बिजली कंपनियों ने म.प्र. के 79,248 लोगों को बनाया बिजली चोर।

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ग्वालियर। 23 सितम्बर (सीएनआई)म.प्र. की पूर्व, पष्चिम, मध्य क्षेत्र बिजली कंपनियों ने म.प्र. में चैकिंग के नाम पर उपभोक्ताओं की बेइज्जती करते हुये 4.89 लाख से अधिक कनेक्षनों को चैक कर 79.248 लोगों के मीटर खराब बताते हुये बिजली चोर घोषित कर दिया। सूत्रों के अनुसार बिजली अधिकारी जांच के नाम पर एकतरफा कार्यवाही कर अच्छे-भले लोगों को भी पैसे न मिलने पर बिजली चोर घोषित कर देते हैं। जबकि सरकारी उन्हीं के विभाग में भ्रष्टाचार, केबिल खरीदी, मीटर खरीदी में अनियमितता के सबसे ज्यादा प्रकरण पाये जाते हैं, इस समय म.प्र. में सबसे ज्यादा पीड़ित लोग बिजली कंपनी के अधिकारियों की मनमानी और शासन द्वारा उन्हें संरक्षण देने से है। बिजली कंपनियों में जमकर अधिकारी बसूली करते हैं।

सरकारी आंकड़े कुछ भी बोलें कुल 79 हजार लोगों से जितनी बसूली आना बताया है, उससे ज्यादा तो एक या दो अधिकारियों के पास से माल निकला है। पूर्व कलेक्टर आईएएस अरविन्द जोषी, टीनू जोषी, बृहमे एवं अन्य अधिकारियों के यहां करोड़ों रूपये निकले हैं।

सेना के रिटायर्ड जवान लेकर जेई और एई स्तर के अधिकारी चाहे जिस इज्जतदार व्यक्ति के घर बिजली चोरी का संदेह बताते हुये चैकिंग के नाम पर बेइज्जती कर देते हैं और फिर खुलेआम सौदेबाजी होती है। कंजूमर हजार, दो हजार की चोरी मुष्किल से करता होगा। चोरी करना सही नहीं हैं, लेकिन उसकी ओट में जमकर भ्रष्टाचार भी सही नही हैं। कंजूमर की बेइज्जती कर पैसा भ्रष्टाचार में न मिलने पर कोर्ट कचहरी के चक्कर लगवाना क्या उचित है ?

लोकायुक्त एक तरफ से सभी बिजली अधिकारियों की इसी तरह जांच करे तो म.प्र. शायद सोने का बन जाये, इतनी सम्पत्ति इनके पास निकलेगी। म.क्षे.वि.वि.कं. पूर्व तथा पष्चिम कंपनियों द्वारा राजस्व बसूली जो वैध बताई गई है, उससे अधिक बसूली अवैध अधिकारी करते हैं। हर किसान हर ट्रांसफार्मर, आंकलित खपत, नियम विरूद्ध बिलिंग जांच के नाम पर उपभोक्ताओं को प्रताड़ित करना, पुरानी खटारा असत्यापित, मानकों पर खरी न उतरने वाली लैबों से मीटर टेस्टिंग होना अपने आप में गलत है,

लेकिन जिसकी लाठी उसकी भैंस की तर्ज पर प्रदेष की जनता को चोर बताकर कथित अधिकारी और राजनेता मजे कर रहे हैं। न जाने यह सिलसिला कब रूकेगा ?bijli chori 2bijli