मिट्टी बचाने और मिट्टी के स्वास्थ्य परीक्षण का प्रदेशव्यापी अभियान

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नीमच 14 दिसम्बर ( गोपालदास बैरागी) मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भविष्य में अच्छी खेती के लिये मिट्टी बचाने और मिट्टी के स्वास्थ्य परीक्षण का प्रदेशव्यापी अभियान चलाया जायेगा। किसानों की सहूलियत के लिये हर विकास खण्ड में मिट्टी स्वास्थ्य परीक्षण लेब की स्थापना होगी। भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान प्रांगण में गत दिवस अंतर्राष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य दिवस पर किसान महा सम्मेलन और मृदा स्वास्थ्य परीक्षण कार्ड वितरण समारोह में श्री चौहान ने कहा कि मिट्टी भी बीमार होती है और इसे भी इलाज की जरूरत होती है।  उन्होंने किसानों से अपने-अपने खेतों की मिट्टी का परीक्षण करवाने का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति की तरह मिटटी का स्वास्थ्य भी खराब होता है। इसके लिए मिट्टी के स्वास्थ्य का कार्ड होना जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने कुछ किसानों को प्रतीक स्वरूप मृदा स्वास्थ्य परीक्षण कार्ड देकर अभियान की औपचारिक शुरुआत की। प्रदेश के विभिन्न जिलों में आज सवा लाख मृदा परीक्षण कार्ड किसानों को दिए गए। श्री चौहान ने कहा कि किसानों को सोलर पम्प लगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके लिए 6 लाख कीमत के सोलर पम्प पर 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाएगी। किसानों के लिए चल रही छोटे-छोटे अनुदान वाली अप्रभावी योजनाएँ बंद की जायेगी और इनका पैसा बड़ी योजनाओं में लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि मंडियों में फल-सब्जी बेचने का स्थान सुरक्षित किया जाएगा। फल-सब्जियों का रूट बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि खेती को लाभकारी बनाने के लिए सरकार जिद और जुनून के साथ काम कर रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को देश में मिट्टी स्वास्थ्य परीक्षण का मिशन चलाने और मिट्टी स्वास्थ्य परीक्षण कार्ड बनाने का अभियान चलाने के लिए धन्यवाद देते हुए श्री चौहान ने कहा कि धरती के अंधाधुंध और अतार्किक दोहन से असंतुलन पैदा हो गया है। इसे दूर करना सबका काम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड से मिट्टी के पोषक तत्वों की कमी का पता चलेगा और सही मात्रा में उर्वरक एवं पानी के उपयोग की भी जानकारी मिलेगी। उन्होंने किसानों से नरवई नहीं जलाने का आव्हान करते हुए कहा कि इससे मिट्टी भी जल जाती है। उन्होंने किसानों से कहा कि वे फसल चक्र बदलने और उद्यानिकी फसलें लेने पर भी ध्यान दें।
मुख्यमंत्री ने किसानों के लिए महत्वपूर्ण निर्णयों की चर्चा करते हुए कहा कि किसानों को स्थाई विद्युत पम्प कनेक्शन दिया जाएगा। वर्तमान में एक हॉर्स पॉवर पर सालाना 25 हजार का अनुदान दिया जा रहा है। हर खेत को पानी पहुँचाने का काम पूरा हो रहा है। एक दशक पहले सिंचाई क्षमता 7.5 लाख हेक्टेयर थी। अब 36 लाख हेक्टेयर में सिंचाई हो रही है। इसी प्रकार पहले 18 प्रतिशत की ब्याज दर पर किसानों को लोन मिलता था अब बिना ब्याज के लोन मिल रहा है। अगले साल से खाद-बीज के लिए एक लाख रुपए का लोन लेने पर किसानों को सिर्फ 90 हजार रुपए ही लौटाना पड़ेगा। किसानों के संकट की चर्चा करते हुए श्री चौहान ने कहा कि हिम्मत हारने की जरूरत नहीं है। सब मिलकर संकट से बाहर निकल आएंगे।
किसान कल्याण और कृषि विकास मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य परीक्षण से जहाँ खेती की लागत कम करने में मदद मिलेगी वहीं उर्वरता भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि मिट्टी एक अमूल्य प्राकृतिक संसाधन है, जिसकी रक्षा करना सबका कर्त्तव्य है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में रासायनिक खाद की खपत 82 किलो प्रति हेक्टेयर है, जबकि पंजाब जैसे अन्य राज्यों में यह 175 किलो प्रति हेक्टेयर तक पहुँच गई है।
भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान के निदेशक श्री अशोक के. पात्रा ने मृदा परीक्षण मिशन की जानकारी दी। प्रमुख सचिव कृषि डॉ. राजेश राजौरा ने बताया कि अगले दो साल में अभियान चलाकर एक करोड़ मृदा स्वास्थ्य परीक्षण कार्ड किसानों को दिए जाएंगे। प्रत्येक तीन साल में फिर से मिट्टी परीक्षण होगा। उन्होंने बताया कि गाँव-गाँव में खेतों की उर्वरता का आकलन भी किया जाएगा।