शुगर मिल के मुख्य गेट पर गन्ना संघर्ष समिति एवं किसानों ने मांगों को लेकर सांकेतक धरना दिया,

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कैथल, 4 नवंबर (कृष्ण प्रजापति ) : सहकारी शुगर मिल कैथल के मुख्य द्वार पर गन्ना संघर्ष समिति एवं भारतीय किसान संघ ने मांगों को लेकर सांकेतक धरना दिया। जिला अध्यक्ष गुल्तान सिंह नैन की अध्यक्षता में फसलों समर्थन मूल्य को लेकर दोनों संगठनों के सदस्यों और पदाधिकारियों ने सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। संगठनों के पदाधिकारियों ने मांगों को लेकर विचार-विमर्श किया। उन्होंने अपनी मांगों का ज्ञापन एडीसी कैप्टन शक्ति सिंह के मार्फत मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार को प्रेषित किया। गुल्तान सिंह नैन ने कहा कि वर्तमान हरियाणा सरकार द्वारा एक क्विंटल गन्ने पर 10 रुपये मूल्य बढ़ोतरी कर सरकार किसानों के साथ भद्दा मजाक कर रही है। उन्होंने कहा कि मात्र 10 पैसे प्रति किलो के हिसाब से बढ़ाए गए हैं, इससे बढक़र दुख का विषय किसानों के लिए क्या होगा? । उन्होंने बताया कि अब तक वर्तमान सरकार ने 3 वर्षों में गन्ने के केवल 20 रुपये रेट बढ़ाए हैं। हरियाणा के सभी किसान संगठनों की मांग थी कि 410 रुपये प्रति क्विंटल गन्ने का भाव बढ़ाया जाए। 13 जनवरी 2013 में गन्ने का भाव 265 से 300 तक गया था, जबकि चीनी का भाव 3000 प्रति क्विंटल था। अब चीनी का भाव बाजार में 4300 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि किसानों को उन की फसल के रेट नहीं मिल पा रहे हैं। इसी आधार पर गन्ने का भाव 410 प्रति क्विंटल होना चाहिए था। यह सरकार की किसानों के प्रति भेदभाव की नीति है। इसकी गन्ना संघर्ष समिति व भारतीय किसान संघ हरियाणा आलोचना करता है। उन्होंने सरकार से मांग की कि तुरंत प्रभाव से गन्ने का भाव 410 रुपये प्रति क्विंटल किया जाए। साथ ही उन्होंने सरकार को चेताया कि यदि सरकार ऐसा नहीं करती है तो संगठन सरकार से टकराने के लिए तैयार हैं। भारतीय किसान संघ हरियाणा के सचिव एवं प्रदेश प्रवक्ता रणदीप सिंह आर्य ने बताया कि बीजेपी का मुख्य एजेंडा था कि किसानों को डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार फसलों का लाभकारी मूल्य दिया जाएगा। इसी विचार को लेकर देश के 70 प्रतिशत किसान बीजेपी को मत देने के लिए तैयार हुए थे कि  किसानों की आर्थिक दशा सुधरेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव मे वायदा किया था कि वेतन आयोग की तरह किसान आयोग की रिपोर्ट को व्यवहारिक किया जाएगा, लेकिन वर्तमान सरकार ने पिछली सरकारों के उत्पीडऩ को भुला दिया है। वर्तमान सरकार पूंजीवाद स्थापित करने के प्रयास में है। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि जब भी कोई नेता किसी गांव में सभा या अन्य कार्यक्रम करता है तो उसे पूछा जाए कि किसानों के लिए क्या योजना है। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में जिले भर से किसान मौजूद रहे।