भारतीय स्टेट बैंक के पांच एटीएम हैक कर उनसे रुपये निकालने के लिए बदमाशों ने अत्याधुनिक तकनीक का सहारा लिया। उन्होंने बाकायदा साफ्टवेयर तैयार किया और इसी के जरिए एटीएम को मेनटेंनेंस मोड में डाला। हैरान करने वाला पहलू यह कि कैश निकालने के लिए बदमाशों ने एटीएम के की बोर्ड को छुआ तक नहीं, वर्चुअल की बोर्ड का इस्तेमाल किया। एक रोज पहले एटीएम से रकम निकालते रंगेहाथों पकड़े गए दो बदमाशों ने सोमवार को एसटीएफ, साइबर सेल और जिला पुलिस की टीम को पूछताछ में यह जानकारी दी। हालांकि वारदात में प्रयुक्त साफ्टवेयर अभी पुलिस को नहीं मिल पाया। बताया गया कि ये गिरोह के सरगना व मास्टर माइंड अमित के पास है, जो फरार है। पुलिस वारदात में एटीएम में कैश फीड करने वाली कंपनी के कर्मचारियों की मिलीभगत की आशंका भी जता रही है। इस बीच, मामला सामने आने के बाद सभी बैंकों ने सुरक्षात्मक पहलुओं को लेकर सतर्कता बरती है।
इधर, एसबीआइ ने शहर से लेकर देहात क्षेत्र के आउट सोर्सिंग वाले सभी 18 एटीएम को पूरे दिन बंद रखे। आउट सोर्सिंग करने वाली कंपनी साइंटिफिक सिक्योरिटी मैनेजमेंट के आपरेटिंग हेड आशीष लखेड़ा मामला खुलने के बाद से ही पांचों एटीएम से तकरीबन एक करोड़ रुपये निकाले जाने की आशंका जता रहे हैं, लेकिन इन सभी एटीएम के मेनटेंनेंस मोड में होने की वजह से कुल निकाली गई रकम का अभी सटीक आकलन नहीं हो पाया है। इस बीच, एसबीआइ ने यह कहकर पल्ला झाड़ दिया कि आउट सोर्सिग वाले एटीएम में फीड कैश से बैंक का सीधे तौर पर लेना देना नहीं है, यह कंपनी की जिम्मेदारी है। बैंक का कोई अकाउंट हैक कर रकम नहीं निकाली गई।
एटीएम कक्ष को वाईफाई जोन में किया तब्दील
एसटीएफ के एसएसपी डा. सदानंद दाते के अनुसार जांच पड़ताल में सामने आया कि बदमाशों ने वाई-फाई डोंगल को एटीएम मशीन में लगाकर पूरे कक्ष को वाई-फाई जोन में तब्दील कर दिया। इसके बाद टैब और मोबाइल पर एक वर्चुअल की बोर्ड तैयार कर एटीएम मशीन को मेंटेनेंस मोड पर डालकर उसे ऑपरेट किया। टैब या मोबाइल से ही मशीन को कमांड दी गई। इससे प्रत्येक बार एटीएम से 40-40 नोट बाहर निकलने लगे। पांचों एटीएम से कितनी रकम निकाली गई, इसका आकलन अभी तक नहीं हो पाया है। मशीनों के मेनटेनेंस मोड में होने के चलते यह संभव नहीं हो पाया। आईटी विशेषज्ञों की मदद से एटीएम को मैन्युअल मोड में लाकर सही स्थिति पता की जाएगी।