लुधियाना. लुधियाना पुलिस की हिरासत में 8 दिन पहले युवक की मौत के मामले में एसएचओ को सस्पेंड कर दिया गया है। परिवार का आरोप है कि पुलिस यातनाओं के कारण उसकी मौत हुई है। पिछले 7 दिन से युवक का शव मोर्चरी में पड़ा हुआ था, वहीं परिजन थाना प्रभारी पर कार्रवाई के लिए अड़े हुए थे। अब जबकि एसएचओ को सस्पेंड कर दिया गया है तो परिजन अंतिम संस्कार के लिए राजी हुए।
घटना लुधियाना के थाना डिवीजन 5 की कोचर मार्केट चौकी से जुड़ी है। हरियाणा के यमुनानगर से ताल्लुक रखने वाले 26 वर्षीय दीपक शुक्ला को कार चोरी के एक मामले में पुलिस इतना टॉर्चर किया गया कि जेल भेजने के 36 घंटे बाद उसकी मौत हो गई। पीड़ित परिवार ने दीपक की मौत का जिम्मेदार थाना डिवीजन नंबर 5 की एसएचओ, चौकी कोचर मार्कीट के इंचार्ज और अन्य 2 मुलाजिमों को ठहराया। मृतक के चाचा राजेश कुमार की मानें तो दीपक बजाज फाइनांस में काम करता था। उसने कुछ समय पहले ओएलएक्स के जरिए 2002 मॉडल की एक मारुति 800 कार खरीदी थी, जो बाद में आगे बेच दी थी। कार बेचने के कुछ समय बाद ही उन्हें थाना डिवीजन 5 से फोन आने लगे कि उनके पास चोरी की मारुति कार है। दीपक पुलिस का फोन आने के बाद अक्सर थाने आता रहा। उसने पुलिस को सारी जानकारी दे दी थी कि उसने कार किस व्यक्ति से कितने में खरीदी है और आगे किसे बेची है, मगर 15 फरवरी को दीपक और उसकी पत्नी प्रीति को पुलिस उठा लाई।
चौकी इंचार्ज ने छोडऩे के लिए ली 25000 रिश्वत
राजेश ने आरोप लगाया कि दीपक और उसकी पत्नी के साथ पुलिस वालों ने मारपीट की। पहले थाना डिवीजन-5 और फिर चौकी कोचर मार्कीट में ले जाकर पीटा गया। जब उन्हें व चंडीगढ़ में रहने वाले उनके भाई राकेश को पता चला तो वे भी यहां पहुंच गए। पुलिस ने राकेश और उनकी पत्नी पूनम को भी बैठा लिया। बिना महिला पुलिस मुलाजिम के दोनों महिलाओं को थाने में रखा गया। अगले दिन देर शाम 8 बजे के करीब चौकी इंचार्ज जसकरण सिंह ने 25 हजार रुपए रिश्वत लेकर उन्हें छोड़ा।
हालंकि पुलिस ने कहा कि दीपक से अभी पूछताछ की जानी है और उसे बाद में छोड़ दिया जाएगा, मगर पुलिस ने 21 फरवरी को पहले से दर्ज की हुई चोरी की एफआईआर में दीपक को नामजद कर दिया और 22 फरवरी को उसे पेश किया। दीपक ने अदालत के बाहर से महिला वकील से फोन लेकर उन्हें सूचना दी तो पता चला कि एफआईआर दर्ज हो चुकी है। इतने दिन हिरासत में रखने के बाद भी पुलिस ने 2 दिन का पुलिस रिमांड हासिल कर लिया था।
अदालत ने भेजा था ज्यूडीशियल रिमांड पर, पुलिस ले गई थाने
इतना ही नहीं, 24 फरवरी को दीपक का 2 दिन का रिमांड खत्म हुआ तो अदातल ने उसे ज्यूडीशियल रिमांड पर भेज दिया था, मगर इसके बावजूद पुलिस ने उसे थाने में रखा और उससे मारपीट की। 25 फरवरी की शाम को जेल में छोड़ा गया। परिजन जेल में मिलने गए तो उन्हें यह कहकर लौटा दिया गया कि वह अभी आया है और 24 घंटे तक उसे मिलने नहीं दिया जा सकता। जब 26 फरवरी को परिजन दीपक से मिलने के लिए गए तो दीपक एक साथी की मदद से बाहर उनसे मिलने के लिए आया। उसने बताया कि पुलिस ने उसे काफी मारा है और उसका शरीर पूरी तरह से दर्द हो रहा है। वह खून की उल्टियां कर रहा था। देर रात को उन्हें पता चला कि दीपक को सिविल अस्पताल में दाखिल करवाया गया है, मगर देर रात को उसकी मौत हो गई।
परिवार की तरफ से हंगामा किए जाने के बाद उनकी मांग पर कोचर मार्केट चौकी प्रभारी जसकरण सिंह व एक सिपाही को सस्पेंड किया जा चुका है। इसके बाद परिवार के सदस्य थाना डिवीजन 5 की प्रभारी ऋचा के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग कर रहे थे। इसी के चलते दीपक शुक्ला का शव सात दिन से ही सिविल अस्पताल के शव गृह में पड़ा था। मृतक दीपक शुक्ला के चाचा राजेश शुक्ला व टीआर मिश्रा का कहना था कि पुलिस के उच्च अधिकारी न्याय नहीं कर रहे हैं और अपने अफसरों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस दबाव बनाने की पूरी कोशिश कर रही थी। उनके यमुनानगर स्थित पैतृक घर पर शव को लेने के लिए नोटिस भी भेजा गया है।
पुलिस कमिश्नर ने बुधवार को एसएचओ ऋचा को लाइन हाजिर कर दिया, मगर परिवार इस बात से भी नहीं माना और उसे सस्पेंड करने के लिए गुरुवार को पुलिस कमिश्नर से मिला। आखिर एसएचओ को सस्पेंड किए जाने के ऑर्डर के बाद दीपक के परिवार ने उसका अंतिम संस्कार करने का ऐलान किया।