प्रो. डॉ यशपाल शर्मा आईबीसी, कैंब्रिज की टॉप 100 साइंटिस्ट-2015 की
सूची में शुमार ; आरके विक्रांत शर्मा
चंडीगढ़ : 12 सितम्बर ; आरके विक्रांत शर्मा /मोनिका शर्मा ;—– पीजीआई
में काडियोलाजी विभाग के प्रमुख प्रो. यशपाल शर्मा इंटरनेशनल
बायोजियोग्राफिकल सेंटर (आईबीसी), कैंब्रिज, इंग्लैंड के टॉप 100
साइंटिस्ट-2015 के लिए चयनित हुए हैं। इस सूची में ऐसे वैज्ञानिकों को
शामिल किया जाता है जिनके कार्यों की बदौलत असंख्य लोगों को फायदा
पहुंचता है। चंडीगढ़ को चिकित्सा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय
प्रतिष्ठा व् गौरवमय स्थान दिलाने में डॉ यशपाल शर्मा की देन बेमिसाल है
!
प्रो. शर्मा की इस उपलब्धि ने चंडीगढ़ को चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई
ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। उनके द्वारा किए गए शोध व थ्योरी अक्सर समाचार
पत्रों, आल इंडिया रेडियो, दूरदर्शन व कई टीवी चैनलों पर प्रसारित होते
रहते हैं। उनके द्वारा खोजी गई यश इंडिया टेक्नीक ने भी चिकित्सा के
क्षेत्र में काफी प्रसिद्धि बटोरी। इस टेक्नीक के तहत उन्होंने बताया कि
भोजन दिमाग के संकेत के मुताबिक करना चाहिए। उनके मुताबिक एक चपाती को कम
से कम दस मिनट तक चबा चबाकर खाना चाहिए। ऐसा करने से केवल दो चपाती में
ही पेट भर सकता है व अनावश्यक भोजन की आवश्यकता नहीं रहती जिससे
स्वास्थ्य ठीक रहता है व इंसान कई प्रकार की बीमारियों से महफूज रहता है।
उन्होंने यह खोज अपने कई मरीजों पर शोध करने के बाद दुनिया के सामने पेश
की ! उक्त तकनीक मुताबिक ईटिंग विद ब्रेन प्रणाली के बारे में अधिक
जानकरी देते हुए परफेक्ट मीडिया पीआर की एमडी मोनिका शर्मा आभा ने
विस्तार से बताया कि डॉ यशपाल शर्मा की उक्त तकनीक को अपनाने से देश
अन्न क्षेत्र में भी आत्म निर्भर हो जाएगा ! क्योंकि जहाँ इंसान चार से
छ चपाती खाता है वहीँ उक्त तकनीक से महज ज्यादा से ज्यादा दो तीन ही
खायेगा ! रोटी खाने से पेट भर गया ये संदेश ब्रेन देता और जब चबाएंगे तो
पेट को और कितना चाहिए ये निर्णय मुंह करेगा जो चबाने की क्रिया को पूरा
कर चूका होता है ! ये सिस्टम ब्रेन कंट्रोल करेगा और थोड़े खाने से शरीर
स्वस्थ मोटापा रहित रहेगा और आप दीर्घायु पाएंगे ! जिससे चिकित्सा
विज्ञान को नई दिशा मिली। डॉ यशपाल शर्मा ने ईटिंग विद ब्रेन का पेटेंट
भी करवाया है ! चेहरे पर हमेशा मुस्कान और दिल में हमेशा किसी की मदद
करने को आतुर दिखाई देते हैं ! अपने मरीजों से आत्मीयता से इतने जुड़
जाते की मरीज जल्दी पॉजिटिव रिस्पोंस देते हुए स्वस्थ होकर घर जाते हैं !
डॉ शर्मा अपने मरीजों को लाफ्टर थैरेपी के जरिये जीवन जीने को हमेशा
प्रेरित करते हैं ! ये सच उनकी हार्ट पेशेंट उम्र दराज लक्ष्मी देवी
शर्मा जिनका हार्ट ऑपरेशन की बजाए एंजियो ग्राफी से सफल इलाज किया था !
प्रो. यशपाल हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले से हैं व फगवाड़ा व कांगड़ा
में दसवीं तक की शिक्षा हासिल करने के बाद डीएवी जालंधर में उन्होंने आगे
की पढ़ाई पूरी की व अमृतसर की गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस
किया। जीएमसीएच पटियाला से एमडी व पीजीआई चंडीगढ़ से डीएम किया व बाद में
यहीं पर डॉक्टर के तौर पर अपना कैरियर आरंभ किया। उन्हें देश व विदेश में
कई सम्मान हासिल हो चुके हैं।
उन्हें मिले प्रमुख सम्मानों में मदर टेरेसा शिरोमणि अवार्ड, स्वामी
विवेकानंद एक्सीलेंस अवार्ड, वेस्ट सिटीजन ऑफ इंडिया अवार्ड, इंदिरा
गांधी प्रियदर्शनी नेशनल अवार्ड व भारत एक्सीलेंस अवार्ड के साथ-साथ
पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा पंजाब का राजकीय सम्मान व प्रमाण पत्र भी
दिया जा चुका है।
प्रो. डॉ यशपाल शर्मा आईबीसी, कैंब्रिज की टॉप 100 साइंटिस्ट-2015 की
सूची में शुमार ; आरके विक्रांत शर्मा
चंडीगढ़ : 12 सितम्बर ; आरके विक्रांत शर्मा /मोनिका शर्मा ;—– पीजीआई
में काडियोलाजी विभाग के प्रमुख प्रो. यशपाल शर्मा इंटरनेशनल
बायोजियोग्राफिकल सेंटर (आईबीसी), कैंब्रिज, इंग्लैंड के टॉप 100
साइंटिस्ट-2015 के लिए चयनित हुए हैं। इस सूची में ऐसे वैज्ञानिकों को
शामिल किया जाता है जिनके कार्यों की बदौलत असंख्य लोगों को फायदा
पहुंचता है। चंडीगढ़ को चिकित्सा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय
प्रतिष्ठा व् गौरवमय स्थान दिलाने में डॉ यशपाल शर्मा की देन बेमिसाल है
!
प्रो. शर्मा की इस उपलब्धि ने चंडीगढ़ को चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई
ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। उनके द्वारा किए गए शोध व थ्योरी अक्सर समाचार
पत्रों, आल इंडिया रेडियो, दूरदर्शन व कई टीवी चैनलों पर प्रसारित होते
रहते हैं। उनके द्वारा खोजी गई यश इंडिया टेक्नीक ने भी चिकित्सा के
क्षेत्र में काफी प्रसिद्धि बटोरी। इस टेक्नीक के तहत उन्होंने बताया कि
भोजन दिमाग के संकेत के मुताबिक करना चाहिए। उनके मुताबिक एक चपाती को कम
से कम दस मिनट तक चबा चबाकर खाना चाहिए। ऐसा करने से केवल दो चपाती में
ही पेट भर सकता है व अनावश्यक भोजन की आवश्यकता नहीं रहती जिससे
स्वास्थ्य ठीक रहता है व इंसान कई प्रकार की बीमारियों से महफूज रहता है।
उन्होंने यह खोज अपने कई मरीजों पर शोध करने के बाद दुनिया के सामने पेश
की ! उक्त तकनीक मुताबिक ईटिंग विद ब्रेन प्रणाली के बारे में अधिक
जानकरी देते हुए परफेक्ट मीडिया पीआर की एमडी मोनिका शर्मा आभा ने
विस्तार से बताया कि डॉ यशपाल शर्मा की उक्त तकनीक को अपनाने से देश
अन्न क्षेत्र में भी आत्म निर्भर हो जाएगा ! क्योंकि जहाँ इंसान चार से
छ चपाती खाता है वहीँ उक्त तकनीक से महज ज्यादा से ज्यादा दो तीन ही
खायेगा ! रोटी खाने से पेट भर गया ये संदेश ब्रेन देता और जब चबाएंगे तो
पेट को और कितना चाहिए ये निर्णय मुंह करेगा जो चबाने की क्रिया को पूरा
कर चूका होता है ! ये सिस्टम ब्रेन कंट्रोल करेगा और थोड़े खाने से शरीर
स्वस्थ मोटापा रहित रहेगा और आप दीर्घायु पाएंगे ! जिससे चिकित्सा
विज्ञान को नई दिशा मिली। डॉ यशपाल शर्मा ने ईटिंग विद ब्रेन का पेटेंट
भी करवाया है ! चेहरे पर हमेशा मुस्कान और दिल में हमेशा किसी की मदद
करने को आतुर दिखाई देते हैं ! अपने मरीजों से आत्मीयता से इतने जुड़
जाते की मरीज जल्दी पॉजिटिव रिस्पोंस देते हुए स्वस्थ होकर घर जाते हैं !
डॉ शर्मा अपने मरीजों को लाफ्टर थैरेपी के जरिये जीवन जीने को हमेशा
प्रेरित करते हैं ! ये सच उनकी हार्ट पेशेंट उम्र दराज लक्ष्मी देवी
शर्मा जिनका हार्ट ऑपरेशन की बजाए एंजियो ग्राफी से सफल इलाज किया था !
प्रो. यशपाल हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले से हैं व फगवाड़ा व कांगड़ा
में दसवीं तक की शिक्षा हासिल करने के बाद डीएवी जालंधर में उन्होंने आगे
की पढ़ाई पूरी की व अमृतसर की गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस
किया। जीएमसीएच पटियाला से एमडी व पीजीआई चंडीगढ़ से डीएम किया व बाद में
यहीं पर डॉक्टर के तौर पर अपना कैरियर आरंभ किया। उन्हें देश व विदेश में
कई सम्मान हासिल हो चुके हैं।
उन्हें मिले प्रमुख सम्मानों में मदर टेरेसा शिरोमणि अवार्ड, स्वामी
विवेकानंद एक्सीलेंस अवार्ड, वेस्ट सिटीजन ऑफ इंडिया अवार्ड, इंदिरा
गांधी प्रियदर्शनी नेशनल अवार्ड व भारत एक्सीलेंस अवार्ड के साथ-साथ
पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा पंजाब का राजकीय सम्मान व प्रमाण पत्र भी
दिया जा चुका है।