गरीबों हेतु मिलने वाली सहायता पैसे वालों द्वारा लेने पर मप्र सरकार क्यों नहीं करती कार्रवाई

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ग्वालियर।२७अक्तुबर [सीएनआई] डबरा के कुछ प्रतिष्ठित सत्ताधारी पदाधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री को गुमराह कर राज्य बीमारी सहायता कोष जो गरीबों के लिये शासन द्वारा बनाया गया था, में से गलत जानकारी शासन को देकर अपने परिजनों के लिये इलाज के लिये लाखों रूपये मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चौहान से मंजूर करा लिये। आरटीआई में मिली जानकारी में खुलासा हुआ कि इंदौर के एक प्रतिष्ठित अस्पताल और दिल्ली नोएडा के प्रतिष्ठित अस्पताल में दो अलग-अलग लोगों ने फर्जी प्रकरण बनाकर म.प्र. शासन से सहायत ली और इलाज कराया। जबकि उक्त लोग 6 फर्मों, कई करोड़ों के प्लॉटों तथा कई चार पहिया वाहनों, भवनों के मालिक हैं। सत्तारूढ़ दल से जुड़े होने के कारण संभवतः इनके विरूद्ध षिकायत होने के बाद भी कार्यवाही नहीं हुई है। और आराम से गरीबों को दिया जाने वाला पैसा हड़पकर डकार गये हैं।

पूर्व में हुये फर्जीवाड़े पर जांच और कार्यवाही की मांग भी उठने लगी है। समाजसेवी संस्थाओं के लोगों ने राज्य बीमारी सहायता कोष से फर्जी ढंग से पैसा लेने वालों के विरूद्ध अपराधिक प्रकरण दर्ज करने और कड़ी कार्यवाही की मांग की है।

हालांकि अब स्वेच्छा अनुसार से राषि लेना आसान नहीं रह गया है, कुछ अस्पतालों से फर्जी स्टीमेट और बिचौलियों के चलते षिकायतें होने पर मुख्यमंत्री ने इस व्यवस्था में बदलाव किया है। अब ग्वालियर में बिरला अस्पताल, केंसर अस्पताल, बीआईएमआर अस्पताल, भोपाल में चिरायु अस्पताल, जवाहर नेहरू केंसर अस्पताल, भोपाल फैक्चर अस्पताल, एलबीएस, नोबल मल्टीस्पेषलिटी, बंसल अस्पताल, रेडक्रॉस हॉस्पीटल, स्वामी विवेकानंद रीजनल स्पाइन सेंटर, नर्मदा अस्पताल, मेयो अस्पताल, नवोदय अस्पताल, सीमांस, जेके अस्पताल, भोपाल केयर, हजेला, चिरायु, दिव्य एडवांस, ईएनटी क्लीनिक, इंदौर में सीएचएल, कन्वीनियंट हॉस्पीटल, बॉम्बे हॉस्पीटल, ग्रेटर कैलास, सिनर्जी, टी चौइथराम, भंडारी, मेदांता हॉस्पीटल, इसी तरह जबलपुर, बैतूल, होषंगाबाद में भी अस्पतालों के नाम देकर उनमें इलाज किया जायेगा। ताकि फर्जीवाड़ा रूक सके। mp govt logofraud