गड़बड़झाला : जिला अदालत व प्रबन्धकीय परिसर में अधिकांश अवैध दुकानें14 साल पुराने नोटीफिकेशन को फाइलों में दबाते चले आ रहे हैं संबंधित विभाग के अधिकारी व कर्मचारी,

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बरनाला, 23 नवम्बर (अखिलेश बंसल/विपन गुप्ता) जिला अदालत व प्रबन्धकीय परिसर के संबंधित विभाग के अधिकारी व कर्मचारी 14 साल पुराने नोटीफिकेशन को फाइलों में दबाते चले आ रहे हैं। परिसर में अधिकांश दुकानें अवैध बन चुकी हैं। जिससे राज्यभर में सबसे सुन्दर दिखने वाले करोड़ों की लागत से निर्माणित हुए कोर्ट-कम-डिस्ट्रिक एडमनिस्ट्रेशन कंपलेक्स की लुक जीरो से भी बदतर तो हो ही चुकी है, यह दुकानें सुरक्षा के लिए भी खतरा बन चुकी हैं।
2003 के दौरान जारी हुआ था नोटीफिकेशन:-पंजाब स्टेट कचेहरी कंपाऊंड फंड रूल्स 1937 जिसे साल 2003 के दौरान शोध किया गया था। जिस पर राज्य सरकार के सैक्रेटरी एवं रेवेन्यू फायनांस
कमिशनर राजेश छाबड़ा की मुहर शामिल थी। उसके आधार पर पंजाब सरकार द्वारा 2 जुलाई 2003 को जारी हुए नोटीफिकेशन के मुताबिक कचेहरी परिसर में फोटोस्टेट, एसटीडी/पीसीओ, टाईपिंग मशीन, जूस बार इत्यादि दुकानें सिर्फ लकड़ी की बनाई जा सकती हैं। जिनका साइज़ 8′ X 6′ फ़ीट निर्धारित किया गया था। लकड़ी के प्लेटफार्म बनाने के लिए लायसेंस हासिल करने की फीस 100
रुपए/प्रति महीना, लकड़ी का खोखा (कैबिन) बनाने की फीस 200 रुपए/प्रति महीना, फोटोस्टेट, एसटीडी/पीसीओ, टाईपिंग मशीन, जूस बार के खोखे बनाने के लिए 400 रुपए प्रति महीना फीस निर्धारित की थी। साल 2006 के दौरान नोटीफिकेशन के अनुसार यदि खोखे में कंप्यूटर रखना हो तो उसकी फीस 600/-रुपए फीस निर्धारित कर दी थी।
सरकार का यह था मकसद:- लकड़ी के खोखे बनाने की शर्त तत्कालीन सरकार ने इस लिए निर्धारित की थी जिससे एक तो लकड़ी के कारीगरों व मजदूरों को आमदनी का साधन बन सके। दूसरा
जरूरत पडऩे पर उन लकड़ी के कैबिनों को आसानी से किसी भी जगह तब्दील किया जा सके। तीसरा लकड़ी के खोखों/कैबिनों पर किसी मौसम का असर नहीं होगा और किसी खोखे में लगाई जाती फोटोस्टैट जैसी इलेक्ट्रॉनिक मशीनरी में करंट आ जाने पर किसी को नुकसान नहीं होगा।
देखादेखी बना दिए पक्के कैबिन:
जिला अदालत व प्रबन्धकीय परिसर में शुरूआती दौर में तकरीबन एक दर्जन खोखे थे। उनके समेत आज परिसर में खोखों की बजाय छ: दर्जन से ज्यादा पक्की दुकानें स्थापित हो चुकी हैं। विभागीय रिकार्ड के अनुसार परिसर में ३ वसीका नवीस (डीडी रायटर), 24 स्टाम्पफरोश (स्टैंप बाइंडर), 10 टाईपिस्ट, 2 फोटोस्टैट मशीनों की दुकानें हैं। वैध/अवैध समेत अधिकांश ने लकड़ी के खोखे बनाने की जगह पक्की सीमेंटेड व मार्बलयुक्त दुकानें भी बना ली हैं। नोटीफिकेशन के अनुसार दो दुकानों को एक साथ नहीं मिलाया जा सकता। लेकिन दादागिरी के चलते उक्त कारोबारियों ने निर्धारित 8′ X 6′ फ़ीट साइज़ एवं धारा 144 के कानून को पूरी तरह से नजरन्दाज कर, लंबी-चौड़ी जगह पर अतिक्रमण करते हुए कई-कई दुकानों की जगह को एक ही बना लिया है। यह भी पता लगा है कि कईयों ने तो वर्षों से फीस तक जमा नहीं करवायी।
लुक को किया बदतर:- गौर हो कि ज़िला के अदालत एवं प्रबन्धकीय परिसर की इमारत को आकृषित बनाने तथा ग्रीन-एंड-क्लीन करने के मकसद से परिसर की दीवार के साथ साथ फूलयुक्त वृक्ष लगाने व लोगों के आराम करने के लिए पार्क बनाने और प्रवेश द्वार व निकासी द्वार पर सुरक्षा बलों को तैनात करने की योजना थी। इस परिसर के पिछले हिस्से में खाली पड़ी लंबी-चौड़ी ज़मीन पर फोटोस्टेट, एसटीडी/पीसीओ, टाईपिंग मशीन, जूस बार इत्यादि के खोखे बनाए जाने थे। लेकिन उक्त कारोबारियों ने दादागिरी के चलते सरकार के सभी कायदे कानूनों को दर किनार करते हुए अपने कैबिन जिला अदालत व प्रबन्धकीय परिसर के सभी मुख्य द्वारों के साथ साथ कब्को में ले लिया। नतीजन करोड़ों रुपयों की लागत से बनाए गए उक्त परिसर की भव्य व शानदार आकृति को बिगाड़ दिया। हालात यह हो गए हैं कि अन्य चलती-फिरती मोबाइल दुकानों ने भी परिसर में डेरे जमाने शुरू कर दिए हैं।
सुरक्षा के लिए खतरा बनी दुकानें:- अतिक्रमणकारियों के कारण जिला के इस परिसर में आज तक अनेकों वारदातें हो चुकी हैं, जो कि जिला प्रबन्धकीय कंपलेक्स में पहुंचते लोगों एवं इमारत की सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा है। जिसका फायद उठा उक्त दुकानों की आड़ ले कर असामाजिक तत्व पेशी भुगतने आते लोगों पर वार करते हुए कई बार अनेकों वारदारों को अंजाम दे चुके हैं।
समाजसेवीयों ने लिया संज्ञान:-समाजसेवीयों नैब सिंह काला व अजीतपाल सिंह संधू का कहना है कि जिला अदालत व जिला प्रबन्धकीय परिसर की छवि को किसी कीमत पर खराब नहीं होने दिया जाएगा। यदि इस जिला के सचिवालय की आन-बान व शान को बचाने के लिए अतिक्रमणकारियों के साथ साथ संबंधित विभाग के लापरवाह अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ हाईकोर्ट भी जाना पड़ा तो पीछे नहीं हटेंगे।
यह कहते हैं अधिकारी: – डिप्टी कमिशनर श्री घणश्याम थोरी का कहना है कि जिन लोगों ने अदालत परिसर की छवि को बिगाड़ा है, कानून की उलंघना की है और अवैध दुकानें बना ली हैं, संबंधित शाखा से जल्दि ही इसकी पूरी रिपोर्ट ली जाएगी। दोषी लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवायी की जाएगी।​