ग्वालियर। १५नवम्बर [सीएनआई] भारतीय सिंधु सभा के प्रदेष अध्यक्ष भगवानदास सवनानी ने डबरा में पूज्य सिंधी पंचायती धर्मषाला के हॉल में आयोजित कार्यक्रम में डबरा के सिंधी समाज के लोगों को संबोधित करते हुये कहा कि सिंधी समाज 1947 में अपना मान-सम्मान इज्जत बचाने के लिये अपने बसे-बसाये व्यापार, धंधे, घर छोड़कर सिंध से हिन्दुस्तान में आकर जगह-जगह बस गये। करीब एक सवा प्रतिषत जनसंख्या होने के बाद भी आज हमारा राजनैतिक अस्तित्व बहुत कम हैं, प्रदेष में एक विधायक, संसद दो सांसद हैं, जो कि जनसंख्या के हिसाब से बहुत कम हैं। हमारे समाज के लोग चूंकि कठिन परिस्थितियों में विस्थापित हुये थे, इसलिये वे आज तक स्वयं को स्थापित करने के लिये संघर्ष कर रहे थे। अब समय आ गया है कि हमारी राजनैतिक सामाजिक पहचान भी हो। हमें भी अन्य लोगों जैसे एंग्लो इंडियन, ईसाई एवं अन्य समाजों की तरह मनोनयन संसद, राज्यसभा, प्रदेष में मिलना चाहिये। तभी समाज के लोगों की बात बजनदारी से रखी जा सकेगी। अभी हमारी संस्कृति बोलचाल, भाषा सब अव्यवस्थित हो गई है। अन्य समाजों की अपेक्षा हमारे समाज में फैषन के नाम पर फूहड़पन आ गया है। आज जरूरत है कि हम सब इकट्ठे हों और अपनी बात को बजनदारी से रखकर शासन तक अपनी बात पहुंचाएं। इस हेतु 20 दिसम्बर 2015 रविवार को प्रांतीय सिंधी सम्मेलन लाल परेड मैदान में आयोजित किया गया है। जिसमें समाज के लोगों को ज्यादा से ज्यादा पहुंचकर भागीदारी करना हैं। श्री सवनानी ने कहा कि समाज को एकजुट रहने की जरूरत है छोटे-मोटे झगड़ों को मिल बैठकर निपटाएं, गरीब लोगों का सहारा बनें, सामाजिक रूप से देष हित में अच्छे कार्य करें, जिससे हमारे समाज का नाम हो। हरीष नागदेव भोपाल, राजेष बाधवानी ग्वालियर, सुभाष बत्रा, रतन सूर्यवंषी का भी अध्यक्ष के साथ स्वागत डबरा इकाई के अध्यक्ष राजू नारंग, पूज्य सिंधी पंचायत अध्यक्ष सुन्दर संतवानी, सिंधी जनरल पंचायत अध्यक्ष, बसंत बाधवानी, भगवानदास खत्री, द्वारिका हुकवानी, टहलराम मंगतानी, ओमप्रकाष, चन्द्रप्रकाष मूरजानी, प्रवीण चंदानी, जयप्रकाष सुखानी, डॉ0 अषोक अमुलानी, दीपचन्द्र संतवानी, बसंत कुकरेजा, लोकूमल आहूजा, अषोक हिन्दुजा, परसराम मामा, भागचन्द्र आहूजा तथा महिला इकाई की श्रीमती पारवती अचंतानी एवं अन्य महिलाओं ने तथा अनेक लोगों ने अध्यक्ष का नगर आगमन कर स्वागत किया। इससे पूर्व झूलेलाल के चित्र के आगे दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम शुरू किया गया। समाज की बालिकाओं ने सांस्कृतिक गीत गाकर अतिथियों का स्वागत किया।
ग्वालियर। १५नवम्बर [सीएनआई] भारतीय सिंधु सभा के प्रदेष अध्यक्ष भगवानदास सवनानी ने डबरा में पूज्य सिंधी पंचायती धर्मषाला के हॉल में आयोजित कार्यक्रम में डबरा के सिंधी समाज के लोगों को संबोधित करते हुये कहा कि सिंधी समाज 1947 में अपना मान-सम्मान इज्जत बचाने के लिये अपने बसे-बसाये व्यापार, धंधे, घर छोड़कर सिंध से हिन्दुस्तान में आकर जगह-जगह बस गये। करीब एक सवा प्रतिषत जनसंख्या होने के बाद भी आज हमारा राजनैतिक अस्तित्व बहुत कम हैं, प्रदेष में एक विधायक, संसद दो सांसद हैं, जो कि जनसंख्या के हिसाब से बहुत कम हैं। हमारे समाज के लोग चूंकि कठिन परिस्थितियों में विस्थापित हुये थे, इसलिये वे आज तक स्वयं को स्थापित करने के लिये संघर्ष कर रहे थे। अब समय आ गया है कि हमारी राजनैतिक सामाजिक पहचान भी हो। हमें भी अन्य लोगों जैसे एंग्लो इंडियन, ईसाई एवं अन्य समाजों की तरह मनोनयन संसद, राज्यसभा, प्रदेष में मिलना चाहिये। तभी समाज के लोगों की बात बजनदारी से रखी जा सकेगी। अभी हमारी संस्कृति बोलचाल, भाषा सब अव्यवस्थित हो गई है। अन्य समाजों की अपेक्षा हमारे समाज में फैषन के नाम पर फूहड़पन आ गया है। आज जरूरत है कि हम सब इकट्ठे हों और अपनी बात को बजनदारी से रखकर शासन तक अपनी बात पहुंचाएं। इस हेतु 20 दिसम्बर 2015 रविवार को प्रांतीय सिंधी सम्मेलन लाल परेड मैदान में आयोजित किया गया है। जिसमें समाज के लोगों को ज्यादा से ज्यादा पहुंचकर भागीदारी करना हैं। श्री सवनानी ने कहा कि समाज को एकजुट रहने की जरूरत है छोटे-मोटे झगड़ों को मिल बैठकर निपटाएं, गरीब लोगों का सहारा बनें, सामाजिक रूप से देष हित में अच्छे कार्य करें, जिससे हमारे समाज का नाम हो। हरीष नागदेव भोपाल, राजेष बाधवानी ग्वालियर, सुभाष बत्रा, रतन सूर्यवंषी का भी अध्यक्ष के साथ स्वागत डबरा इकाई के अध्यक्ष राजू नारंग, पूज्य सिंधी पंचायत अध्यक्ष सुन्दर संतवानी, सिंधी जनरल पंचायत अध्यक्ष, बसंत बाधवानी, भगवानदास खत्री, द्वारिका हुकवानी, टहलराम मंगतानी, ओमप्रकाष, चन्द्रप्रकाष मूरजानी, प्रवीण चंदानी, जयप्रकाष सुखानी, डॉ0 अषोक अमुलानी, दीपचन्द्र संतवानी, बसंत कुकरेजा, लोकूमल आहूजा, अषोक हिन्दुजा, परसराम मामा, भागचन्द्र आहूजा तथा महिला इकाई की श्रीमती पारवती अचंतानी एवं अन्य महिलाओं ने तथा अनेक लोगों ने अध्यक्ष का नगर आगमन कर स्वागत किया। इससे पूर्व झूलेलाल के चित्र के आगे दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम शुरू किया गया। समाज की बालिकाओं ने सांस्कृतिक गीत गाकर अतिथियों का स्वागत किया।