ग्वालियर। 22 सितम्बर (सीएनआई) पुलिस द्वारा पीएमटी महाघोटाले में 6 डाॅक्टरों को बचाते हुये उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज नहीं करने के मामले में अब तक क्या जांच की है। सीबीआई की विषेष कोर्ट ने पुलिस से पूछा। पूर्व में पुलिस द्वारा पीएमटी मामले में 6 साॅल्वरों को आरोपी बनाये जाने के बाद जो डाॅक्टर इन साॅल्वरों द्वारा दी गई परीक्षा के आधार पर एमबीबीएस में दाखिल हो गये थे, उन पर मेहरवानी करते हुये, उन्हें इस प्रकरण से ही मुक्त कर दिया था। दस्तावेज की जांच के दौरान जब पुलिस की पोल खुली तो अतिरिक्त शासकीय अधिवक्ता द्वारा गृह मंत्रालय सहित जांच एजेंसी को भी इसके लिये पत्र लिखा। बाद में न्यायालय ने फिर से प्रकरण जांच के आदेष दिये थे, जिस साल का यह घोटाला है, उस साल के दस्तावेज नष्ट नहीं किये गये हैं, इसके बावजूद पुलिस ने न तो इस मामले में कोई दस्तावेज जप्त किये ना ही कोई छानबीन की। विषेष कोर्ट ने जांच एजेंसी को प्रकरण की अगली सुनवाई पर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के निर्देष दिये हैं, थाना झांसी रोड़ बनाम कृष्ण कुमार ने पुलिस द्वारा आरोपियों को लाभ पहुंचाया गया था।
पुलिस ने बचाया इनको – 5 जुलाई 2009 को पीएमटी परीक्षा में धीरेन्द्र के परीक्षा देने से दिनेष पास हुआ, लेकिन दिनेष आरोपी नहीं बना, मलखान सिंह के लिये कृष्णकुमार ने परीक्षा दी थी, इसमें मलखान को आरोपी नहीं बनाया, साॅल्वर मुकेष को आरोपी बनाया, लेकिन कुलदीप को आरोपी नहीं बनाया, साॅल्वर अनिल को आरोपी बनाया, लेकिन राजीव कुमार को नहीं बनाया। फर्जी तरीके से पास होने वाले अरविन्द सिंह को भी आरोपी नहीं बनाया, जबकि उसका साॅल्वर अतुल आरोपी है, रविकांत दोहरे को आरोपी नहीं बनाया, जबकि उसके साॅल्वर रामकिषोर को आरोपी बनाया। इस तरह फर्जी ढंग से बने डाॅक्टरो को पुलिस ने सांठगांठ कर बचा लिया था।
ग्वालियर। 22 सितम्बर (सीएनआई) पुलिस द्वारा पीएमटी महाघोटाले में 6 डाॅक्टरों को बचाते हुये उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज नहीं करने के मामले में अब तक क्या जांच की है। सीबीआई की विषेष कोर्ट ने पुलिस से पूछा। पूर्व में पुलिस द्वारा पीएमटी मामले में 6 साॅल्वरों को आरोपी बनाये जाने के बाद जो डाॅक्टर इन साॅल्वरों द्वारा दी गई परीक्षा के आधार पर एमबीबीएस में दाखिल हो गये थे, उन पर मेहरवानी करते हुये, उन्हें इस प्रकरण से ही मुक्त कर दिया था। दस्तावेज की जांच के दौरान जब पुलिस की पोल खुली तो अतिरिक्त शासकीय अधिवक्ता द्वारा गृह मंत्रालय सहित जांच एजेंसी को भी इसके लिये पत्र लिखा। बाद में न्यायालय ने फिर से प्रकरण जांच के आदेष दिये थे, जिस साल का यह घोटाला है, उस साल के दस्तावेज नष्ट नहीं किये गये हैं, इसके बावजूद पुलिस ने न तो इस मामले में कोई दस्तावेज जप्त किये ना ही कोई छानबीन की। विषेष कोर्ट ने जांच एजेंसी को प्रकरण की अगली सुनवाई पर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के निर्देष दिये हैं, थाना झांसी रोड़ बनाम कृष्ण कुमार ने पुलिस द्वारा आरोपियों को लाभ पहुंचाया गया था।
पुलिस ने बचाया इनको – 5 जुलाई 2009 को पीएमटी परीक्षा में धीरेन्द्र के परीक्षा देने से दिनेष पास हुआ, लेकिन दिनेष आरोपी नहीं बना, मलखान सिंह के लिये कृष्णकुमार ने परीक्षा दी थी, इसमें मलखान को आरोपी नहीं बनाया, साॅल्वर मुकेष को आरोपी बनाया, लेकिन कुलदीप को आरोपी नहीं बनाया, साॅल्वर अनिल को आरोपी बनाया, लेकिन राजीव कुमार को नहीं बनाया। फर्जी तरीके से पास होने वाले अरविन्द सिंह को भी आरोपी नहीं बनाया, जबकि उसका साॅल्वर अतुल आरोपी है, रविकांत दोहरे को आरोपी नहीं बनाया, जबकि उसके साॅल्वर रामकिषोर को आरोपी बनाया। इस तरह फर्जी ढंग से बने डाॅक्टरो को पुलिस ने सांठगांठ कर बचा लिया था।