ब्रह्मकुमारीज़ आश्रम ने बताई भगवान के सत्यस्वरूप दर्शन की तकनीकें
लुधियाना: 26 अगस्त 2015: (रेक्टर कथूरिया//आराधना टाईम्ज़):
आज की शाम उन सभी के लिए एक नया संदेश लेकर आई थी जो अपने व्यस्त जीवन में से कुछ पल का थोड़ा सा समय निकाल कर लुधियाना के निकट गाँव झांडे में आये थे। स्थान था ब्रह्मकुमारीज़ आश्रम और आयोजन था राखी का। राखी के ज़रिये मकसद था आज के इंसान को कामुकता, लोभ, मोह, अहंकार और क्रोध जैसे शक्तिशाली पाश से मुक्त कर उसे पवित्र और स्वतंत्रत जीवन का बोध कराना। उस पवित्रता का बोध जो आज के कामुकता भरे माहौल में किसी गए गुज़रे ज़माने की बात हुयी महसूस होती है। उस स्वतंत्रता का बोध जो आज के इन्सान ने क्रोध और लोभ मोह अहंकार जैसे बंधनों के प्रभाव में आ कर खो दी है।
जैसे आज के युग में बेचैन हुए मानव को कुछ शांति और स्वास्थ्य प्रदान करने के लिए कई बाबाओं ने दुकानें खोल राखी हैं वैसा यहाँ कुछ भी नहीं था। न गोलक न फ़न्ड्ज़ एकत्र करने की टेबल और न ही कोई डिमांड। मुझे कुछ ज़रूर माँगा जायेगा। कार्यक्रम के समापन पर एक जानी पहचानी आवाज़ ने मुझे चौका दिया। कभी सक्रिय पत्रकार रह चुकी लेकिन आजकल मेडिटेशन के आनंद सागर में डुबकियां लगा रही मीनू गिल्होत्रा की आवाज़ सुन कर पाँव न चाहते हुए भी रुक गए। मुझे लगा अब ज़रूर फंड माँगा जायेगा लेकिन उसके हाथों में मिठाई के प्रसाद की डिब्बियां थी और उसके सहयोगी के हाथों में पुस्तकों का एक सेट। उसने पैसे की कोई बात नहीं की। मुझे लगा कोई डोनेशन बॉक्स आसपास रखा होगा। मैं पानी पीने के बहाने से फिर अंदर के कमरों में गया लेकिन वहां भी कुछ नहीं था। आखिर पूछा इन किताबों की कीमत? जवाब मिला इन्हें पढ़ो और जीवन में उतारो।
करीब एक घंटे के इस सेमिनार में जब प्रवचन हुए तो उनमें मिठास भरे शब्दों में कुछ ऐसी हकीकतें बताई गयी जो वसभी के मन और दिमाग की हालत से जुडी हुईं थीं। लोगों ने इन प्रवचनों को बहुत ही स्नेह और उत्सुकता से सुना। परमात्मा कौन है, कहाँ रहता है, उसकी क्या पहचान है, उससे कैसे मिला जा सकता है। ऐसी बहुत सी बातें बहुत सादगी से समझायी गयीं। मुझे याद आये बहुत से नाम और बहुत से चेहरे जो जेल में सड़ने को मजबूर हुए या फिर मौत के मुँह में धकेल दिए गए क्यूंकि वे वे केवल दो चार पल के लिए क्रोध के पाश से वशीभूत हो कर कुछ ऐसा कर बैठे थे जिसके बारे में उन्होंने खुद कहा कि पता नहीं गुस्से में क्या हो गया था। धर्म के नाम पर होते दंगे फसाद और न जाने कितना ही कुछ दिमाग में बिजली जैसी तेज़ी से कौं ध गया।
प्रवचन के बाद बहुत सी और बातें भी हुईं और बहुत सी बातों के लिए उन्होंने निकट भविष्य का वक़्त भी दिया उनकी चर्चा किसी अलग पोस्ट में जल्द होगी आज बात केवल राखी की। पावन पवित्र संदेश का मकसद था कि केवल एक दिन के लिए नहीं बल्कि पूरा जीवन कैसे पाँचों खतरनाक विकारों को अपने नियंत्रण मैं रख कर गुज़ारना है?इस संदेश के आज के गवाह बने पंजाब योजना समिति के चेयरमैन प्रोफेसर राजिंदर भंडारी, डिप्टी मेयर प्रवीण बांसल,टैक्सेशन एडवोकेट जतिंदर खुराना, BSNL के जनरल मैनेजर विनय अग्रवाल, भाजपा यूथ विंग के प्रधान अमित गोसाईं,हीरो साईकल के वाईस चेयरमैन इस के राये, PSPCL के डिप्टी चीफ इंजीनियर प्रदीप गुप्ता,पूर्व सीएमओ-डाक्टर सुभाष बत्ता, MLA-दर्शन शिवालिक और वरिष्ठ सहित बहुत से लोग मौजूद रहे। कुल मिलकर यह एक सफल आयोजन था।