भूतपूर्व राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला की पहली पुण्यतिथी बनी अकाली दल का अखाड़ा,

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बरनाला, 21 जनवरी (अखिलेश बंसल) मुख्यमंत्री, केंद्रिय मंत्री से लेकर विभिन्न राज्यों के राज्यपाल रहे सरदार सुरजीत सिंह बरनाला की स्थानीय गुरुद्वारा (प्रधान कौर) में पहली पुण्यतिथी का आयोजन किया गया। जिन्हें श्रद्धांजली देने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल, पूर्व खजानामंत्री परमिंदर सिंह ढ़ींडसा, पूर्व कैबिनेट मंत्री सिकंदर सिंह मलूका, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, बलदेव सिंह मान विशेष तौर पर पहुंचे। जिन्होंने मंच से भूतपूर्व राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला की पहली पुण्यतिथी को शिरोमणी अकाली दल का अखाड़ा बना दिया। इस मौके पर मंच पर गोबिंद सिंह कांझला, प्रकाश चंद गर्ग, सुरिंदर पाल सिंह सीबीया, बीबी सुरजीत कौर बरनाला भी उपस्थित थे। गौर हो अकाली दल दिग्गजों ने मरहूम नेता की प्राप्तियों का नामात्र जिक्र करते शिअद का गुणगान किया और कांग्रेस को अगामी चुनावों का मुख्य निशाना बनाते हुए करारी मात देने का भरोसा लिया। पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि राजीव गांधी ने संत हरचंद सिंह लौंगोवाल और सरदार सुरजीत सिंह बरनाला के साथ समझौते में बड़ा धोखा किया। जिसका संताप पंजाब आज तक भुगत रहा है। पहले चंडीगढ़ छीन लिया गया फिर पंजाब का पानी। उससे पहले इंदिरा गांधी ने एमरजेंसी लगाई मुख्य निशाना पंजाब को बनाया। शिअद ने एमरजेंसी के विरोध में 19 महीनें गिरफतारियां दी। राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का बिना नाम लिए कांग्रेसी नेताओं को निशाना बनाते और कांग्रेस को लावारिस पार्टी की
संज्ञा देते कहा कि कांग्रेस कर्ज माफ करने और युवाओं को नौकरियां देने के बड़े वादे कर सत्ता तो हासिल कर ली, लेकिन बाद में सभी वादों से मुकर गए। उन्होंने कहा जो कांग्रेसी हमारे खिलाफ खजाना खाली करने का आरोप लगा रहे हैं तो वे ही बताएं कि क्या खजाना राजा-महाराजाओं का था, जो हम लूट ले गए। बादल ने कहा आने वाला समय चुनौतियों से भरा है, जिसका मुकाबला करने के लिए हर गांव में 11-11 वलंटियर तैनात करने होंगे। बादल ने स. बरनाला से अपने संबंधों का जिक्र करते कहा कि उन्होंने मुझे अपने बेटे गगनजीत सिंह का सियासी पिता बताया था। शिअद ने हमेशा ही स. बरनाला द्वारा दी जाती नसीहतों को अहमियत दी है, जिसके चलते उन्हें प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव भी रखा गया था। पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने अपने पिता एवं शिरोमणी अकाली दल का गुणगान करते श्रद्धांजली मंच से कहा शिअद को गठन हुए 97 वर्ष हो चुके हैं। जितनी डेडीकेशन सरदार प्रकाश सिंह बादल में है उतनी किसी नेता में नहीं। मुख्यमंत्री पद पर होते हुए बादल साहिब द्वारा धार्मिक स्थलों की नि:शुल्क यात्रा शुरू हुई, लंबी-चौड़ी सडक़ों का निर्माण शुरु हुआ, २४ घंटे बिजली की सप्लाई दी गई। जबकि कांग्रेस ने झूठ बोल सरकार बनाई। वर्करों की संख्या बढ़ाने के लिए उन्होंने ऐलान किया कि पार्टी के कार्याल्य में म्यूजिम तैयार किया जा रहा है जिसमें उन बजुर्गों की फोटो शामिल की जाएंगी जिन्होंने विभिन्न समय में अकाली दल की शाख मजबूत करने के लिये मोर्चे लगाए, संघर्ष किए और कुर्बानियां दी हैं। इसके अलावा शिअद द्वारा एक फिल्म तैयार की गई है जिसे जल्दि ही रिलीज किया जाएगा। पूर्व खजानामंत्री परमिंदर सिंह ढ़ींडसा ने कहा कि स. सुरजीत सिंह बरनाला स्टेटसमैन लीडर थे। भले ही उनके पिता सुखदेव सिंह ढ़ींडसा के स. बरनाला साहिब के साथ मतभेद थे लेकिन वे उनका दिल से आदर-सम्मान करते रहे हैं। उन्होंने कहा मौजूदा सरकार धक्केशाही पर उतर आयी है। उन्होंने बादल परिवार का गुणगान करते कहा कि शिअद द्वारा कांग्रेस का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। अकाली दल के पूर्व मंत्री प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को शिअद का भीष्म पितामा करार देते कहा पंजाब में आज जो हरियाली नजर आ रही है वह अकालियों की बदौलत है। कांग्रेस के मंत्रियों ने वादों की फाइलें बंद कर दी हैं।
यह थे स. बरनाला-
सरदार सुरजीत सिंह बरनाला का जन्म हरियाणा के अटेली गांव में 21 अक्तूबर 1925 को हुआ था। वकालत लखनऊ से की थी। बरनाला अदालत में वकालत की प्रेक्टिस की थी। शिरोमणी अकाली दल को ज्वायन करने और अग्रसर भूमिका अदा करने के चलते सुरजीत सिंह बरनाला 1985 में पंजाब के मुख्यमंत्री चुने गए थे। उससे पहले स. बरनाला 1977 के दौरान केंद्र में कृषि मंत्री बने। वर्ष 1989 के दौरान वे तामिलनाडू के राज्यपाल बने। फिर 1996 और 1998 के दौरान उन्होंने लगाता दो बार सांसद का चुनाव लड़ा दोनों बार जीत हुई लेकिन 1999 में हुए तीसरे सांसदीय चुनाव में स. बरनाला को शिकस्त मिली। लेकिन तेज सितारों ने स. बरनाला को वर्ष 2000 के दौरान आंध्राप्रदेश का राज्यपाल
बना दिया उसके बाद वर्ष 2010 तक वह तामिलनाडू के भी राज्यपाल पद पर आसीन रहे। उसके बाद उन्होंने पंजाब में अकाली दल को आपसी मतबेदों से बाहर निकाल सभी को इकजुट करने के लिए सांझा मोर्चा तैयार किया, लेकिन 91 वर्ष पूरे करने के बाद 14 जनवरी 2017 को उनकी चंडीगढ़ में मौत हो गई थी.
स. बरनाला के चित्र की हुए बेअदबी-
जैसे ही सुखबीर सिंह बादल श्रद्धांजली समागम पंडाल में दाखिल हुए और साहमने मंच के बायीं ओर श्री गुरु ग्रंथ साहिब की पवित्र हजूरी में माथा टेक मंच पर बैठे पिता के चरणों में बैठ गए। उनके पीछे आए एक अकाली नेता सुखबीर सिंह से बातें करने के लिए स. बरनाला के चित्र के आगे पीठ कर बैठ
गए। बैठते ही चित्र का कांच टूट गया। जिसके बाद चित्र को हटाना पड़ा। अरदास होने के बाद स. सुरजीत सिंह बरनाला के सपुत्र गगनजीत सिंह बरनाला
ने सभी अतिथियों का परिवार की ओर से धन्यवाद किया।