बिजली कंपनी लिमिटेड के सरकारी होने पर उठने लगे सवाल, लघु उद्यमी और उपभोक्ता हो रहे प्रताड़ित।

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ग्वालियर१८ दिसंबर[ सीएनआई ब्यूरो ]। बिजली कंपनी के कर्मचारी लगातार पूरे अंचल में थानों में बिजली उपभोक्ताओं के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा के मामले दर्ज करा रहे हैं और पुलिस बिजलीकर्मियों के खिलाफ मामले दर्ज नहीं करती। जबकि माननीय न्यायालय के आदेष सभी की एफआईआर लेने के हैं। सूत्रों के अनुसार पूर्व में म.प्र. विद्युत मंडल के नाम से बिजली अधिकारी कार्य करते थे। तब शासकीय था। बाद में म.प्र. राज्य विद्युत मंडल हुआ, इसके बाद विखंडन कर 4 कंपनियां लिमिटेड कर बना दी गईं। जानकारों का कहना हैं कि बिजली कर्मचारी अब लिमिटेड कंपनी के कर्मचारी हैं न कि शासन के। कहीं भी शासकीय शब्द उनके साथ नहीं जुड़ा है, जैसा के अन्य शासकीय उपक्रमों के साथ जुड़ा रहता है। फिर सरकारी कर्मचारी स्वयं को घोषित कर किस तरह लोगों को पुलिस से प्रताड़ित करवाया जा रहा है। कई मामले फर्जी द्वेषवष रिष्वत न देने पर अधिकारियों ने लघु उद्यमियों पर लगवाये हैं। इस तरह प्रदेष में बिजली कंपनी के अधिकारी मुख्यमंत्री के उद्योग बढ़ाने के सपनों को धूमिल कर रहे हैं। बिजली कंपनी से प्रताड़ित सबलगढ़, मुरैना, डबरा, ग्वालियर आदि में लघु उद्यमी उद्योग बंद करने पर भी विचार कर रहे हैं। कुछ अधिकारियों के बजह से पूरी बिजली कंपनी बदनाम हो रही है लघु उद्यमी और उपभोक्ता प्रताड़ित हो रहे हैं। शीघ्र ही शासन स्थिति स्पष्ट करे, कि बिजली कंपनी लिमिटेड के कर्मचारी शासकीय हैं या नहीं ?cm shivrajsinh chohan 1