​​परमेश्वर में आस्था करवाती है जीवन व मृत्यु के कुचक्र से मुक्त : मुकेशानंद गिरी

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लुधियाना 1 नवम्बर ( सी एन आई) मनुष्य की आत्मा अनंत शाक्तियों का स्रोत है। इन शक्तियों को जागृत करने के लिए जरूरी है विनम्रतापूर्वक आत्मसंयम की राह पर चलना। आत्म-अनुशासन और परमेश्वर में आस्था के सहारे कोई भी व्यक्ति आत्मा में परमात्मा को विराजमान कर मोक्ष की प्राप्ति कर जीवन व मृत्यु के कुचक्र से मुक्त हो सकता है। उपरोक्त सजवचन गुरुदेव मुकेशानंद गिरी जी ने वीरवार को काकोवाल रोड स्थित श्री प्रेम धाम में आयोजित सत्संग सभा में उपस्थित श्रावकों को आत्मा में मौजूद अंनत शक्तियों के महत्व से अवगत करवाते हुए प्रगट किए। गुरु जी ने मानव जीवन का उद्देश्य है आत्मा की आध्यात्मिक प्रगति है। जब मनुष्य मन में उठते विकारों को काबू कर परमात्मा के नाम की ज्योति प्रजिजिवलत करता है अर्थात आत्म-अनुशासन व दृढ़ संकल्प के बल पर अपनी बुरी आदतों से छुटकारा पाने के प्रयत्न करता है तो उसे सच्चे ज्ञान की प्राप्ति होती है। सच्चे ज्ञाान की प्राप्ति से इंसान का परमात्मा से मिलान होता है। इस स्थिति में मनुष्य का दिमाग सीमाओं को पार कर जाता है। इस आमूलचूल परिवर्तन की प्रक्रिया आत्मसंयम द्वारा ही संभव है। इस अवसर पर बाबा गोपाल दास,बाबा दीपक,पंडित सोहन लाल,नरिंदर गुप्ता,रवि गोयल,मनमोहन मित्तल,सुदेश गोयल,प्रेम सिंगला,विनोद गोयल,अनिल धमीजा,सुमित गोयल,चेतन मरवाहा,राजन कतना,हरिचंद वर्मा,दीपक वर्मा,कुमार रोहित,संजीव वर्मा,अमित शर्मा,टोनी भल्ला,यतिन गाबा,डॉ.सुखविंदर सिंह,डॉ.नवजोत पुरी, दविंदर कलसी इत्यादि उपस्थित थे