भाजपा का 1951 से 2015 तक का सुनहरा इतिहास: नरेन्द्र सिंह तोमर।

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ग्वालियर। 28 अगस्त (सीएनआई ब्यूरो)डबरा अंजली गार्डन में केन्द्रीय इस्पात मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने भाजपा के दो दिवसीय मंडल प्रषिक्षण वर्ग नगर एवं ग्रामीण का समापन करते हुये, कहा कि हमारा अतीत सुनहरा है, जनसंघ से लेकर भाजपा तक का सुनहरा इतिहास है। लाखों कार्यकर्ताओं की मेहनत और बलिदान से हम आज इस मुकाम तक पहुंचे हैं। हम लोगों की एक ही खास बात है कि हमारी कथनी और करनी एक ही है, उसी से हमारी साख बढ़ी है। भाजपा को गढ़ने में और प्रदेष में तथा केन्द्र में सरकार बनाने में इस प्रकार के प्रषिक्षण वर्गों का विषेष महत्व है, इनमें व्यक्ति निर्माण से लेकर पार्टी के बारे में तथा समाज में व्यवहार के बारे में सीखता है, जो लोग सही तरीके से सीखते हैं वे आगे बढ़ जाते हैं। देष में अनेक राजनैतिक दल हैं जो जाति क्षेत्र धर्म, मजहब के आधार पर कार्य करते हैं, लेकिन भाजपा एक ऐसी पार्टी है जो जाति, क्षेत्र, मजहब को छोड़कर राष्ट्रबाद के आधार पर काम करती है। श्री तोमर ने ऐतिहासिक जानकारी देते हुये बताया कि भाजपा आज देष और प्रदेष में सत्ता में हैं। सन् 1951 में जनसंघ के गठन के बाद डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू कष्मीर में परमिट प्रथा तथा दो झंडे, दो निषान एवं दो प्रधानमंत्री के विरोध में प्रदर्षन का ऐलान किया पूर्व में देष के बटवारे के समय वे केन्द्र में उद्योग मंत्री थे। असामान्य नेता बुद्धिवादी कर्मठ कार्यकर्ता उन्हें माना जाता था। आयु अनुभव ज्यादा नहीं था, लेकिन गुण विद्धुता में काफी आगे थे। 1947 में देष के बटवारे के बाद जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री बने, गांधी जी और सरदार वल्लभ भाई पटेल के कहने पर डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी और डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर को केन्द्रीय मंत्री मंडल में लिया। कुछ समय साथ में काम करने पर जवाहर लाल नेहरू की नीतियों से असहमत होने पर डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने केन्द्रीय मंत्री मंडल से त्याग पत्र दे दिया और अलग पार्टी बनाने की दिषा में कार्य शुरू किया। उन्होंने विपक्ष में रहकर विरोध करने का फैसला करते हुये पार्टी गठित की। आरएसएस के गुरू गोलबलकर जी को अपनी योजना बताई, गुरू जी ने कहा कि हमारा दल राजनैतिक नही हैं हम सहयोग कर सकते हैं। डाॅ0 मुखर्जी ने कुछ साथी मांगे जो विचार के बाद गुरू जी ने दिये। 1951 भारतीय जनसंघ का गठन हुआ, पं. दीन दयाल उपाध्याय महासचिव बनाये गये, उस समय वैष्णों देवी दर्षन के लिये परमिट लगता था, कष्मीर हमारा अंग है, लेकिन उस समय दो देष, दो निषान, दो विधान चलते थे। डाॅ0 मुखर्जी से यह सब सहन नहीं होता था कि एक देष में परमिट लेकर जाना पड़े। कष्मीर में परमिट प्रथा लागू होने के विरोध में उन्होंने विरोध प्रदर्षन का निर्णय लिया, उस समय सरदार वल्लभ भाई पटेल गृहमंत्री थे, उन्होंने तथा अन्य लोगों ने समझाया परंतु वे नहीं माने। डाॅ0 मुखर्जी ने संकल्प बल के सहारे आंदोलन की बात कही। वहां उनका बलिदान हुआ, लेकिन उसके बाद देष में तीव्र प्रतिक्रिया हुई, नेहरू सरकार को झुकना पड़ा। परमिट व्यवस्था खत्म हुई, कष्मीर में तिरंगा फहराया आज कष्मीर सहित पूरे भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को माना जाता है। उस समय ऐसी व्यवस्था नही थी। डाॅ0 मुखर्जी के बाद पं. दीनदयाल उपाध्याय जी ने जनसंघ की बागडोर संभालकर पूरे देष में प्रवास कर विस्तार किया। एकात्म मानववाद के सिद्धांत का प्रतिपादन ग्वालियर की धरती पर जनसंघ की बैठक में उन्होंने किया। एकात्म मानववाद ऐसा चिंतन हैं, जिसमें हर आदमी को सुख, देष को समृद्ध और विकसित किया जाने का विचार है, उसकी आलोचना, समालोचना भी हुई, इससे देष के अन्य दल घबरा गये। उनकी स्वीकारता बढ़ने लगी, उनकी मौत के बाद श्री अटल जी, आडवाणी जी, बलराम मधोक और बैंकैया नायडू, राजनाथ सिंह, नितिन गड़करी जी आये, जिन्होंने दल को संभाला। पाक से युद्ध हुआ भारत जीता, इन्दिरा जी पीएम थीं, उनके आसपास जीत के बाद कुछ चाटुकार लोगों के समूह ने उन्हें घेरे में ले लिया। सन् 1972-73 में सर्वोदय नेता जयप्रकाष नारायण ने भ्रष्टाचार के विरूद्ध छात्रों और आम आदमी को लेकर रेली निकाली। बिहार की जनता खड़ी हो गई। घटनाक्रम में पीएम इन्दिरा जी के खिलाफ कोर्ट ने निर्णय दिया तो आसपास घेरा डाले लोगों ने रात्रि 12 बजे 25 जून को इमरजेंसी की घोषणा करवा दी। कई जनसंघ के लोगों को रातों-रात पकड़कर जेल भेज दिया गया। लगभग दो साल तक हजारों लोग जेलों में रहे, उनके घर, धंधे, परिवार बर्बाद हो गये। इन्दिरा इज इंडिया के नारे चहेते लगवाने लगे, उस समय आपात काल में कांगे्रस की खिलाफत करना, पागलपन माना जाता था। मीटिंग के लिये जगह नहीं मिलती थी, दो साल बाद जब शेजवलकर जी को जेल से ग्वालियर में छूटने पर मीटिंग के लिये लाये तो जो स्थान मीटिंग के लिये तय किया था वह हाॅल वाला व्यक्ति ताला लगाकर चला गया। बाद में सड़क पर मीटिंग हुई, देष की जनता ने अपना राॅल दिखाया और जनता पार्टी हलधर चिन्ह पर हम लोग जीते। 1977 में इन्दिरा जी का सफाया जनता ने कर दिया, जनता पार्टी जीती। जनता पार्टी के गठन में 1951 से दीपक जलाकर जनसंघ को जिन्दा रखने वाले लोग तथा अन्य लोग शामिल हुये, जनसंख्या का विलय कांग्रेस को विकल्प देने जनता पार्टी में किया गया। आरएसएस में उस समय जनसंघ के लोग जाते थे, इस पर ऐतराज उठने पर अटल जी ने कहा कि हम आरएसएस के सदस्य रहेंगे, जनता पार्टी में रखें या नहीं। परिस्थितियां बदलीं, 06 अपे्रल 1980 को भाजपा का गठन हुआ, अटल जी अध्यक्ष बने। तीन साल के समय में देष-विदेष में उनकी और पार्टी की साख बढ़ी। दिसम्बर 1980 में मुम्बई में पहला अधिवेषन 40 हजार कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में हुआ। उद्घाटन के लिये आये मोहम्मद कलीम ने अस्वस्थ होने के बावजूद कहा कि बांद्रा की भूमि पर जो देख रहा हूँ वह भारत का प्रतिनिधित्व है। इन्द्रिरा गांधी का विकल्प अटल जी में दिखाई दे रहा है कार्यकर्ताओं के सहारे अटल जी पीएम होंगे, उसके बाद अटल जी के बारे में नारे गढ़े गये। एक ऐसा समय भी आया जब संसद में भाजपा के सिर्फ दो लोग थे, राजीव गांधी पीएम थे हम दो हमारे दो कहकर मजाक उड़ाया जाता था। हमारा नेतृत्व झुका नहीं, आगे बढ़ता गया, समय बदला अटल जी के नेतृत्व में सरकार बनीं, पहले 13 दिन फिर 13 माह फिर 6 साल के पीएम बने अटल जी के कार्यकाल को हर कार्यकर्ता को समझना चाहिये। 6 साल स्वर्णिम काल था। बहुमत न होने पर भी भाजपा का कार्यकर्ता पीएम बन गया, उन्होंने पोखरण में परमाणु परीक्षण कर देष को मजबूत कर दुनियां में साख बढ़ाई, कुछ जगह से विरोध भी हुआ, आर्थिक कठिनाई भी आई, लेकिन झुके नहीं। प्रधानमंत्री सड़क योजना, फोर लाइन सुविधा, मोबाइल क्रांति उसी समय की देन हैं, कार्गिल युद्ध मैदान तथा टेबिल पर अटल जी ने जीता। श्री तोमर ने कहा कि जब अटल जी अच्छा काम कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं कर सकते। देष में अनेक लोग अटल जी जैसे विचारों के हो जायें तो भारत माता का और नाम बढ़ेगा। 2014 में लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय परिषद की बैठक में राजनाथ सिंह अध्यक्ष भाजपा ने 280 प्लस की लड़ाई लड़ने की बात कही। आज 282 सीट भाजपा की तथा कुल 340 एनडीए की सीटें पाकर सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में उभरे हैं। 1951 से 2014 तक इस मुकाम पर पहुंचे हैं, यह हमारे लिये गौरव की बात है। इसमें आंतरिक योगदान लाखों कार्यकर्ताओं का है, जब गाड़ी, दरी, रोटी, स्थान नहीं था तब भी कार्यकर्ता डटे रहे आज भी केरल, आंध्र, तमिलनाडू, पष्चिम बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय होता है, उन पर प्राण घातक हमले होते हैं। भाजपा की पूरी यात्रा का विष्लेषण कर सोचें कि हम किस पार्टी के पदाधिकारी हैं, मैं स्वयं एक स्थानीय समिति का अध्यक्ष था। आज केन्द्र में मंत्री हूँ। ईमानदारी से पार्टी का काम किया, ऐसी साख बनाएं कि लोग आपकी इज्जत करें। श्री तोमर ने कार्यकर्ताओं को और भी टिप्स दिये। विधायक भारत सिंह कुषवाह, बज्जर सिंह गुर्जर, रामेष्वर तिवारी, अषोक दांतरे, अनिल जैन, राजीव दुबे, बीरेन्द्र जैन, सुरेष राजे, विपिन आनंद, द्वारिका हुकवानी, राकेष कुचिया तथा अनेक ग्रामीण एवं शहरी अंचल के कार्यकर्ता मौजूद थे।nstomar yello