युवा वर्ग को थियेटर की एहमियत को समझना जरूरी है, कूल सिद्धू.

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 (अमरीश आनंद ) पंजाब के बठिंडा शहर से बहुत जल्द अपनी क़ाबलियत के दम पर पंजाबी फिल्मो व् थियेटर की दुनिया से जुडी कूल सिद्धू के प्रसंसको की बड़ रही तादात में लगातार हो रही बढ़ोतरी सच में एक चमत्कार साबित हो रहा है कूल सिद्धू ने आपने सफर की शरुआत करते हुए सबसे पहले अन्ने घोड़े दा दान फीचर फिल्म में काम किया जिस को तीन नेशनल अवार्ड हासिल हुए छोटी से उम्र में ही आज कल “”किसा पंजाब” में बहहतऱीन रोले अदा करने के बाद अब .चैलेंज रोल स्वीकार करने की इच्छा रखने रखने वाली कूल सिद्धू ने एक मुलकात के दौरान आपने अभिनय के सफर पर हमारे सवाददाता से हुई बात पर अनेको सवालो के जवाब देते हुए कहा की थियेटर अकेली एक्टिंग ही नही जिन्दगी जीना भी सिखाता है यह कहना है रंगमंच की अदाकार कुल सिद्दू का ……. पहले थियेटर कब और कहाँ किया -? सबसे पहले नाटक” घर गुम है”‘ किया था उनसे मेरा ”पम्मी” नाम का रोल था बठिंडा से मैंने टोनी बातिश जी के साथ थियेटर की शुरुवात और बाद में श्री केवल बांसल जी ने मुझे फ़फ्फ़ी नाटको में काम दिया और फिल्मो में मेरे गॉडफादर अमरदीप सिंह गिल जी है … सिनेमा का कोई कोई नाम जिस से आप प्रभावित है .? वहीदा रेहमान जी ,शबाना आजमी ,स्मिता पाटिल ,और हर बेहतरीन एक्टर्स मेरे आदर्श है….. आजकल रंगमंच को कितना समय दे पाते है आप …? जब कोई नाटक कार नाटक करने को कहता है मैं जरूर करने की कोशिश करती हु मैं अपने शहर बठिंडा के रंगमंच के साथ जुडी हुई हु…. एक्टिंग के अतिरिक्त क्या क्या शोक रखते हो.आप .? एक्टिंग के अतिरिक्त कुकिंग करना शोपिंग करने जाना और घूमना मुझे अच्छा लगता है …. आपने कौन कौन सी मूवी में काम किया है..? मैंने अन्ने घोड़े का दान ,सुता नाग ,और खून नाम की शार्ट मूवी में काम किया है सभी शार्ट मूवी एक दूसरे से अलग अलग थीं ..इसके अतिरिक्त बहुत समय से अनेको नाटक भी किये जो की रंगमंच के साथ जुड़े थे ..और आज कल चल रही फिल्मो में किस्सा पंजाब कर चुकी हु .. क़िस्सा पंजाब में काम करने के बाद कैसे लगा? क़िस्सा पंजाब एक अलग सी फिल्म थी उस फिल्म के डायरेक्टर जतिंदर मुहार की सोच भी कुछ अलग थी,मेरी नज़र में क़िस्सा पंजाब मेरी एक प्राप्ति है आप को कैसे रोल करना पसंद है ? मुझे हर तरह के वह रोल पसंद है जिसमे कोई भी चैलेंज हो जो दर्शको को याद रहे आपका सपना .. जा कोई अहम पल ? मेरा सपना मुंबई जाकर एक नामवार एक्ट्रेस बनने का है मैं अपनी ज़िंदगी में एक बैलेंस रख कर ब्यतीत करना चाहती हूँ मेरी सारी ज़िंदगी ही यादगार है कोई ख़ास पल नही …… आज कल के युथ को थिएटर प्रति क्या सन्देश देना चाहेगी ..? एक्टिंग की फील्ड में आने के लिए थिएटर हमें एक प्लेटफार्म देता है और एक्टर व् एक्ट्रेस बनने के शोक रखने वाले युवा वर्ग को थियेटर की एहमियत को समझना जरूरी है और रंगमंच की इज्जत करनी चाहिए ….. सी एनं आई