मुसलमान शरीयत में दखल देने वाले किसी भी कानून को नहीं मानेगें , अहरार पार्टी के 88वें स्थापना दिवस पर शाही इमाम पंजाब का ऐलान,

0
1582

लुधियाना, 29 दिसंबर ( सी एन आई ) : भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़ कर कुर्बानियां देने वाली पार्टी मजलिस अहरार इस्लाम हिंद के 88वें स्थापना दिवस के मौके पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पंजाब के शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ऐतिहासिक जामा मस्जिद के सामने आज हजारों अहरारियों के साथ अहरार का ध्वज लहराया और इसके साथ ही अहरारी तराना पढ़ा गया व ध्वज के समीप ही दुआ करवाई गई। इस अवसर पर शाही इमाम ने कहा कि इस पार्टी की स्थापना भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सैनानी रईस उल अहरार मौलाना हबीब उर रहमान लुधियानवी, सैय्यद उल अहरार, सैय्यद अताउल्लाह शाह बुखारी, चौधरी अफजल हक ने 29 दिसंबर 1929 ई0 को लाहौर के हबीब हाल में की थी। अहरार पार्टी की स्थापना इसलिए की गई थी कि हम देश में उस समय मौजूद जालिम अंग्रेज सरकार को देश से उखाड़ फैंकें और अहरार पार्टी के कार्यकत्र्ताओं ने अपने इस फर्ज को अच्छी तरह निभाया। एक-दो नहीं बल्कि हजारों अहरारी कार्यकत्र्ताओं ने स्वतंत्रता संग्राम में जेलें काटीं हैं। शाही इमाम ने कहा कि अगर आज भी जरूरत पड़ी तो हम अपने देश की सुरक्षा के लिए खून का आखिरी कतरा भी बहा देंगे। उन्होंने कहा कि अहरार किसी इतिहासकार की मुहताज नहीं है, हम अपना इतिहास अपने खून से लिखते हैं। उन्होंने कहा कि आज भी अहरारी देश की एकता और अखण्डता के लिए काम कर रहे हैं। शाही इमाम मौलाना हबीब ने कहा कि अंग्रेज तो भारत छोड़ गये, लेकिन उसके कई ‘टोढी’ आज भी देश में मौजूद हैं, जिन्हें हम बेनाब करते रहेंगे। इस अवसर पर पैगम्बरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्ललाहुअलैही वसल्लम की जीवनी पर रौशनी डालते हुए शाही इमाम ने कहा कि प्यारे नबी ने इंसानियत को गुलामी से आजादी दिलवा कर दुनिया भर के इंसानों को बराबरी का दर्जा दिया। उन्होंने कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि हर खास और आम तक पैगम्बरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्ललाहुअलैही वसल्लम का पैगाम पहुंचाया जाये ताकि आपस की नफरतें, मुहब्बतों में बदल जायें। शाही इमाम ने कहा कि आज देश में जो भी लोग फिरकाप्रस्ती का जहर घोल कर घरेलू हिंसा को बढ़ावा देना चाहते है हम उनके नापाक इरादों को कभी कामयाब नहीं होने देगें। शाही इमाम ने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार को चाहिए कि मुस्लिम विरोधी आधारित राजनीति छोडक़र विकास की तरफ वास्तव में ध्यान दें। उन्होनें कहा कि मुसलमान शरीयत में दखल देने वाले किसी भी कानून को नहीं मानेगें। इस अवसर पर कारी मोहतरम, मुहम्मद शहनबाज, अकरम अली, मुहम्मद सरफराज, अंजूम असगर, मुफ्ती जमालुद्दीन, मुफ्ती सद्दाम, गुलाम हैसन कैसर, शाही इमाम के मुख्य सचिव मुहम्मद मुस्तकीम अहरारी आदि मौजूद थे।