ग्वालियर 21 जुलाई ( द्धारका हुकवानी ) प्रायवेट मेडीकल काॅलेज में स्टेट कोटे की सीटों के कैंसिलेषन से होने वाले फर्जीवाड़े की जांच सीबीआई द्वारा ग्वालियर से शुरू किये जाने की संभावना हैं। सीबीआई ने इस केस की डायरी टेक ओवर की है। निजी काॅलेज राज्य कोटे की सीट को प्लानिंग से निरस्त कर उन्हें पैमेंट सीट में बेचते हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट आषीष चतुर्वेदी की षिकायत पर एसआईटी ने अपराध क्र. 271 पर दर्ज किया था। सीबीआई ने एसआईटी अधिकारियों से इस पूरे मामले को समझा है। कुछ प्रभावषाली लोग एवं निजी काॅलेज के लोग शासन से सांठगांठ कर छात्रों को ठगने का कार्य लंबे समय से डोनेषन सीट के नाम पर करते हैं। कुछ रेकेटियर्स मेडीकल काॅलेज में पढ़ने वाले छात्रों को पैसे देकर दुबारा पीएमटी दिलाते हैं।
व्यापम से जुड़े गवाहों और आरोपियों की सिलसिलेबार मौत की जांच भी सीबीआई कर रही है। प्रमोद शर्मा के द्वारा झांसी में फांसी लगाने पर मामला थम गया था, बताया जाता है कि प्रमोद शर्मा निरस्तीकरण के धंधे में निजी काॅलेजों का भरोसेमंद दलाल था, उसे पूरी जानकारी थी, उसके मुंह खोलने पर कई प्रायवेट मेडीकल काॅलेज संचालक और उनके संरक्षण दाता राजनीतिज्ञ लपेटे में आ सकते थे। उसकी संदिग्ध फांसी की वजह उसके परिजन भी नहीं बता सके। उसने खुदकुषी की है या मारा गया है, सीबीआई इसकी भी जांच कर रही है।
ग्वालियर 21 जुलाई ( द्धारका हुकवानी ) प्रायवेट मेडीकल काॅलेज में स्टेट कोटे की सीटों के कैंसिलेषन से होने वाले फर्जीवाड़े की जांच सीबीआई द्वारा ग्वालियर से शुरू किये जाने की संभावना हैं। सीबीआई ने इस केस की डायरी टेक ओवर की है। निजी काॅलेज राज्य कोटे की सीट को प्लानिंग से निरस्त कर उन्हें पैमेंट सीट में बेचते हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट आषीष चतुर्वेदी की षिकायत पर एसआईटी ने अपराध क्र. 271 पर दर्ज किया था। सीबीआई ने एसआईटी अधिकारियों से इस पूरे मामले को समझा है। कुछ प्रभावषाली लोग एवं निजी काॅलेज के लोग शासन से सांठगांठ कर छात्रों को ठगने का कार्य लंबे समय से डोनेषन सीट के नाम पर करते हैं। कुछ रेकेटियर्स मेडीकल काॅलेज में पढ़ने वाले छात्रों को पैसे देकर दुबारा पीएमटी दिलाते हैं।
व्यापम से जुड़े गवाहों और आरोपियों की सिलसिलेबार मौत की जांच भी सीबीआई कर रही है। प्रमोद शर्मा के द्वारा झांसी में फांसी लगाने पर मामला थम गया था, बताया जाता है कि प्रमोद शर्मा निरस्तीकरण के धंधे में निजी काॅलेजों का भरोसेमंद दलाल था, उसे पूरी जानकारी थी, उसके मुंह खोलने पर कई प्रायवेट मेडीकल काॅलेज संचालक और उनके संरक्षण दाता राजनीतिज्ञ लपेटे में आ सकते थे। उसकी संदिग्ध फांसी की वजह उसके परिजन भी नहीं बता सके। उसने खुदकुषी की है या मारा गया है, सीबीआई इसकी भी जांच कर रही है।