऐसा रोग है, जिससे किसी के व्यक्तित्व का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। धूम्रपान करने से मुंह में लार बननी कम हो जाती है। इससे भी मुंह से बदबू आने लगती है। मसूड़ों की बीमारी का सबसे प्रमुख कारण प्लाक होता है। इसके अलावा कई बीमारियां जैसे कैंसर, एड्स, डायबिटीज, महिलाओं में किशोरावस्था, गर्भावस्था, मेनोपॉज और पीरियड्स के समय होने वाला हार्मोन परिवर्तन भी मसूड़ों पर संक्रमण की आशंका बढ़ा देते हैं। धूम्रपान भी मसूड़ों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। वैसे मुंह की साफ-सफाई का ख्याल न रखना मसूड़ों की समस्याओं का सबसे प्रमुख कारण है। मसूड़ों की बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। हाल ही में हुए कई अध्ययनों में यह बात उभर कर आई है कि 35 वर्ष की उम्र के बाद मसूड़ों की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इस उम्र में हर चार में से तीन लोग मसूड़ों की किसी न किसी बीमारी से पीड़ित होते हैं। जिन्जीवाइटिस मसूड़ों की सबसे आम समस्या है। इसमें मसूड़े सूख कर लाल हो जाते हैं और कमजोर पड़ जाते हैं। कई लोगों में दांतों के बीच में उभरा हुआ तिकोना क्षेत्र बन जाता है, जिसे पेपीले कहते हैं। इसका प्रमुख कारण सफेद रक्त कोशिकाओं का जमाव, बैक्टीरिया का संक्रमण और प्लाक हो सकता है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि मुंह की साफ-सफाई का ध्यान रखा जाए। अगर ब्रश करने या खाना खाने के बाद मसूड़ों से खून बहता हो तो यह पायरिया के लक्षण हैं। इसमें मसूड़ों के ऊतक सड़ कर पीले पड़ने लगते हैं। इसका मुख्य कारण दांतों की ठीक से सफाई न करना है। गंदगी की वजह से दांतों के आसपास और मसूड़ों में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। दांतों की सही तरीके से अगर देखभाल न की जाए तो पायरिया हो सकता है। दांतों को सेहत और सुंदरता का आईना माना जाता है। लेकिन, खाने के बाद मुंह की साफ-सफाई न करने से दांतों में कई प्रकार की बीमारियां शुरू हो जाती हैं। दांतों की साफ सफाई में कमी के कारण जो बीमारी सबसे जल्दी होती है वो है पायरिया। सांसों की बदबू, मसूड़ों में खून और दूसरी तरह की कई परेशानियां पायरिया के लक्षण हैं। दातों की साफ-सफाई न करने के कारण पायरिया एक सामान्य बीमारी बन गई है। पायरिया के कारण असमय दांत गिर सकते हैं। दरअसल मुंह में लगभग 700 किस्म के बैक्टीरिया होते हैं, जिनकी संख्या करोडों में होती है। यही बैक्टीरिया दांतों और मुंह को बीमारियों से बचाते हैं। अगर मुंह, दांत और जीभ की सफाई ठीक से न की जाए तो ये बैक्टीरिया दांतो और मसूडों को नुकसान पहुंचाते हैं। पायरिया होने पर दांतों को सपोर्ट करने वाली जबडे की हड्डियों को नुकसान होता है। पायरिया शरीर में कैल्शियम की कमी होने से मसूड़ों की खराबी और दांत-मुंह की साफ सफाई में कोताही बरतने से होता है। इस रोग में मसूड़े पिलपिले और खराब हो जाते हैं और उनसे खून आता है। सांसों की बदबू की वजह भी पायरिया को ही माना जाता है। पायरिया होने पर सांसो में तेज दुर्गंध शुरू हो जाती है। मसूडों में सूजन होने लगती है। दांत कमजोर होकर हिलने लगते हैं। गर्म और ज्यादा ठंडा पानी पीने पर दांत संवेदनशील हो जाते हैं और लोग उसे बर्दास्त नही कर पाते हैं। पायरिया होने पर मसूडों से मवाद आना शुरू हो जाता है। मसूडों को दबाने में और छूने पर दर्द होता है। पायरिया की शिकायत होने पर मसूडों से खून निकलने लगता है। दो दांतों के बीच की जगह बढ जाती है, दांतों में गैप होने लगता है। खाने के बाद मुंह की अंदरुनी साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।ब्रश करते समय दांतों को अच्छी तरह से और आराम से साफ करें।टंग क्लीनर से जीभ को अच्छी तरह साफ करें। दांतों की सफाई के लिए कठोर ब्रश की बजाय कोमल ब्रश का इस्तेमाल करें। रात में डिनर करने के बाद सोने से पहले भी ब्रश करें। ब्रश करते समय ध्यान रखिए कि खाने का कोई टुकडा दांतों के बीच फंसा तो नही है। कुछ भी खाने के बाद अगर ब्रश नहीं कर सकते हैं तो पानी से दांतों की सफाई कर लेनी चाहिए। अच्छे दांत सेहत और सुंदरता की निशानी होती है। इसलिए अपने दांतों का ख्याल जरूर रखें। पायरिया का अगर समय पर इलाज न कराया जाए तो दांत ढीले होकर गिर जाते हैं। पायरिया का इलाज बडी आसानी से हो सकता है। पायरिया की समस्या होने पर जल्द से जल्द चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
पटना 10 दिसम्बर (सौरभ कुमार) खूबसूरत दांत और मसूड़े हमारे व्यक्तित्व में चार चांद लगा देते हैं, लेकिन उनमें कोई बीमारी लग जाए तो जीना दुश्वार कर देते हैं। दांतों के प्रति बरती जाने वाली लापरवाहियां कई बीमारियों को आमंत्रित करती हैं। आप अपने दांतों और मसूड़ों का खयाल कैसे रखें, ताकि वे खूबसूरत और चमकदार बने रहें,
बता रहे है राजधानी पटना के कृष्णा डेंटल हॉस्पिटल के प्रधान दन्त चिकित्सक डॉ० धर्मेन्द्र कुमार
साफ और सुंदर दांत तथा स्वस्थ मसूड़े न सिर्फ अच्छे स्वास्थ्य की निशानी होते हैं, बल्कि हमारे व्यक्तित्व को आकर्षक भी बनाते हैं। दांत और मसूड़ों का स्वास्थ्य एक-दूसरे पर निर्भर करता है। अगर मसूड़े स्वस्थ नहीं होंगे तो दांत भी स्वस्थ नहीं रह पाएंगे, इसलिए स्वस्थ दांतों के लिए स्वस्थ मसूड़े बहुत जरूरी हैं। संतुलित भोजन आपके दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ रखता है और संक्रमण से बचाता है। इसके अलावा फाइबर युक्त भोजन करें। यह आपके दांतों को साफ और मसूड़ों के ऊतकों को मजबूत बनाता है। हर बार जब आप भोजन करते हैं या ऐसा पेय पदार्थ पीते हैं, जिसमें शुगर या स्टार्च होता है तो वह एसिड उत्पन करता है। यह 20 मिनट या उससे ज्यादा देर तक आपके दांतों पर हमला करता है। दांतों को स्वस्थ रखने के लिए ऐसा भोजन करें, जो विटामिन, मिनरल, कैल्शियम और फॉस्फोरस से भरपूर हो। काबरेनेटेड पेय पदार्थों, जंक फूड और मीठे पदार्थों का सेवन कम करें। तंबाकू, गुटखा, शराब आदि के सेवन या दांतों की ठीक तरह से सफाई न करने से दांत पीले पड़ जाते हैं। कई लोगों में उम्र बढ़ने के साथ दांतों पर प्लाक की परत चढ़ती जाती है। इससे भी दांत पीले दिखने लगते हैं। ज्यादा मात्र में चाय, कॉफी और कोल्ड ड्रिंक का सेवन करने से भी दांत पीले पड़ जाते हैं। विटामिन डी की कमी भी दांतों की चमक खत्म कर देती है। दांतों को चमकदार बनाने के लिए लेजर ट्रीटमेंट सबसे प्रभावी और सुरक्षित तरीका है। दांतों के ऊपर एक सुरक्षा परत होती है, जिसे इनेमल कहते हैं। हम जो भी खाते हैं, उसका पहला संपर्क हमारे दांतों के इसी इनेमल से होता है। इनेमल हमें ताप और दूसरी चीजों से बचाता है। खानपान की गलत आदतों ओर कई अन्य कारणों से ये परत पतली हो जाती है। इससे दांतों में अति संवेदनशीलता की समस्या हो जाती है। अगर यह संवेदनशीलता ज्यादा नहीं है तो एंटी सेंसिटिविटी टूथपेस्ट से ठीक हो सकती है। अगर समस्या गंभीर है या एंटी सेंसिटिविटी टूथपेस्ट के उपयोग के बाद भी ठीक नहीं हो रही तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए, क्योंकि यह सेंसिटिविटी किसी गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकती है, जैसे कैविटी या दांतों में दरार आ जाना। कई लोग जब सांस लेते हैं या बात करते हैं तो उनके मुंह से दुर्गंध्ा आती है। यह दुर्गंध्ा पाचन प्रणाली के कमजोर पड़ जाने या दांतों या मसूड़ों के किसी रोग के कारण हो सकती है। यह किसी आंतरिक रोग का संकेत भी हो सकती है। यह ऐसा रोग है, जिससे किसी के व्यक्तित्व का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। धूम्रपान करने से मुंह में लार बननी कम हो जाती है। इससे भी मुंह से बदबू आने लगती है। मसूड़ों की बीमारी का सबसे प्रमुख कारण प्लाक होता है। इसके अलावा कई बीमारियां जैसे कैंसर, एड्स, डायबिटीज, महिलाओं में किशोरावस्था, गर्भावस्था, मेनोपॉज और पीरियड्स के समय होने वाला हार्मोन परिवर्तन भी मसूड़ों पर संक्रमण की आशंका बढ़ा देते हैं। धूम्रपान भी मसूड़ों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। वैसे मुंह की साफ-सफाई का ख्याल न रखना मसूड़ों की समस्याओं का सबसे प्रमुख कारण है। मसूड़ों की बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। हाल ही में हुए कई अध्ययनों में यह बात उभर कर आई है कि 35 वर्ष की उम्र के बाद मसूड़ों की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इस उम्र में हर चार में से तीन लोग मसूड़ों की किसी न किसी बीमारी से पीड़ित होते हैं। जिन्जीवाइटिस मसूड़ों की सबसे आम समस्या है। इसमें मसूड़े सूख कर लाल हो जाते हैं और कमजोर पड़ जाते हैं। कई लोगों में दांतों के बीच में उभरा हुआ तिकोना क्षेत्र बन जाता है, जिसे पेपीले कहते हैं। इसका प्रमुख कारण सफेद रक्त कोशिकाओं का जमाव, बैक्टीरिया का संक्रमण और प्लाक हो सकता है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि मुंह की साफ-सफाई का ध्यान रखा जाए। अगर ब्रश करने या खाना खाने के बाद मसूड़ों से खून बहता हो तो यह पायरिया के लक्षण हैं। इसमें मसूड़ों के ऊतक सड़ कर पीले पड़ने लगते हैं। इसका मुख्य कारण दांतों की ठीक से सफाई न करना है। गंदगी की वजह से दांतों के आसपास और मसूड़ों में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। दांतों की सही तरीके से अगर देखभाल न की जाए तो पायरिया हो सकता है। दांतों को सेहत और सुंदरता का आईना माना जाता है। लेकिन, खाने के बाद मुंह की साफ-सफाई न करने से दांतों में कई प्रकार की बीमारियां शुरू हो जाती हैं। दांतों की साफ सफाई में कमी के कारण जो बीमारी सबसे जल्दी होती है वो है पायरिया। सांसों की बदबू, मसूड़ों में खून और दूसरी तरह की कई परेशानियां पायरिया के लक्षण हैं। दातों की साफ-सफाई न करने के कारण पायरिया एक सामान्य बीमारी बन गई है। पायरिया के कारण असमय दांत गिर सकते हैं। दरअसल मुंह में लगभग 700 किस्म के बैक्टीरिया होते हैं, जिनकी संख्या करोडों में होती है। यही बैक्टीरिया दांतों और मुंह को बीमारियों से बचाते हैं। अगर मुंह, दांत और जीभ की सफाई ठीक से न की जाए तो ये बैक्टीरिया दांतो और मसूडों को नुकसान पहुंचाते हैं। पायरिया होने पर दांतों को सपोर्ट करने वाली जबडे की हड्डियों को नुकसान होता है। पायरिया शरीर में कैल्शियम की कमी होने से मसूड़ों की खराबी और दांत-मुंह की साफ सफाई में कोताही बरतने से होता है। इस रोग में मसूड़े पिलपिले और खराब हो जाते हैं और उनसे खून आता है। सांसों की बदबू की वजह भी पायरिया को ही माना जाता है। पायरिया होने पर सांसो में तेज दुर्गंध शुरू हो जाती है। मसूडों में सूजन होने लगती है। दांत कमजोर होकर हिलने लगते हैं। गर्म और ज्यादा ठंडा पानी पीने पर दांत संवेदनशील हो जाते हैं और लोग उसे बर्दास्त नही कर पाते हैं। पायरिया होने पर मसूडों से मवाद आना शुरू हो जाता है। मसूडों को दबाने में और छूने पर दर्द होता है। पायरिया की शिकायत होने पर मसूडों से खून निकलने लगता है। दो दांतों के बीच की जगह बढ जाती है, दांतों में गैप होने लगता है। खाने के बाद मुंह की अंदरुनी साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।ब्रश करते समय दांतों को अच्छी तरह से और आराम से साफ करें।टंग क्लीनर से जीभ को अच्छी तरह साफ करें। दांतों की सफाई के लिए कठोर ब्रश की बजाय कोमल ब्रश का इस्तेमाल करें। रात में डिनर करने के बाद सोने से पहले भी ब्रश करें। ब्रश करते समय ध्यान रखिए कि खाने का कोई टुकडा दांतों के बीच फंसा तो नही है। कुछ भी खाने के बाद अगर ब्रश नहीं कर सकते हैं तो पानी से दांतों की सफाई कर लेनी चाहिए। अच्छे दांत सेहत और सुंदरता की निशानी होती है। इसलिए अपने दांतों का ख्याल जरूर रखें। पायरिया का अगर समय पर इलाज न कराया जाए तो दांत ढीले होकर गिर जाते हैं। पायरिया का इलाज बडी आसानी से हो सकता है। पायरिया की समस्या होने पर जल्द से जल्द चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।