पूंडरी हल्के को है दमदार विधायक का इंतजार, मिशन 2019 विकास के मामले में आज भी पिछड़ा हुआ है पुण्डरी हल्का,

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2008

कैथल,03 नवम्बर (कृष्ण प्रजापति): पूरे प्रदेश की 90 विधानसभाओं में कैथल जिले का पूंडरी हल्का अपने आप में अलग पहचान रखता है क्योंकि इस विधानसभा क्षेत्र से पिछले 25 सालों से आजाद विधायक जीत दर्ज करता आ रहा है लेकिन 25 सालों से इस सीट से कोई भी ऐसा नेता विजय प्राप्त नहीं कर सका जो विकास के मामले में पूंडरी हल्के को एक विशेष पहचान दिलवा सके। हालांकि पुंडरी को हलके की पहचान दिलवाने में यहां से विधायक रहे और पूर्व स्पीकर स्व0 चौधरी ईश्वर सिंह का काफी योगदान रहा है। हल्के की जनता में आज भी इस बात की चर्चा है कि जो विकास कार्य, जो हल्के में काम चौधरी ईश्वर सिंह के समय में हुए थे वे लगभग 30 साल के कार्यकाल में किसी भी विधायक द्वारा नहीं किए गए हैं जिसका पूंडरी हल्के की जनता को मलाल है। यहां के कई लोगों ने बताया कि 1996 से लेकर वर्तमान तक इस सीट से केवल आजाद विधायक जीतता आया है लेकिन किसी भी चुने हुए विधायक ने पूंडरी हल्के की सुध लेना उचित नहीं समझा। हालांकि यहां से जीतने वाले सभी विधायक विकास के मामले में पूंडरी हल्के को एक नंबर पर लाने का दावा तो करते नजर आए लेकिन आज भी पुंडरी विधानसभा विकास के सिलसिले में वह पहचान नहीं बना पाया जो अब तक होनी चाहिए थी।

 अगर बात करें 1996 के चुनाव की तो यहां से विधायक बने नरेंद्र शर्मा की, वे भी यहाँ से विधायक बनने के बाद तत्कालीन बंसीलाल सरकार में सिंचाई मंत्री रहे और उन्होंने अपने कार्यकाल के बारे में बताया कि उन्होंने उस दौरान बहुत से विकास कार्य करवाए थे लेकिन सरकार टूटने के बाद वे इनेलो में चले गए थे। उसके बाद यहां से चौधरी ईश्वर सिंह के लड़के तेजवीर सिंह ने आजाद विधायक के रुप में शपथ ली। उसके बाद 2005 में प्रो0 दिनेश कोशिक यहां से विधायक बने लेकिन वे भी विकास के मामले में पूंडरी हल्के को कोई खास पहचान नहीं दिलवा सके। 2009 के विधानसभा चुनाव में यहां से चौधरी सुल्तान सिंह जडौला विधायक बने और तत्कालीन भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में परिवहन एवं संचार विभाग के मुख्य संसदीय सचिव रहे। हालांकि सुल्तान सिंह जडौला अपने कार्यकाल में करोड़ों रुपए के विकास कार्य करवाने की बात कर रहे हैं लेकिन आज भी पूंडरी को उपमंडल का दर्जा और वो विकास नहीं मिल पाया जो पुण्डरी की जनता चाहती है। उसके बाद यहां से प्रो0 दिनेश कौशिक ने आजाद विधायक के रुप में शपथ ली और वे लगभग 3 साल से विधायक बने हुए हैं। उनके कार्यकाल में गत 31 मई 2015 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने करोड़ों रुपए की विकास कार्यों की घोषणा की थी।  विधायक के अनुसार सीएम द्वारा की गई 90 प्रतिशत घोषणाओं पर काम चल रहा है और कई घोषणाओं पर कार्य लगभग पूरा हो चूका है। उधर यहां से दूसरे नंबर पर रहे भाजपा प्रत्याशी रणधीर गोलन भी सरकार के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए विकास कार्य करवाने की बात कर रहे हैं और गत दिनों पूंडरी में विशाल कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित करके उन्होंने पुंडरी हल्के की जनता को संदेश दिया था कि वे पुण्डरी हलके के विकास कार्यों में दिन रात लगे हुए हैं और मौजूदा विधायक पर उन्होंने पुण्डरी हल्के की मांग मुख्यमंत्री के समक्ष न उठाने की बात कही थी और इसके साथ साथ भाजपा नेता रणधीर सिंह गोलन ने विधायक पर हल्के की समस्याओं को मुख्यमंत्री के समक्ष न रखने का भी मलाल किया था। उन्होंने हल्के की जनता को मंच के माध्यम से बताया था कि वे हल्के की समस्याओं से मुख्यमंत्री को समय समय पर अवगत करवाते रहते हैं और उनके प्रयासों से आज पूंडरी हलके में करोड़ों रुपए के विकास कार्य जारी हैं। इन सभी परिणामों के बावजूद आज भी पूंडरी हलके में विकास कार्य ना के बराबर हैं। आज भी पूंडरी हल्के को न तो उपमंडल का दर्जा मिला है और ना ही यहां पर हॉस्पिटल का दर्जा बढ़ाया गया है। पुंडरी हलके के अधिकतर गांवो में बने सरकारी स्कूलों में स्टाफ की कमी है। सरकारी बिल्डिंग जर्जर हो चुकी हैं। पुण्डरी के हुड्डा सेक्टर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं और हर्बल पार्क (जिसकी घोषणा 2015 में मुख्यमंत्री द्वारा की गई थी) उसका काम भी अटका हुआ है। वहीँ कई घोषणाओं पर अधिकारियों द्वारा टालमटोल किए जाने से वे भी ठंडे बस्ते में चली गई है। हालांकि सभी नेता यहां पर विकास करवाने का दम भरते नजर आते हैं लेकिन वास्तव में कितना विकास हुआ है यह पूंडरी की जनता भली भांति जानती है।

 मिशन 2019 में जुटे हुए हैं हल्के के कई नेता :-मिशन 2019 का नारा देकर कई नेता पुण्डरी हल्के से चुनाव मैदान में कूद पड़े हैं। उनमें कई मौजूदा सरपंच, ब्लॉक समिति और अन्य कई संस्थाओं के चेयरमैन, कई ऐसी पार्टियों के नेता हैं जो 2014 के चुनाव में हार का मुंह देखने के बाद हल्के में नहीं घुसे थे और आजकल मिशन 2019 का नारा देकर हल्के की जनता के बीच जा रहे हैं। पूंडरी में 2014 में चुनाव लड़ चुके हारे हुए कई नेता तो आज भी विदेशों से वापस नहीं लौटे हैं और कई नेता 2019 में फिर से चुनावी जनसंपर्क अभियान चलाने की इंतजार में है। अब देखना होगा कि पुंडरी की जनता 2019 के चुनाव में ऐसे कौन से नेता पर अपना विश्वास जताती है, जो उनके विकास के मुद्दों पर खरा उतरेगा। हालांकि यहां यह बात कहने से कोई गुरेज नहीं होगा कि पुंडरी में बरसाती मेंढकों जैसे नेताओं की कोई कमी नहीं है लेकिन रियल हीरो के रूप में कोई भी नेता आज तक पुण्डरी हल्के को नहीं मिला है। आज भी पूंडरी की जनता कद्दावर नेता की तलाश में है।