सतगुरु नानक परगटिया मिटी धुंद जग चानण हुआ -श्री गुरु नानक देव जी के जीवन से सबन्धित कुछ यादे,

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कपूरथला 29 अक्टूबर (निर्मल सिंह) जिला कपूरथला के हल्का सुल्तानपुर लोधी एक पवित्र नगरी है जहा श्री गुरु नानक देव जी की बहुत ज्यादा जीवनी जहा जुडी हुई है श्री गुरु नानक देव जी सुल्तानपुर लोधी में सब से ज्यादा समां जहा ही ब्यतीत किया जहा से ही श्री गुरु नानक देव जी की माता सुलखनी जी के साथ शादी हुई और जहा ही श्री गुरु नानक देव जी के दो सपुत्रो ने जनम हुआ श्री गुरु नानक देव जी जहा से 14 साल 9 महीने 13 दिन बातीत किए इतना ही नहीं जहा से ही श्री गुरु नानक देव जी ने मूल मंतर का उचारण बी जाहि से ही किया है सुल्तानपुर लोधी की पवित्र नगरी को ननकाणा नाम के साथ बी जाना जाता है
श्री गुरु नानक देव जी के सुल्तानपुर लोधी में 7 इतहासिक गुरुद्वारा साहिब है आये हम आप को श्रीगुरु नानक देव जी के प्रकाश पूर्व के सम्बंद में आप को इतहासिक गुरुद्वारा साहिब जी के दर्शन करवाए
01 गुरुद्वारा श्री बेर साहिब जी
ये गुरुद्वारा साहिब सुल्तानपुर लोधी के लेह्दे पास है गुरुद्वारा पर्बादक कमेटी की तरफ से यह बहुत सूंदर बनाइएया हुआ है गुरुद्वारा श्री बेर साहिब पवित्र काली नदी के बिलकुल पास है जहा श्रीगुरु नानक देव जी ने 13 साल 9 महीने तप किया जहा से गुरुद्वारा श्री बेर साहिब के नाम से अभी बी बेरी मजूद है जेह बेरी श्री गुरु नानक देव जी ने बेरी की दातन कर जहा लगाई थी वो बेरी अभी बी मजूद है और जहा एक बड़ी लंगर हाल बना हुआ है और 200 के करीब सांगतो के रहने के लिए सूंदर कमरे है जहा से देशो विदेशो में सांगते दर्शन करने पुह्चते है और अपनी मनो कामनाए पुरिया करते है
02 गुरुद्वारा श्री हट साहिब जी
जह गुरुद्वारा साहिब गुरुद्वारा श्री बेर साहिब के पास ही स्थित है जहा से श्रीगुरुनानक देव जी ने हट चलाएया करते थे जहा श्री गुरु नानक देव जी बितोर मोदी खाने में नौकरी करते थे जहा श्री गुरु नानक देव जी कालंधार साद फकीरो और गरीबो को अनाज बाटा करते थे श्री गुर साहिब जी की मानता बढ़ती गई तो गुरु पर किसे इरखालू ने दौलत खा को शिकायत की के गुरु जी आप का मोदी खाना गरीबो को लुटाई जा रहे है और गुरु साहिब को दौलत खा के आगे पेश किया और जब मोदी खाने का हिसाब देखा तो हिसाब में 120 रुपए ज्यादा निकले और सभी देख कर हैरान रह गए और इसे गुरुद्वृ से उस समे के 13. 13 तोल के वटे अभी बी मुजूद है जहा से गुरु साहिब जी 13 -13 तोला करते थे
03 गुरुद्वारा श्री संत घाट
गुरुद्वारा श्री संत घाट – श्री गुरु नानक देव जी ने जो के गुरुद्वारा श्री बेर साहिब से नजदीक नदी से इक दिन गुरु साहिब जी इशनान करने के लिए गए और वह से ही गुरु साहिब जी सच खंड चले गए और तीसरे दिन गुरु साहिब जी इस अस्थान पर परगट होए और सच खंड से गुरु साहिब जी श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में मौजूद मूल मंतर इक ओ कार का जहा से ही उच्चारण किया था और पांच उदासियों में पहली उदासी जहा से शुरू की थी और दुनिओ को सीदे रासते पईआ
04 गुरुद्वारा श्री कोठड़ी साहिब जी
गुरुद्वारा श्री कोठड़ी साहिब जी यह गुरुद्वारा साहिब जी सुल्तानपुर लोधी शहर के बिलकुल विचकार स्थित है जहा गुरु साहिब को मोदी खाने से आरोप लगा था के गुरु साहिब मोदीखाने को गरीबो को लुटा रहे है और जहा से गुरु साहिब जी को दौलत खा ने तीन दिन जहा से रखा गया था और बाद में हिसाब निकाला तो मोदीखाने में 760 रुपए ज्यादा निकले और नवाब दौलत खा ने रुपए लेने से इंकार कर दिया और श्री गुरु नानक देव जी से कहा के यह रुपए गरीबो को बाट दो गुरु साहिब ने गरीबो को बाट दिए और इस के बाद गुरु साहिब जी ने दौलत खा की मोदी खाने की नौकरी शोड दी
05 गुरुद्वारा श्री अंतरजामता साहिब जी
गुरुद्वारा श्री अंतरजामता साहिब जी मुस्लिम लोगो का एक दर्मिक अस्थान था जहा हर वकत नमाज पड़ी जाती थी इस अस्थान से कहा जाता है के श्री गुरु नानक देव जी ने दौलत खा को और मौलवी को नमाज की असलियत बताई और दौलत खा को और मौलवी को सीदे रास्ते पईया और उसे दिन से जहा से गुरुद्वारा श्री अंतरजामता साहिब जी नाम के साथ जाना जाता है
06 गुरुद्वारा श्री घर बेबे नानकी जी
गुरुद्वारा श्री घर बेबे ननकी जी का पुरातन गर और वो पवित्र गुरुद्वारा साहिब है जहा श्री गुरु नानक देव जी बेबे नानकी की शादी हुई थी और सब से पहले श्री गुरु नानक देव जी बी जहा से ही अपनी बहिन बेबे नानकी जी के पास रहते थे और भाई जै राम जी जो के बहिन के पति ने श्री गुरु नानक देव जी को जहा से ही रहने के लिए कहा और भाई जै राम जी ने ही गुरु साहिब को दौलत खा में नौकरी लगाई थी
07 गुरुद्वारा श्री गुरु का बाग
गुरुद्वारा श्री गुरु का बाग जहा से श्री गुरु नानक देव जी की बहन बेबे ननकी जी रहते थे और गुरु साहिब जी की शादी होने के बाद बेबे ननकी ने यह गर गुरु साहिब को दे दिया जहा से ही गुरु साहिब जी की शादी माता सुलखनी के साथ हुई जहा से ही गुरु साहिब जी माता सुलखणी जी को शादी कर बारात को ले कर बटाला से रवाना हुई थी और जहा से ही गुरु साहिब जी के दो पुत्रो को बाबा श्री लखमी चाँद और बाबा श्री चंद को जनम दिया
यह वही पुरातन जगह है इतहास बताता है के एक दिन गुरु साहिब जी के बहन बेबे ननकी जी फुल्का परशादा बना रही थी और गुरु जी की बहिन ने अपने वीर श्री गुरु नानक देव जी को याद किया और मन में ही सोचा के आज मेरा भाई गुरु नानक देव जी जहा हो तो मै उन्हें ग्राम ग्राम फुल्का परशादा परोसना चहिया और गुरु साहिब जी अपनी बहिन के पास परत आये और अपनी बहिन के हाथ के गर्म गर्म फुल्का परशादा शकिया और इसे गुरुद्वारा साहिब जी को गुरु का बाग कहा जाता है और इस गुरुद्वारा साहिब जी की सेवा चल रही है इन की सेवा बाबा शुबेग सिंह जी करवा रहे है,