ग्वालियर। २० अक्टूबर [सीएनआई ] बुंदेलखंड के दतिया, दमोह, छतरपुर, सागर, टीकमगढ़, पन्ना जिलों में नल जल योजना के लिये 100 करोड़ रूपये मंजूर किये गये थे। पूरी रकम खर्च कागजों में हो गई। नलों से एक बंूद पानी नहीं निकला। करीब 78 करोड़ रूपये का घोटाला षिकायतों की जांच के बाद सामने आया है। हाईकोर्ट के आदेष पर बनीं जांच कमेटी की रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं। पूरी गड़बड़ी के लिये तत्कालीन मुख्य अभियंता एनके कष्यप एवं तत्कालीन अधीक्षण यंत्री सीके सिंह तथा कुछ राजनेताओं के नाम सामने आये हैं। पीएचई मंत्री कुसुम मेहदेले ने स्वयं को इस घोटाले से दूर बताते हुये घोटाले की बात स्वीकार की और एक चैनल को इंटरव्यू देते हुये यह भी कहा कि मैं नाम नहीं ले सकती मेरी दुष्मनी हो जायेगी। प्रदेष की एक जिम्मेदार मंत्री किससे से डर रही हैं, यह बात लोगों को चैनल पर देखकर समझ में नही आई। श्री मेहदेले ने मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चौहान को घोटाले की जानकारी दी तो वे भी आष्चर्य चकित रह गये और उन्होंने मंत्री कुसुम मेहदेले को ही कार्यवाही के निर्देष दिये। सवाल यह है कि जब मंत्री नाम बताने से सार्वजनिक रूप से डर रहीं हैं तो वे कार्यवाही कैसे करेंगी। 100 करोड़ में से 78 करोड़ का घोटाला होने पर कुछ लोगों का कहना था कि कांग्रेस में टाइम में ऐसा कहा जाता था कि एक रूपया भेजते हैं तो 20 पैसे खर्च होते हैं, 80 पैसे भ्रष्टाचार में जाते हैं। कांग्रेस तो चली गई, लेकिन उसकी स्टाइल में हुये इस घोटाले में बड़े-बड़े लोगों के नाम हवा में गंूज रहे हैं, अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री के निर्देष का पालन कितना होता है या हमेषा की तरह यह घोटाला भी फाइलों में दफन हो जायेगा।
ग्वालियर। २० अक्टूबर [सीएनआई ] बुंदेलखंड के दतिया, दमोह, छतरपुर, सागर, टीकमगढ़, पन्ना जिलों में नल जल योजना के लिये 100 करोड़ रूपये मंजूर किये गये थे। पूरी रकम खर्च कागजों में हो गई। नलों से एक बंूद पानी नहीं निकला। करीब 78 करोड़ रूपये का घोटाला षिकायतों की जांच के बाद सामने आया है। हाईकोर्ट के आदेष पर बनीं जांच कमेटी की रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं। पूरी गड़बड़ी के लिये तत्कालीन मुख्य अभियंता एनके कष्यप एवं तत्कालीन अधीक्षण यंत्री सीके सिंह तथा कुछ राजनेताओं के नाम सामने आये हैं। पीएचई मंत्री कुसुम मेहदेले ने स्वयं को इस घोटाले से दूर बताते हुये घोटाले की बात स्वीकार की और एक चैनल को इंटरव्यू देते हुये यह भी कहा कि मैं नाम नहीं ले सकती मेरी दुष्मनी हो जायेगी। प्रदेष की एक जिम्मेदार मंत्री किससे से डर रही हैं, यह बात लोगों को चैनल पर देखकर समझ में नही आई। श्री मेहदेले ने मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चौहान को घोटाले की जानकारी दी तो वे भी आष्चर्य चकित रह गये और उन्होंने मंत्री कुसुम मेहदेले को ही कार्यवाही के निर्देष दिये। सवाल यह है कि जब मंत्री नाम बताने से सार्वजनिक रूप से डर रहीं हैं तो वे कार्यवाही कैसे करेंगी। 100 करोड़ में से 78 करोड़ का घोटाला होने पर कुछ लोगों का कहना था कि कांग्रेस में टाइम में ऐसा कहा जाता था कि एक रूपया भेजते हैं तो 20 पैसे खर्च होते हैं, 80 पैसे भ्रष्टाचार में जाते हैं। कांग्रेस तो चली गई, लेकिन उसकी स्टाइल में हुये इस घोटाले में बड़े-बड़े लोगों के नाम हवा में गंूज रहे हैं, अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री के निर्देष का पालन कितना होता है या हमेषा की तरह यह घोटाला भी फाइलों में दफन हो जायेगा।