22 सितम्बर सोलन ( धर्मपाल ठाकुर ) हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के पूर्व अध्यक्ष पुरूषोत्तम गुलेरिया ने जाबली स्थित एक उद्योग के श्रमिकों पर हुए लाठीचार्ज की निंदा करते हुए मांग की है कि लाठीचार्ज में घायल हुए श्रमिकों को एक-एक लाख का मुआवजा प्रदान किया जाए। उन्होंने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम की न्यायिक जांच की भी मांग की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जब से सत्ता में आई है वह कर्मचारियों और श्रमिकों के प्रति अपनी दमनकारी नीतियां अपना रही है। पुरूषोत्तम गुलेरिया ने कहा कि एक तरफ सरकार बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाने में असफल रही है वहीं अपना हक मांगने वाले श्रमिकों पर लाठी भांज रही है। उन्होंने मजदूरों पर पुलिस द्वारा किए गए बर्बरतापूर्ण कार्रवाई पर चिंता जताते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है हिमाचल पुलिस, कांग्रेस पुलिस बनकर कार्य कर रही है, वरना शांतिपूर्ण आंदोलन के दौरान लाठीचार्ज का औचित्य ही क्या था। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार जिस तरह से कर्मचारियों और श्रमिकों को कुचलने के लिए दमनकारी नीतियां अपना रही है उसने 1977 की इमरजेंसी की यादें ताजा कर दी है। उन्होंने इस लाठीचार्ज को कांग्रेस के ताबूत में आखिरी कील की संज्ञा देते हुए कहा कि मजदूरों और श्रमिकों को खुलकर इस बर्बरतापूर्ण कार्रवाई के खिलाफ सड़कों पर उतरना चाहिए। श्री गुलेरिया ने कहा कि कांग्र्रेस ने प्रदेश में सत्ता हथियाने के लिए विधानसभा चुनाव के दौरान कर्मचारियों, श्रमिकों और आमजन से कई वायदे किए थे। किन्तु आज अपना हक मांगने वालों पर लाठीचार्ज किया जाता हैै। उन्होंने कहा कि हिमाचल की यह अब तक की सबसे असफल और असंवेदनशील सरकार है, जिसका नेतृत्व, धृतराष्ट की तरह शासन चला रहा है। पुरूषोत्तम गुलेरिया ने कहा- ‘‘क्या वजह है कि कांग्रेस सरकार केवल पौने तीन साल के अपने कार्यकाल में ही बौखला गई है। ऐसे लगता है, सरकार ने आम आदमी और श्रमिकों का विश्वास खो दिया है, इसलिए वह लाठी के दम पर डरा धमका कर उन्हें चुप करवाना चाहती है। उन्होंने कहा कि इस घटना की न्यायिक जांच की जाए ताकि लाठीचार्ज का आदेश देने वाले पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की जावबदेही तय की जा सके।
22 सितम्बर सोलन ( धर्मपाल ठाकुर ) हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के पूर्व अध्यक्ष पुरूषोत्तम गुलेरिया ने जाबली स्थित एक उद्योग के श्रमिकों पर हुए लाठीचार्ज की निंदा करते हुए मांग की है कि लाठीचार्ज में घायल हुए श्रमिकों को एक-एक लाख का मुआवजा प्रदान किया जाए। उन्होंने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम की न्यायिक जांच की भी मांग की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जब से सत्ता में आई है वह कर्मचारियों और श्रमिकों के प्रति अपनी दमनकारी नीतियां अपना रही है। पुरूषोत्तम गुलेरिया ने कहा कि एक तरफ सरकार बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाने में असफल रही है वहीं अपना हक मांगने वाले श्रमिकों पर लाठी भांज रही है। उन्होंने मजदूरों पर पुलिस द्वारा किए गए बर्बरतापूर्ण कार्रवाई पर चिंता जताते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है हिमाचल पुलिस, कांग्रेस पुलिस बनकर कार्य कर रही है, वरना शांतिपूर्ण आंदोलन के दौरान लाठीचार्ज का औचित्य ही क्या था। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार जिस तरह से कर्मचारियों और श्रमिकों को कुचलने के लिए दमनकारी नीतियां अपना रही है उसने 1977 की इमरजेंसी की यादें ताजा कर दी है। उन्होंने इस लाठीचार्ज को कांग्रेस के ताबूत में आखिरी कील की संज्ञा देते हुए कहा कि मजदूरों और श्रमिकों को खुलकर इस बर्बरतापूर्ण कार्रवाई के खिलाफ सड़कों पर उतरना चाहिए। श्री गुलेरिया ने कहा कि कांग्र्रेस ने प्रदेश में सत्ता हथियाने के लिए विधानसभा चुनाव के दौरान कर्मचारियों, श्रमिकों और आमजन से कई वायदे किए थे। किन्तु आज अपना हक मांगने वालों पर लाठीचार्ज किया जाता हैै। उन्होंने कहा कि हिमाचल की यह अब तक की सबसे असफल और असंवेदनशील सरकार है, जिसका नेतृत्व, धृतराष्ट की तरह शासन चला रहा है। पुरूषोत्तम गुलेरिया ने कहा- ‘‘क्या वजह है कि कांग्रेस सरकार केवल पौने तीन साल के अपने कार्यकाल में ही बौखला गई है। ऐसे लगता है, सरकार ने आम आदमी और श्रमिकों का विश्वास खो दिया है, इसलिए वह लाठी के दम पर डरा धमका कर उन्हें चुप करवाना चाहती है। उन्होंने कहा कि इस घटना की न्यायिक जांच की जाए ताकि लाठीचार्ज का आदेश देने वाले पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की जावबदेही तय की जा सके।