प्री-मैच्योर डिलेवरी ने बढ़ा दिया मेंटली रिटायर्ड बच्चों का खतरा।

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ग्वालियर। 30 सितम्बर (सीएनआई)समय से पूर्व प्रसव के मामले लगभग 10-15 प्रतिषत बढ़ने की बात चिकित्सक स्वीकार करते हैं, इलाज और देखभाल से समय से पूर्व पैंदा हुये बच्चों की जान तो बच जाती है, लेकिन वक्त से पहले दुनिया में आने का दंष उन्हें पूरी जिन्दगी भोगना पड़ता है। डॉक्टरों के अनुसार कम समय में पैंदा हुये बच्चों के शरीर के साथ-साथ दिमाग भी विकसित नहीं हो पाता। सही इलाज न मिलने से बच्चे पूरी उम्र अपाहिज मानसिक रूप से रहते हैं, अस्पतालों में ऐसे मामलों की संख्या बढ़ रही है। डॉक्टरों के अनुसार प्रेग्नेंट महिलाओं की लाइफ स्टाइल और लगातार बढ़ रहा तनाव इसकी बजह है, वर्किंग वूमेन को तनाव के साथ आराम नहीं मिल पाता तथा माँ की हाइपर टेंषन, हाई वीपी के चलते सीजर करके बच्चों को निकाला जाता है। प्रेग्नेंसी में तनाव या मानसिक शारीरिक समस्यायें होने से यह दिक्कत होती है। ऐसी स्थिति में बच्चों को दिमाग विकसित नही हो पाता। पूरी जिन्दगी उन्हें सांस, नली और पेट की प्रॉब्लम रहती है। इनमें से कई बच्चे सेरीब्रल पॉलिसी के षिकार हो जाते हैं।pre bachha