जबलपुर (सी एन आई) देर से मिली सुचना अनुसार जबलपुर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि, खुद की मर्जी से ससुराल छोड़ मायके में जाकर रहने वाली पत्नी को पति भरण-पोषण देने का हक़दार नहीं है. जबलपुर में जस्टिस सीवी सिरपुरकर की एकल बेंच ने गुरूवार को सुनवाई के दौरान महिला की यह रिवीजन खारिज़ कर दी
बहस के दौरान महिला के वकील ने भी उसकी मानसिक बीमारी का भी हवाला देते हुए कहा कि, महिला शादी के पहले से ही मानसिक बीमारी से ग्रस्त है. इसे कोर्ट ने इसे यह कहकर खारिज कर दिया कि यदि महिला बीमार थी, तो उसके पति को पहले बताया जाना था. इस तरह साफ है कि पति के साथ धोखा हुआ है.
कोर्ट में महिला के पति की ओर से वकीलों ने दलील दी कि, महिला ने अधीनस्थ कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है. महिला अपनी मर्जी से मायके में रह रही है. वह ऐसा कोई प्रमाण पेश नहीं कर सकी जिससे यह साबित हो कि उसने ससुराल में किसी तरह प्रताड़ना, दुर्व्यवहार आदि की शिकार होकर मायके का रास्ता चुना है. हाईकोर्ट ने पूरी बहस के बाद रिवीजन को खारिज कर दिया.
जबलपुर (सी एन आई) देर से मिली सुचना अनुसार जबलपुर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि, खुद की मर्जी से ससुराल छोड़ मायके में जाकर रहने वाली पत्नी को पति भरण-पोषण देने का हक़दार नहीं है. जबलपुर में जस्टिस सीवी सिरपुरकर की एकल बेंच ने गुरूवार को सुनवाई के दौरान महिला की यह रिवीजन खारिज़ कर दी
बहस के दौरान महिला के वकील ने भी उसकी मानसिक बीमारी का भी हवाला देते हुए कहा कि, महिला शादी के पहले से ही मानसिक बीमारी से ग्रस्त है. इसे कोर्ट ने इसे यह कहकर खारिज कर दिया कि यदि महिला बीमार थी, तो उसके पति को पहले बताया जाना था. इस तरह साफ है कि पति के साथ धोखा हुआ है.
कोर्ट में महिला के पति की ओर से वकीलों ने दलील दी कि, महिला ने अधीनस्थ कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है. महिला अपनी मर्जी से मायके में रह रही है. वह ऐसा कोई प्रमाण पेश नहीं कर सकी जिससे यह साबित हो कि उसने ससुराल में किसी तरह प्रताड़ना, दुर्व्यवहार आदि की शिकार होकर मायके का रास्ता चुना है. हाईकोर्ट ने पूरी बहस के बाद रिवीजन को खारिज कर दिया.