सुख-दुख मानव जीवन के पहलू : मुकेशानंद गिरी जी,

0
1813

लुधियाना 10 जनवरी (सी एन आई ) स्वामी मुकेशानंद गिरी जी ने काकोवाल रोड स्थित श्री प्रेम धाम में आयोजित साप्ताहिक सत्संग सभा में उपस्थित श्रावकों को सुख में हद से ज्यादा खुश न होने व दुख की घड़ी में निराश न होने की सीख देते हुए दुनिया को सुख-दुख की नगरी व सुख-दुख मानव जीवन का पहलू बताया। जैसे एक तस्वीर के दो पहलू होते हैं। एक तरफ शीशा चमकता है तो दूसरी तरफ कील और दफ्ती होती है। ठीक इसी प्रकार मानव के जीवन के भी दो पहलू हैं सुख व दुख हैं। उन्होने कहा कि गरीब तो धन की कमी के चलते दुखी है लेकिन धनवान व्यक्ति धन संभालने के चक्र में दुखी है। ये समस्याएं हमें पाप-पुण्य के कर्मों के परिणाम स्वरूप मिलती हैं। सुख व दुख क्रम से आते रहते हैं। सुख व दुख में प्रभु का याद रखने का आवहान करते हुए गुरुदेव ने कहा कि यह समस्याएं हमें पाप-पुण्य के कर्मों के परिणाम स्वरूप मिलती हैं। ये क्रम से आते रहते हैं। ये न कभी किसी से हल हुईं और न होगी। इससे पूर्व श्री प्रेमधाम संकीर्तन मंडल ने हरिनाम का गुणगान करते हुए हीं छडना द्वारा भावें सुख दे भावें दुख दे… प्रस्तुत कर उपस्थित जनसमूह को भाव विभोर किया। हरि भगवान की आरती के साथ सत्संग को विश्राम दिया गया। इस अवसर पर बाबा गोपाल दास,बाबा दीपक,पंडित सोहन लाल,नरिंदर गुप्ता,रवि गोयल,सुमित गोयल,राजिंदर मिगलानी,मनमोहन मित्तल,सुदेश गोयल,वरुण मिगलानी,प्रेम सिंगला,विनोद गोयल,अनिल धमीजा,रोबिन मित्तल,महेश सिंगला,अशोक गर्ग,राहुल गर्ग,बंटी मित्तल,गौरव कुमार,अशोक शर्मा,दिनेश अरोड़ा सोनू,हरिचंद वर्मा,समीर अबरोल,राजिंदर बजाज इत्यादि उपस्थित थे