ग्वालियर २१अक्तुबर [सीएनआई] भितरवार कस्बे के पुराना बाजार स्थित 1600 ई. में बने यहां का ऐतिहासिक किला अपने साथ अनेक गाथाए समेटे हुए है उक्त किले से जुडी कई कहानियां आज भी क्षेत्र के बड़े -बूढों की जुबान पर है उक्त ऐतिहासिक किला इन दिनों जर्जर अवस्था में है । न तो इस बारे में स्थानीय प्रशासन इस ऐतिहासिक धरोहर के बारे में ध्यान दे रहा है और न ही आज तक पुरातत्व विभाग ने इसके जीर्णोधार के लिए कारगर कदम उठाया । इस किले के जरिए लोगों क ो वे जानकारी यहां मिले जे किले के नष्ट होने के साथ साथ धीरे धीरे लुप्त होती चली गई । इस बारे मेें क्षेत्र के बुजुर्ग रमेशचन्द्र बताते है कि सन 1740 में यहां राव बहोरन सिंह का साम्राज्य था बाद मेें चिमनाजीराव अप्पा एवं भाऊ साहब पेशवा के सरदारों ने सबसे पहले तहब्बर खां फौजदार को ग्वालियर से मारकर भगया । तप्पश्चात उक्त किले में तोपे लगवाकर राव बहोरन सिंह को यहां से भगाया । बादे में यहां के राजा राव बहोरन सिंह काबुल पहुंचे तथा बाद में अपनी रक्षा के लिए पठानों को सथ्ज्ञ लेकर भितरवार आए लेकिन मराठों की अपार शक्ति के सामने वे अधिक सयम तक नहीं टिक सके तथा एक बार पुन: उन्हें भागना पडा, इसके बाद वे ग्वालियर में दौलतराव सिंधिया के दरबार में मदद मांगने पहुंचे तब दौलतराव ने उन्हें पांच गांव की जागारी भें की, जिनमें्रे मोहनगढ़, खडौआ, रमजीपुर, कुडपार, बामौर प्रमुख है । पांच गांवों की जागीर पाने के बाद राजा बहोरन सिंह ने मोहनगढ़ में छोटी गढी का निर्माण कराया बाद में कुछ पश्चात उनका निधन हो गया।
वर्तमान में भितरवार कस्बे में स्थित विशाल किला जर्जर अवस्था में पा है जो पार्वती नदी के किनारे स्थित है क्योंकि सुरक्षा की दृष्टि से यहां के महाराजा ने बनवाया था तथा ग्राम सांसन की पहाडिय़ों पर सुरक्षा चौकी बनी थी जिससे दुश्मन के बारे में पता चल सके, किले पास में सुरक्षा के लिए थी वर्तमान में उक्त प्राचीन किला जर्जर एवं खंडहर की हालत में पडा है। जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है और न ही तत्कालीन राजा का कोई बशज बचा है बताया जाता है कि भितरवार के राजा बहोरन सिंह द्वारा मोहनगढ़ में बनाई गई गढी आज भी ज्यों कि त्यों है । जिसमें उनके वंश के लोग निवास करते है इस किले के बारे में भितरवार के अनेक बुजुर्गो का कहना है यदि पुरातत्व विभाग इस पर धन दे तो इस किले को एक नया रूप मिल सकता है।
आज भी निकलती है तोपे……
किले के आस पास निर्माण कार्यो के दौरान खुदाई में तोपे और गोले निकलते है जिसका प्रमाण यहा है कि गत वर्ष किले के पास मिडिल स्कूल में ठेकेदार द्वारा भवन निर्माण के दौरान खुदाई में लगभग 2 क्विंटल की तोप निकली थी साथ ही गोले भी निकले जिसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को की गई जिस पर तहसीलदार ने उक्त तोप नगर पंचायत में जमा करा दी ।
ग्वालियर २१अक्तुबर [सीएनआई] भितरवार कस्बे के पुराना बाजार स्थित 1600 ई. में बने यहां का ऐतिहासिक किला अपने साथ अनेक गाथाए समेटे हुए है उक्त किले से जुडी कई कहानियां आज भी क्षेत्र के बड़े -बूढों की जुबान पर है उक्त ऐतिहासिक किला इन दिनों जर्जर अवस्था में है । न तो इस बारे में स्थानीय प्रशासन इस ऐतिहासिक धरोहर के बारे में ध्यान दे रहा है और न ही आज तक पुरातत्व विभाग ने इसके जीर्णोधार के लिए कारगर कदम उठाया । इस किले के जरिए लोगों क ो वे जानकारी यहां मिले जे किले के नष्ट होने के साथ साथ धीरे धीरे लुप्त होती चली गई । इस बारे मेें क्षेत्र के बुजुर्ग रमेशचन्द्र बताते है कि सन 1740 में यहां राव बहोरन सिंह का साम्राज्य था बाद मेें चिमनाजीराव अप्पा एवं भाऊ साहब पेशवा के सरदारों ने सबसे पहले तहब्बर खां फौजदार को ग्वालियर से मारकर भगया । तप्पश्चात उक्त किले में तोपे लगवाकर राव बहोरन सिंह को यहां से भगाया । बादे में यहां के राजा राव बहोरन सिंह काबुल पहुंचे तथा बाद में अपनी रक्षा के लिए पठानों को सथ्ज्ञ लेकर भितरवार आए लेकिन मराठों की अपार शक्ति के सामने वे अधिक सयम तक नहीं टिक सके तथा एक बार पुन: उन्हें भागना पडा, इसके बाद वे ग्वालियर में दौलतराव सिंधिया के दरबार में मदद मांगने पहुंचे तब दौलतराव ने उन्हें पांच गांव की जागारी भें की, जिनमें्रे मोहनगढ़, खडौआ, रमजीपुर, कुडपार, बामौर प्रमुख है । पांच गांवों की जागीर पाने के बाद राजा बहोरन सिंह ने मोहनगढ़ में छोटी गढी का निर्माण कराया बाद में कुछ पश्चात उनका निधन हो गया।
वर्तमान में भितरवार कस्बे में स्थित विशाल किला जर्जर अवस्था में पा है जो पार्वती नदी के किनारे स्थित है क्योंकि सुरक्षा की दृष्टि से यहां के महाराजा ने बनवाया था तथा ग्राम सांसन की पहाडिय़ों पर सुरक्षा चौकी बनी थी जिससे दुश्मन के बारे में पता चल सके, किले पास में सुरक्षा के लिए थी वर्तमान में उक्त प्राचीन किला जर्जर एवं खंडहर की हालत में पडा है। जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है और न ही तत्कालीन राजा का कोई बशज बचा है बताया जाता है कि भितरवार के राजा बहोरन सिंह द्वारा मोहनगढ़ में बनाई गई गढी आज भी ज्यों कि त्यों है । जिसमें उनके वंश के लोग निवास करते है इस किले के बारे में भितरवार के अनेक बुजुर्गो का कहना है यदि पुरातत्व विभाग इस पर धन दे तो इस किले को एक नया रूप मिल सकता है।
आज भी निकलती है तोपे……
किले के आस पास निर्माण कार्यो के दौरान खुदाई में तोपे और गोले निकलते है जिसका प्रमाण यहा है कि गत वर्ष किले के पास मिडिल स्कूल में ठेकेदार द्वारा भवन निर्माण के दौरान खुदाई में लगभग 2 क्विंटल की तोप निकली थी साथ ही गोले भी निकले जिसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को की गई जिस पर तहसीलदार ने उक्त तोप नगर पंचायत में जमा करा दी ।