निरंकारी मिशन द्वारा सामूहिक विवाह,28 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे

0
1244

निरंकारी मिशन द्वारा सामूहिक विवाह,28 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे
चण्डीगढ़ 8 नवम्बर: आरके शर्मा राज /मोनिका शर्मा ;—–सन्त निरंकारी मिशन के समाज कल्याण विभाग द्वारा देहली में एक सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया गया जिसमें निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज के आशीर्वाद से 28 जोड़े साधारण रीति में पारम्परिक जयमाला के साथ परिणय-सूत्र में बंधे, यह जानकारी आज यहां सैक्टर 30-ऐ में स्थित सन्त निरंकारी सत्संग भवन में हुए विशाल सत्संग में हज़ारों संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए यहां के संयोजक श्री मोहिन्दर सिंह ने दी ।
श्री सिंह ने बताया कि इन जोड़ो में 8-8 दुल्हें दिल्ली और उत्तर प्रदेश से, 5 पंजाब से, 2 जम्मू-कश्मीर से तथा 1-1 हरियाणा, चण्डीगढ़, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से आए थे। इसी प्रकार 1 दुल्हन कनाडा से, 9 दिल्ली से, 6-6 पंजाब और उत्तर प्रदेश से तथा 1-1 हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, चण्डीगढ़, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान तथा झारखण्ड से आई थी। इन जोड़ो में 5 जोड़े दिल्ली से, 4 उत्तर प्रदेश से, 3 पंजाब तथा 1 छत्तीसगढ़ से आए। इस समारोह में अन्य 14 जोड़े अन्तर्राज्यीय और 1 जोड़ा अन्तर्राष्ट्रीय थी।
इस अवसर पर नव-विवाहित जोड़ों को आशीर्वाद प्रदान करते हुए निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने कहा कि जोड़ों के माता पिता तथा अन्य सम्बंधी प्रशंसा के पात्र हैं जिन्होंने इस सादा सामूहिक विवाह की पद्धति को अपनाया और यहा उपस्थित बड़ी संख्या में महात्माओं के आशीर्वाद को प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि यह सामूहिक विवाह कुछ दिनों में होने वाले 68वें संत निरंकारी समागम का भाग है। समागम में अनेकता में एकता का स्वरूप प्रस्तुत होता है और यदि यह रूप परिवार के स्तर पर ले जाया जाएं तो प्रत्येक घर स्वर्ग का नक्शा बन जाए। जहाँ प्रत्येक सदस्य मानवीय गुणों जैसे धीरज, नम्रता, विशालता, संतोष, परस्पर आदर तथा अपनी जि़म्मेदारियों निभाने की शिक्षा प्राप्त करता है। ऐसे परिवार एक सुन्दर रूप समाज में प्रस्तुत करते हैं और अपने जीवन में खुशियों के पात्र बनते हैं।
बाबा जी ने आगे कहा कि एकता, समानता तथा मिलवर्तन का संदेश जो यहाँ नव-विवाहित जोड़ो को इस कार्यक्रम के दौरान दिया जा रहा है वह अन्य परिवार के सदस्यों के लिए भी उतना ही लाभकारी है। नव-विवाहित जोड़े एक परिवार का ही अंग हैं जहा प्रत्येक सदस्य को इन मानवीय गुणों – नम्रता, विशालता, सहनशीलता तथा मीठी बोली की आवश्यकता है। बाबा जी ने नव-विवाहित जोड़ों के लिए सांसारिक सुखों तथा आध्यात्मिक आनंद की भी कामना की।
—————————————————-