ग्वालियर।१७ नवम्बर [सीएनआई ] बिजली कंपनी आरक्षण के तहत करंट चार्ज देकर प्रमोषन कर रही है यह प्रमोषन पूरी तरह से नियमों के विपरीत है। लेकिन कंपनी का शीर्ष प्रबंधन इसे बेच रहा है। आरक्षण आर्थिक आधार पर एक बार दिया जाना चाहिये, इस बात का आदेष जबलपुर उच्च न्यायालय दे चुका है। बिजली कंपनी ने अपने तीन अफसरों को जातिगत आधार पर आरक्षण देकर उनको वरिष्ठ पद का करंट चार्ज देकर पदोन्नत कर दिया है। सूत्रों की मानें तो कंपनी के शीर्ष प्रबंधन ने उनसे मोटी रकम लेकर करंट चार्ज दिया है। कंपनी में सहायंक यंत्री से उप महाप्रबंधक पद का करंट चार्ज 10 लाख में और उप महाप्रबंधक से महाप्रबंधक का करंट चार्ज 25 लाख में बिकता है। यह बात गौर करने योग्य है कि ग्वालियर में एनएस अत्रे को छोड़कर जितने महाप्रबंधक हैं वे सभी करंट चार्ज पर हैं। नियमानुसार सहायक यंत्री को उप महाप्रबंधक का करंट चार्ज तब दिया जा सकता है जब वह कम से कम 5 वर्ष तक सहायक यंत्री के पद पर रह चुका हो तथा उस पद का वेतनमान ले रहा हो। इस प्रकार उप महाप्रबंधक से महाप्रबंधक पद का करंट चार्ज तब दिया जा सकता है जब वह उप महाप्रबंधक पद पर 7 वर्ष तक रह चुका हो। इन नियमों का उल्लंघन तीनों अधिकारियों को दिये गये करंट चार्ज में खुलकर किया गया है।
इन अधिकारियों को करंट चार्ज में दिया आरक्षण – बिजली कंपनी मंे कुछ दिनों पूर्व अविनाष शाक्य सहायक यंत्री को नगर संभाग पूर्व के हुरावली जोन से लहार उप महाप्रबंधक पद के करंट चार्ज से नवाजा गया है। पूनम बघेल सहायक यंत्री एसटीसी दतिया को उप महाप्रबंधक एसटीसी भिंड का करंट चार्ज दे दिया गया है। इस प्रकार राजमालवीय सहायक यंत्री नोडल महाप्रबंधक कार्यालय ग्वालियर को उप महाप्रबंधक डबरा का करंट चार्ज देकर उपकृत किया गया है।
अंषकालीन व्यवस्था होती है – नियमानुसार अगर किसी अधिकारी को करंट चार्ज दिया जाता है तो वह वैकल्पिक व्यवस्था होती है तथा 2-4 महीने की अंषकालीन व्यवस्था होती है, लेकिन यहां मोटी रकम लेकर अधिकारियों को 3-3 वर्ष का करंट चार्ज देकर पदोन्नत किया जा रहा है, जो कि पूरी तरह नियम विरूद्ध बताया जाता है।
इनका कहना हैं – महा प्रबंधक शहर वृत कप्तान सिंह का कहना हैं कि तीनों के प्रमोषन नहीं किये हैं केवल करंट चार्ज दिया है। वेतन सहायक यंत्री का कही मिलेगा। करंट चार्ज देने का अधिकारी केवल एमडी को है अन्य किसी को नहीं। एमपी पोरवाल से फोन से पूछने पर उन्होंने बात सुनकर पहले तो फोन काट दिया और बाद में बात करने की बात कहकर मामला टाल दिया।