कोटकपूरा 30 सितम्बर (मक्खन सिंह) सन 1965 भारत द्धारा पायी गयी पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत के इस वर्ष 50 वर्ष पूरे होने पर देश में जश्न मनाया जा रहा है, कोटकपूरा में भी भारत विकास परिषद द्धारा भाविप की मेन ब्रांच के प्रेजिडेंट संदीप अरोड़ा की प्रधानगी मैं 22 सितम्बर को 50 वें विजय दिवस पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया, इस सेमिनार में विशेष रूप से भाविप के राष्ट्रीय सलाहकार श्री जयपाल गर्ग , स्टेट के एक्सक्यूटिव मैम्बर श्री नरेश कांसल और जिला प्रधान राम कुमार एम. ई. ने भी भाग लिया , प्रोग्राम की शुरुआत में श्री नरेश कांसल ने 1965 की जंग में भारत की पाकिस्तान पर हुई ऐतिहासिक जीत के बारे में संक्षेप जानकारी देते हुए बताया कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सैनिकों के लिए वन रैंक वन पेंशन योजना लागु करके 1965 की जंग के शहीदों को सच्ची श्रदांजलि भेंट की है क्योंकि इस योजना से देश के लिए कुर्बान होने वाले शहीदों के परिवारों के साथ साथ देश के लिए अपनी जान को दांव लगाने वाले सैनिकों को भी लाभ पहुंचेगा। भाविप के राष्ट्रीय सलाहकार श्री जयपाल गर्ग ने अपने सम्बोधन में इस जंग के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि 62 की जंग में चीन से हार के बाद सेना का मनोबल गिरा हुआ था. पाक इसका लाभ उठाना चाहता था , पाक के विदेश मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने राष्ट्रपति अयूब खान को भारत के खिलाफ जंग छेड़ने के लिए उकसाया था. उस समय के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्रीजी ने इस युद्ध में नेहरू के मुकाबले राष्ट्र को उत्तम नेतृत्व प्रदान किया और जय जवान-जय किसान का नारा दिया। इससे भारत की जनता का मनोबल बढ़ा और सारा देश एकजुट हो गया। इसकी कल्पना पाकिस्तान ने कभी सपने में भी नहीं की थी। 7 से 20 सितंबर तक सियालकोट में भयंकर युद्ध हुआ.था. पाकिस्तान को अमेरिका से आधुनिक पैटन टैंक मिला था. जबकि भारत के पास ब्रिटेन में बने सेंचुरिअन और दूसरे विश्व युद्ध के शरमन और फ्रेंच टैंक थे. फिर भी कम्पनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद जो भारतीय सेना की ४ ग्रेनेडियर में एक सिपाही थे ने 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान खेमकरण सैक्टर के आसल उत्ताड़ में लड़े गए युद्ध में अद्भुत वीरता का प्रदर्शन करते हुए वीरगति प्राप्त की जिसके लिए उन्हें मरणोपरान्त भारत का सर्वोच्च सेना पुरस्कार परमवीर चक्र मिला। मरने से पहले परमवीर अब्दुल हमीद ने मात्र अपनी “गन माउन्टेड जीप” से उस समय अजेय समझे जाने वाले पाकिस्तान के “पैटन टैंकों” को नष्ट किया था। यह पुरस्कार इस युद्ध, जिसमें वे शहीद हुये, के समाप्त होने के एक सप्ताह से भी पहले १६ सितम्बर १९६५ को घोषित हुआ। अब्दुल हमीद की कुर्बानी ने देश के नागरिकों को सन्देश दिया कि हम हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई बाद में हैं पहले हम भारतीय हैं. आज एक बार फिर से देश को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का
सियालकोट में भारतीय सेना पाकिस्तान की कमर तोड़ कर रख दी थी. भारतीय सेना लाहौर हवाई अड्डे तक पहुंच चुकी थी. और इधर कश्मीर के हाजी पीर दर्रे पर भी भारत का कब्जा हो गया था. जंग पाकिस्तान ने छेड़ी थी लेकिन वो खुद मात खा रहा था. इस बीच भारत और पाकिस्तान पर युद्ध विराम के लिए अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ता जा रहा था. 20 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में युद्ध विराम पर प्रस्ताव पारित किया गया. और 22 सितंबर को भारत-पाक युद्ध विराम का आदेश भी जारी कर दिया गया. अंतर्राष्ट्रीय दबाव के आगे झुकते हुए 22 सितंबर को राष्ट्रपति अयूब खान ने पाकिस्तान रेडियो पर सीजफायर की जानकारी अपनी आवाम को दी.
युद्ध खत्म होने का एलान प्रधानमंत्री शास्त्री ने भी कर दिया.लेकिन ताशकन्द में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में ही रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी। मृत्यु का कारण हार्ट अटैक बताया गया। आज एक फिर देश को प्रधान मंत्री नरेंदर मोदी जी का उत्तम नेतृत्व मिला है. जिन्होंने सरहद पार के दुश्मनो को खींच कर रखने के साथ साथ किसानो के हितों की रक्षा करते हुए फिर से जय जवान जय किसान का नारा दिया है आज जब इस ऐतिहासिक जीत के 50 साल पूरे हुए हैं भाविप के सभी मैंबरों की तरफ से उन्हें नमन करते हुए सलामी दी जाती है. प्रोग्राम में वन्देमातरम और राष्ट्रीय गीत गाने के साथ साथ दो मिनट का मौन रखके शहीदों को श्रद्धांजलि भी भेंट की गई इस विशेष प्रोग्राम में भाविप की शिवाजी ब्रांच के प्रेजिडेंट कमल गर्ग, विवेकानंद ब्रांच के प्रेजिडेंट बलदेव कटारिया , सेक्रेटरी हरीश बत्रा ,मीडिया कनवीनर दीपक गर्ग ,डॉ सोनू गर्ग डेंटिस्ट ,संजय मोंगा ,विशाल गर्ग घनश्याम दास ,दिनेश मित्तल भी उपस्थित थे